उत्पत्ति ह्रास नियम लागू होने की दशाएँ अथवा क्रियाशीलता के कारण (Conditions or Causes of the Operation of the Law of Diminishing Returns)
उत्पत्ति ह्रास नियम लागू होने की दशाएँ अथवा क्रियाशीलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
(1) एक अथवा कुछ साधनों का स्थिर होना- जब एक अथवा कुछ साधनों को स्थिर रखा जाता है और शेष साधनों को परिवर्तनशील रखा जाता है तो परिवर्तनशील साधनों की सम्पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं हो पाता है, परिणामतः इसके फलस्वरूप उत्पादन शक्ति का हास हो जाता है। अन्य शब्दों में—
(i) उत्पादन के विभिन्न साधन सदा सीमित मात्रा में उपलब्ध होते हैं, किसी भी साधन की पूर्ति में असीमित वृद्धि नहीं की जा सकती तथा
(ii) विभिन्न साधन एक निश्चित बिन्दु पर अनुकूलतम संयोग की दशा में होते हैं, लेकिन जब तक कुछ साधनों की मात्रा को स्थिर रखा जाता है तो अनुकूलतम संयोग की स्थिति समाप्त हो जाती है और उत्पादन शक्ति का ह्रास होने लगता है।
दूसरे शब्दों में, उत्पत्ति के साधनों पर मानव का पूर्ण अधिकार नहीं होता, अतः साधनों का आदर्श अनुपात बनाए रखना सम्भव नहीं होता। इसके अतिरिक्त साधनों की अविभाज्यता भी सर्वोत्तम उपयोग में बाधक सिद्ध होती है।
(2) उत्पादन साधन एक-दूसरे के पूर्ण स्थानापन्न नहीं होते – उत्पत्ति के एक साधन को किसी दूसरे साधन के स्थान पर एक सीमा तक ही प्रयोग किया जा सकता है। यदि विभिन्न साधनों को पूर्णतः प्रतिस्थापित किया जा सकता हो तो न तो किसी साधन की परिमितता का प्रश्न उठता और न ही उत्पत्ति ह्रास नियम कार्यशील होता है। श्रीमती जोन रोबिन्सन के शब्दों में, “एक साधन को दूसरे के स्थान पर केवल एक सीमा तक ही प्रतिस्थापित किया जा सकता है।”
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