‘बाजार मूल्य’ तथा ‘सामान्य मूल्य’ से क्या अशाय है ?
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बाजार मूल्य का अर्थ (Meaning by Market Price)
किसी समय विशेष में बाजार में प्रचलित वास्तविक मूल्य को बाजार मूल्य कहते हैं। अति अल्पकाल में माँग एवं पूर्ति के बराबर होने पर जो मूल्य निर्धारित होते हैं, वह भी बाजार मूल्य के नाम से जाना जाता है। किसी वस्तु का बाजार मूल्य वह मूल्य है, जो किसी बाजार में अति अल्पकाल के लिए निश्चित रहता है। बाजार समय उस अल्प समय को कहते हैं जिसके अन्तर्गत उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन नहीं किया जा सकता तथा जिसमें विक्रेता के पास वस्तु का एक निश्चित स्टॉक रहता है। इसमें समय इतना कम होता है कि वस्तु की अतिरिक्त इकाइयों का उत्पादन नहीं किया जा सकता। इस प्रकार बाजार में वर्तमान स्टॉक में वस्तु की बिक्री हो जाती है । मूल्य निर्धारण में मुख्य तथा सक्रिय प्रभाव वस्तु की माँग का होना है। माँग के कम अथवा अधिक होने पर वस्तु का मूल्य भी कम अथवा अधिक हो जाता है, जबकि पूर्ति का प्रभाव निष्क्रिय होता है ।
सामान्य मूल्य का अर्थ (Meaning by Normal Price)
सामान्य मूल्य उस मूल्य को कहते हैं जो वस्तु की माँग एवं पूर्ति की स्थायी शक्तियों द्वारा दीर्घकाल में तय होता है। दीर्घकाल वास्तव में वह अवधि है, जिसमें कि वर्तमान प्लाण्ट की क्षमता को घटा-बढ़ाकर या नयी फर्मों के प्रवेश या बहिर्गमन द्वारा पूर्ति को पूरी प्रकार से बढ़ाकर या घटाकर माँग की दशाओं के अनुरूप किया जा सकता है । सामान्य मूल्य का निर्धारण उस बिन्दु पर होता है, जहाँ पर कि वस्तु की मात्रा ठीक उसकी माँग की मात्रा के बराबर होती है।
‘सामान्य मूल्य’ वह मूल्य है जो दीर्घकाल में सन्तुलन की स्थिति में विद्यमान होगा, यदि सब विघ्नकारक प्रभाव जो स्थायी मूल्य समायोजन में निरन्तर बाधा डालते रहे हैं, हटाये जा सकते हैं । परन्तु यह व्यावहारिक संसार में विघ्नकारक प्रभाव निरन्तर कार्य करते रहते हैं तथा उन्हें हटाया नहीं जा सकता हैं।
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