बड़े पैमाने के उत्पादन की सीमाएँ (Limitations of Large Scale Production)
बड़े पैमाने के उत्पादन की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं:
(1) बाजार का विस्तार (Expansion of Market)— बड़े पैमाने के उत्पादन के लिए बाजार का विस्तृत होना आवश्यक है। यदि बाजार संकुचित है तब वस्तुओं को बड़े पैमाने पर नहीं बेचा जा सकेगा और बड़े पैमाने का उत्पादन नहीं होगा।
(2) संगठन की योग्यता (Managerial Ability) — बड़े पैमाने का उत्पादन व्यवस्थापक की योग्यता पर निर्भर रहता है, परन्तु उसकी भी एक सीमा होती है। यदि बड़े पैमाने का उत्पादन व्यवस्थापक की योग्यता की सीमा के बाहर है, तो व्यवसाय फैलेगा और बड़े पैमाने का उत्पादन असफल हो जाएगा। अतः बड़े पैमाने के उत्पादन को व्यवस्थापक की कुशलता से आगे नहीं बढ़ाना चाहिए।
(3) तकनीकी कठिनाइयाँ (Technical Difficulties)— बड़े पैमाने के उत्पादन में छोटी-बड़ी सभी प्रकार की मशीनों का उपयोग होता है, एक सीमा तक मशीनें उत्पादन बढ़ाती हैं, परन्तु एक सीमा के बाद मशीनों की क्षमता भी घट जाती है। यदि इससे आगे उत्पादन किया गया, तो हानि होने लगती है।
(4) पूँजी तथा श्रम की कठिनाइयाँ (Problems of Labour and Capital) – बड़े पैमाने के उत्पादन में श्रम और पूँजी की अधिक इकाइयों की आवश्यकता होती है। यदि एक सीमा के बाद श्रम और पूँजी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होती है, तो बड़े पैमाने का उत्पादन नहीं होगा।
(5) व्यवसाय का स्वरूप (Nature of the Business) – कुछ व्यवसाय छोटे पैमाने पर ही चलाए जा सकते हैं। यही कारण है कि आज भी छोटे पैमाने के उद्योगों का महत्व है। अतः छोटे पैमाने के व्यवसाय की प्रकृति बड़े पैमाने के व्यवसाय को सीमित कर देती है।
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