अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन उत्पादन फलन (Short-run and Long-run Production Function)
उत्पादन फलन में समय-तत्व (Time Element) एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उत्पादन फलन की प्रकृति अल्पकाल एवं दीर्घकाल में एकसमान नहीं रहती है। अल्पकालीन उत्पादन अवधि का अभिप्राय उस समयावधि से है जिसमें उत्पत्ति के सभी साधनों को परिवर्तित नहीं किया जा सकता। अल्पकाल में उत्पादन की सूक्ष्म समयावधि के कारण जिन उत्पत्ति के साधनों को परिवर्तित नहीं किया जा सकता उन्हें स्थिर साधन (fixed factors) कहा जाता है। अल्पकाल में कुछ उत्पत्ति के साधन परिवर्तनशील ( variable factors) हैं। मुख्यतः पूँजी, पूँजीगत उपकरण, भूमि, उत्पादन तकनीक आदि अल्पकाल में स्थिर हैं जबकि श्रम की इकाइयाँ परिवर्तनीय हो सकती हैं। अल्पकाल में उत्पादन के संयन्त्र का आकार (size of the plant) अपरिवर्तित रहता है। इस प्रकार अल्पकालीन उत्पादन फलन में कुछ उत्पत्ति के साधन स्थिर हैं तथा कुछ परिवर्तनीय परिवर्तनशील साधनों में परिवर्तन करके उत्पादन स्तर में परिवर्तन प्राप्त किया जा सकता है। इसे परिवर्तनशील अनुपात नियम (Law of Variable Proportions) कहते हैं।
इसके विपरीत, दीर्घकालीन उत्पादन अवधि का अभिप्राय उस लम्बी समयावधि से है जिसमें फर्म अपने उत्पादन क्षेत्र में प्रयोग होने वाले सभी उत्पत्ति के साधनों को आवश्यकतानुसार परिवर्तित कर सकती है। दूसरे शब्दों में दीर्घकाल में कोई भी उत्पत्ति का साधन स्थिर नहीं रहता। अल्पकाल की भाँति दीर्घकाल में उत्पत्ति के साधनों को स्थिर एवं परिवर्तनीय साधनों के रूप में विभाजित नहीं किया जाता। दीर्घकाल में उत्पत्ति का प्रत्येक साधन परिवर्तनीय होता है। दूसरे शब्दों में, दीर्घकाल में उत्पादन पैमाने (Scale of Production) को पूर्णतः परिवर्तित किया जा सकता है। दीर्घकालीन उत्पादन फलन में फर्म के पास उत्पत्ति के साधनों के चुनाव का पर्याप्त समय होता है और फर्म जिस रूप में चाहे, उत्पत्ति के साधन को परिवर्तित कर सकती है। दीर्घकाल में एक फर्म अपने उत्पादन पैमाने (Scale of Production) को परिवर्तित करने के लिए उत्पत्ति के साधनों को सुविधा तथा आवश्यकतानुसार परिवर्तित कर सकती है। इसलिए दीर्घकालीन उत्पादन फलन को पैमाने के प्रतिफल (Returns of Scale) भी कहा जाता है।
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