व्यापार चक्र से आप क्या समझते हैं? What do you means by trade cycles?
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व्यापार चक्र का अर्थ (Meaning of Business or Trade Cycle)
व्यापार चक्र (Business Cycles or Trade cycles) पूँजीवादी प्रणाली के अभिन्न अंग है। व्यापार चक्र एक अत्यधिक जटिल घटना है जो किसी एक तत्व से नहीं जुड़ी है। इसमें कई तत्त्वों का सम्मिश्रण है। आर्थिक क्रियाओं-उत्पादन, रोजगार, विनियोग तथा कीमतों में होने वाले उच्चावचनों के रूप में व्यापार चक्र देखे जाते हैं। ये उच्चावचन नियमित एवं निश्चित अवधि में प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था में उत्पन्न होते हैं। अर्थशास्त्री अभी इस समस्या की कोई व्यापक व्याख्या प्रस्तुत नहीं कर पाये हैं। पूँजीवाद आर्थिक प्रणाली की यह एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है कि इसमें समय-समय पर तेजी से और मंदी का प्रत्सावर्तन होता रहता है। इसे व्यापार चक्र कहते हैं।
व्यापार चक्र की परिभाषा (Definition of Trade Cycles)
व्यापार चक्र या व्यवसाय चक्र (Trade cycle or Business Cycle) की विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने विभिन्न रूपों में व्याख्या की है। कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं :
प्रो० मिचैल (W. C. Miotchell) के अनुसार, “व्यापर-चक्रों से अभिप्राय संगठित समुदायों की आर्थिक क्रियाओं में होनें वाले उच्चावचनों की श्रृंखला से होता है।”
प्रो० जेम्स आर्थर ईस्टे के शब्दों में, “इन चक्रीय उच्चावचनों में विस्तार एवं संकुचन की वैकल्पिक लहरें दृष्टिगोचर होती हैं। इन उच्चावचनों की लय स्थिर नहीं होती लेकिन वे चक्रीय इस अर्थ में होते हैं कि संकुचन एवं विस्तार की प्रावस्थाएँ बार-बार आवृत्त होती है और उनका स्वरूप लगभग समान ही होता है। चक्रीय उच्चावचनों की ये विशेषताएँ विशेषकर उन देशों में दृष्टिगोचर होती है जो कृषि की अपेक्षा ‘व्यवसाय’ पर अधिक आधारित होते हैं। विगत सौ वर्षों से ये चक्रीय उच्चावचन ब्रिटेन एवं अमरीका में विशेषकर घटित हो रहे हैं। “
प्रो० हैबरलर के अनुसार, “व्यापार चक्र सामान्य अर्थ में अच्छे और खराब व्यापार की परिवर्तित समृद्धि एवं मंदी अवधियों से है। “
प्रो० कीन्स ने इसे अधिक स्पष्ट करते हुए कहा है, “एक व्यापार-चक्र में दो प्रकार की व्यापार अवधियाँ होती हैं। (i) द्रुत एवं (ii) मंद। द्रुत व्यापार अवधि में कीमतें बढ़ती चली जाती हैं जबकि बेरोगारी का प्रतिशत घटता चला जाता है। इसके विपरीत, मंद-व्यापार अवधि में कीमतें घटती चली जाती है जबकि बेरोजगारी का प्रतिशत बढ़ता चला जाता है। “
उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि व्यापार चक्र किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की समस्त आर्थिक क्रियाओं में विस्तार तथा संकुचन का प्रत्यावर्तन (Alternate Expansion and contraction) होता है। इस प्रकार देश की कुल आर्थिक क्रियाओं में होने वाले उच्चावचनों को कुल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) औद्योगिक उत्पादक, रोजगार, विनियोग तथा कीमतों के सूचकांकों से मापा जा सकता है।
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