माँग वक्र दायें को नीचे की ओर क्यों झुकता है ? (Why does Demand Curve Slope downwards to the Right?)
माँग का नियम मूल्य और माँग के मध्य विपरीत सम्बन्ध को स्पष्ट करता है। जब किसी वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तो उसकी माँग कम हो जाती है और जब कीमत कम हो जाती है तो वस्तु की माँग बढ़ जाती है। इसी कारण माँग वक्र हमेशा दायें को नीचे की ओर झुका हुआ होता है। प्रश्न यह उठता है कि ऐसा क्यों होता है? इसके मुख्य कारण निम्न प्रकार हैं-
(1) सीमान्त उपयोगिता हास नियम का लागू होना (Application of the Law of Diminishing Marginal Utility) – माँग का नियम सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम पर आधारित है। यह नियम यह. बताता है कि जब उपभोक्ता किसी वस्तु के उपभोग में निरन्तर वृद्धि करता जाता है तो उसे प्रत्येक अगली इकाई से मिलने वाली सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है। इस कारण वह उस वस्तु की अधिक इकाइयाँ खरीदने के लिये तभी तैयार होगा जब वह उसे कम मूल्य पर मिले। प्रत्येक उपभोक्ता अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करना चाहता है और ऐसा तभी सम्भव हो सकता है जबकि वस्तु की सीमान्त उपयोगिता और उसका मूल्य दोनों बराबर हों। वस्तु की सीमान्त उपयोगिता और उसका मूल्य ऊँचे मूल्यों की दशा में शीघ्र ही बराबर हो जायेंगे और नीचे मूल्यों की दशा में थोड़ा बाद में बराबर होंगे। इस कारण ऊँचे मूल्यों पर वस्तु की माँग कम होती है और नीचे मूल्यों पर अधिक होती है। अतः स्पष्ट है कि माँग का नियम सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम पर आधारित है।
(2) प्रतिस्थापन्न प्रभाव (Substitution Effect) – प्रतिस्थापन्न प्रभाव माँग के नियम के लागू होने का एक महत्त्वपूर्ण कारण माना जाता है। जब किसी वस्तु के मूल्य में वृद्धि हो जाती है तो उपभोक्ता उसकी स्थानापन्न वस्तुओं को खरीदना अधिक पसन्द करता है क्योंकि उस वस्तु की तुलना में ये वस्तुएँ सस्ती लगने लगती हैं। उदाहरण के लिए, मान लीजिये बाजार में चाय का मूल्य 1 रुपया प्रति कप है और कॉफी का मूल्य 2 रुपया प्रति कप है। अब यदि चाय का मूल्य 1.50 रुपया प्रति कप हो जाये और कॉफी का मूल्य समान रहे तो उपभोक्ता चाय पीने के स्थान पर कॉफी पीना अधिक पसन्द करेगा। चाय की माँग में यह कमी प्रतिस्थापन्न प्रभाव के कारण होने वाली कमी मानी जायेगी।
(3) आय प्रभाव (Income Effect) – आय प्रभाव माँग के नियम के लागू होने का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारण है। यदि किसी वस्तु के मूल्य में कमी होती है तो इसका अर्थ है उपभोक्ता की आय में वृद्धि होना क्योंकि अब वह पहले के बराबर धन खर्च करके ही उस वस्तु की पहले से अधिक मात्रा खरीद सकता है। उदाहरण के लिये, मान लीजिये कि बाजार में चीनी का मूल्य 14 रुपये प्रति किलो है और एक उपभोक्ता औसत रूप से 5 किलो चीनी प्रति माह खरीदता है, इस प्रकार, वह चीनी के क्रय पर 70 रुपये प्रति माह खर्च करता है। अब चदि चीनी का मूल्य घटकर 12 रुपये प्रति किलो हो जाये तो उसे चीनी की उतनी ही मात्रा क्रय करने के लिये 60 रुपये प्रति माह खर्च करने होंगे। इस प्रकार वह 10 रुपये प्रति माह बचा लेगा। वह इस बचत के द्वारा चीनी की और अधिक मात्रा क्रय कर सकता है। इसे ही आय प्रभाव कहते हैं। इसके परिणामस्वरूप चीनी की माँग बढ़ जायेगी। इसी प्रकार, किसी वस्तु के मूल्य में वृद्धि होने का अर्थ है उपभोक्ता की आय में कमी होना और परिणामस्वरूप वस्तु की माँग में कमी होना ।
(4) उपभोक्ताओं की संख्या में परिवर्तन (Change in the Number of Consumers) – वस्तु के में परिवर्तन होने पर उसके उपभोक्ताओं की संख्या में परिवर्तन हो जाता है। उदाहरण के लिये, यदि मूल्य किसी वस्तु के मूल्य में वृद्धि हो जाये तो इसका उसकी माँग पर दो प्रकार से प्रभाव पड़ेगा— (i) कुछ उपभोक्ता इस वस्तु का प्रयोग करना जारी तो रखेंगे परन्तु इसकी कम मात्रा क्रय कर पायेंगे और परिणामस्वरूप इसकी माँग कम हो जायेगी, (ii) कुछ उपभोक्ता जो अब तक इस वस्तु का प्रयोग कर रहे थे, वे अब इसकी स्थानापन्न वस्तुओं का प्रयोग करना शुरु कर देंगे और फलस्वरूप इसकी माँग कम हो जायेगी। इसी प्रकार, यदि किसी वस्तु का मूल्य गिर जाता है तो इसकी माँग दो प्रकार से प्रभावित होगी — (i) कुछ उपभोक्ता जो अब तक स्थानापन्न वस्तुओं का प्रयोग कर रहे थे, वे अब इसका प्रयोग करना शुरू कर देंगे और फलस्वरूप इसकी माँग बढ़ जायेगी, (ii) पुराने उपभोक्ता इसका प्रयोग जारी तो रखेंगे ही, वे अब पहले से ज्यादा मात्रा क्रय कर पायेंगे और परिणामस्वरूप इसकी माँग बढ़ जायेगी।
(5) वस्तु के विविध उपयोग (Diverse Uses of a Commodity) – यदि किसी वस्तु के विविध उपयोग हो सकते हैं तो इसके मूल्यों में परिवर्तन होने पर इसकी माँग निश्चित रूप से परिवर्तित होगी। उदाहरण के लिये, विद्युत का प्रयोग अनेक कामों में किया जा सकता है; जैसे—प्रकाश, भोजन बनाने, टी० वी०, फ्रीज, कूलर आदि चलाने के लिये। यदि इसके मूल्य में वृद्धि हो जाये तो इसका प्रयोग कुछ आवश्यक कार्यों में ही किया जाने लगेगा और फलस्वरूप इसकी माँग कम हो जायेगी। दूसरी ओर, यदि इसके मूल्य में कमी हो जाये तो इसका प्रयोग सभी कार्यों में किया जाने लगेगा और परिणामस्वरूप इसकी माँग बढ़ जायेगी।
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