उत्पादन फलन (Production Function)
उत्पादन के सिद्धान्त का प्रथम स्तम्भ उत्पादन फलन है। प्रो० फर्गुसन (Ferguson ) के शब्दों में, ‘उत्पादन के सिद्धान्त का अर्थ है कि एक उत्पादक निश्चित उत्पादन तकनीक के आधार पर उत्पादन की एक निश्चित मात्रा प्राप्त करने के लिए विभिन्न उत्पत्ति उपादानों (Inputs) का किस प्रकार कुशलतापूर्वक संयोग करता है।” उत्पादन विभिन्न उत्पत्ति के साधनों के सामूहिक प्रयत्नों का फल है। उत्पत्ति के चार आधारभूत साधन — भूमि, पूँजी, श्रम एवं साहस- परस्पर विभिन्न अनुपात में एकत्रित एवं कार्यशील होकर एक निश्चित उत्पादन देते हैं। प्रो० लेफ्टविच के अनुसार, “उत्पादन फलन का अभिप्राय फर्म के उत्पत्ति साधनों और प्रति समय इकाई वस्तुओं तथा सेवाओं के बीच का भौतिक सम्बन्ध है जबकि मूल्यों को छोड़ दिया जाए।”
इस प्रकार उत्पादन फलन एक आर्थिक नहीं वरन् तकनीकी समस्या है। किसी फर्म का उत्पादन फलन उत्पादन तकनीक (Technique of Production) पर आधारित होता है। एक फर्म उस उत्पादन तकनीक का चुनाव करेगी जिसकी सहायता से वह अपने पास उपलब्ध उत्पत्ति के साधनों का पूर्ण विदोहन (Optimum Utilization) करते हुए अपने उत्पादन को अधिकतम कर सके । उत्पादन तकनीक का सुधार निश्चित रूप से उत्पादन में वृद्धि करेगा। इस प्रकार सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि “उत्पादन फलन एक ऐसी सारणी पर आधारित है जो दी गई उत्पादन तकनीक के अन्तर्गत उत्पत्ति साधनों को एक निश्चित संयोग द्वारा प्रयोग करके प्राप्त होने वाले अधिकतम उत्पादन को प्रदर्शित करती है। “
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