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B.ED Political Science Lesson Plan | राजनीति विज्ञान के शिक्षण हेतु पाठ योजना | हरबर्ट की पंचपदी के चरण

B.ED Political Science Lesson Plan | राजनीति विज्ञान के शिक्षण हेतु पाठ योजना | हरबर्ट की पंचपदी के चरण
B.ED Political Science Lesson Plan | राजनीति विज्ञान के शिक्षण हेतु पाठ योजना | हरबर्ट की पंचपदी के चरण

राजनीति विज्ञान के शिक्षण हेतु पाठ योजना तैयार करने के लिए हरबर्ट की पंचपदी के चरणों पर चर्चा कीजिए तथा पाट योजना का स्वरूप भी दीजिए।

राजनीति विज्ञान के शिक्षण हेतु पाठ योजना तैयार करना

प्रसिद्ध शिक्षा विचारक रूसों ने शिक्षण को बाल प्रकृति के अनुरूप बनाने का प्रतिपादन किया है। पेस्यलाजी ने रूसों के विचारों से प्रभावित होकर इन्द्रियों द्वारा ज्ञान अर्जन करने की बात कही तथा इसका आधार शिक्षक को माना। स्टेज ने इस बात को आगे बढ़ाते हुए अपने विद्यालय में सभी विषयों का क्रमबद्ध पक्षों में शिक्षण किया। जर्मन शिक्षक हरबर्ट ने पेस्टालाजी से प्रेरित होकर रूचि से सिद्धांत पर बल दिया तथा शिक्षक को मनोवैज्ञानिक रूप दिया। उसने शिक्षण की नई प्रणाली का प्रतिपादन किया जो हरबर्ट की ‘पंचपदी प्रणाली’ नाम से विख्यात है। हरबर्ट के प्राथमिक पदों को उसके शिष्यों ने तथा अनुयायियों ने परिष्कृत किया जिलर तथा राइन द्वारा हरबर्ट की पंचपदी प्रणाली अंतिम रूप से विकसित हुई है। इनका रूप निम्नानुसार है:

  1. (अ) प्रस्तावना, (ब) उद्देश्य कथन
  2. प्रस्तुतीकरण
  3. तुलना
  4. सामान्यीकरण एवं
  5. प्रयोग

हरबर्ट की प्रणाली के आधार पर योजना का स्वरूप निम्नानुसार किया जा सकता है। शिक्षकों को चाहिये कि वे अध्यापन के विषयांश के अनुरूप अपनी पाठ योजना निर्माण करें। पाठ योजना सावधानी पूर्वक बनानी चाहिए। पाठ योजना बना कर ही अध्यापन किया जावे तथा निर्मित योजना के अनुसार अध्यापन से हो, इस बात का आग्रह होना चाहिए।

प्रस्तावना :-

प्रस्तावना के माध्यम से शिक्षक बालकों को नये पाठ का परिचय . कराता है, नवीन ज्ञान को नये पाठ में दिये जाना है को पूर्व ज्ञान से जोड़ना आवश्यक है। इसके लिए बालकों से प्रारम्भ में कुछ प्रश्न किये जा सकते हैं। प्रस्तावना के विषय में प्रसिद्ध विद्वान वास्टन लिखते हैं कि शिक्षक को बहुत ही संक्षेप में बालकों के पूर्व ज्ञान को जाग्रत करना चाहिए जिससे वे प्रस्तुत पाठ के लिए शीघ्र ही तैयार हो जाये। बालकों की स्थिति में अपने को डालकर शीघ्रता से पाठ आरम्भ कर देना कुशल शिक्षक का चिन्ह है। यह जानता है कि छात्र कहां है और कहां पहुंचने के लिए उन्हें प्रयत्न करना चाहिए, अच्छे अध्यापक विषयांश के अनुसार प्रभावशाली प्रस्तावना के लिए उचित प्रविधि का चयन करते हैं यथा-कथन, प्रश्नोत्तर कहानी, उद्धरण, प्रयोग, प्रदर्शन आदि ।

उद्देश्य कथन :-

प्रस्तावना के अन्त में बालक यह समझ सकता है कि उसे पढ़ाया जाने वाला पाठ किन उद्देश्यों पर आधारित है। शिक्षक को यह चाहिए कि वह छात्रों का पाठ के उद्देश्य स्पष्ट कर दें ऐसा करने से वे नये पाठ के लिए तैयार हो जाते हैं।

उद्देश्य कथन स्पष्ट सरल शब्दों में कर्तवाच्य होना चाहिए तथा आइए आज हम……………का अध्ययन करेगें।

प्रस्तुतीकरण :

प्रस्तुतीकरण में बालक के सामने विषयांश उपस्थित किया जाता – । इस पद में बालकों को नया ज्ञान, देने की योजना तथा प्रयास किए जाते हैं। इस प्रक्रिया में बालक के पूर्व ज्ञान का ध्यान रखना आवश्यक है। उद्देश्य कथन के पश्चात् बालक का ध्यान नये पाठ की ओर लग जाता है। इस बिन्दु पर अध्यापन भी नई विषय वस्तु प्रस्तुत करता रहता है। नवीन ज्ञान प्रस्तुत करने की यह अवस्था रहती है। नये ज्ञान के प्रस्तुतीकरण में अध्यापक चयन तथा विभाजन के सिद्धांत को अपनाना चाहिए। सुविधा के लिए पूर्व पाठ का विभाजन 2-3 उप-इकाईयों में करना चाहिए किन्तु इसे क्रमबद्ध रीति से करें। अध्यापन विधि में विषय सामग्री के सोपान क्रमशः रहे तथा प्रत्येक के अंत में आगे के सोपान का संकेत मिले। विषयांश के अनुकूल समुचित शिक्षण विधि का प्रयोग करना चाहिए। सभी उप-इकाइयों को पढ़ाने के बाद उन पर आधारित बोध प्रश्न करने चाहिए।

यह ध्यान रहे कि विषयवस्तु का विस्तार सहायक सामग्री के माध्यम से किया जाये। उपरोक्त पदों के अतिरिक्त तुलना समान्यीकरण एवं प्रयोग का भी प्रतिपादन हरबर्ट के पदों के अन्तिम रूप में मिलता है।

यह ध्यान रहे कि विषयवस्तु का विस्तार सहायक सामग्री के माध्यम से किया जायं। उपरोक्त पदों के अतिरिक्त तुलना सामान्यीकरण एवं प्रयोग का भी प्रतिपादन हरबर्ट के पदों के अन्तिम रूप में मिलता है।

पाठ योजना निर्धारित प्रारूप पर पाठ पढ़ाने से पूर्व तैयार करना चाहिए।

पाठ योजना के विभिन्न उपागम निम्नानुसार है :-

  1. डदुशी तथा किलपैट्रिक उपागम
  2. मैरिसन उपागम
  3. मूल्यांकन उपागम
  4. अमेरिकन उपागम
  5. ब्रिटिश उपागम
  6. भारतीय उपागम एवं
  7. सूक्ष्म उपागम।

उपरोक्त समय में भारतीय उपागम में शिक्षण के उद्देश्यों, मूल्यांकन तथा शिक्षण अधिगम परिस्थितियों पर अधिक बल दिया जाता है। इस दृष्टि से एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा पाठ योजना के प्रारूप निर्माण किये गये हैं।

सामान्य रूप से दैनिक पाठ योजना बनाने का अधिक महत्व है। शिक्षक अपनी कक्षा में पाठ्यपुस्तक पढ़ाना चाहता है, उसे वह छोटी-छोटी इकाइयों में विभक्त करता है। सामान्यतः 40 मिनट के कालखण्ड में पाठ पूर्ण हो इतनी पाठ्यवस्तु एक पाठ में होना चाहिए। छात्रों की समस्त क्रियाओं का उल्लेख भी योजना में होना चाहिए।

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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