अल्पसंख्यकों के लिये राष्ट्रीय आयोग अधिनियम 1992 (The National Commission for Minorities Act, 1992)
भारतीय संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 29 में अल्पसंख्यकों के हितों की संरक्षण संबंधी मौलिक अधिकार उपबंधित हैं। अनुच्छेद 30 के अनुसार भारत के क्षेत्र या उसके किसी भाग में रहने वाले नागरिकों के किसी वर्ग जिसकी अपनी भिन्न भाषा, लिपि या संस्कृति है, उसे उन्हें संरक्षित रखने का अधिकार होगा। किसी नागरिक को किसी शैक्षिक संस्था, जो राज्य द्वारा चलायी जाती या राज्य फंडों से सहायता प्राप्त करती है, केवल धर्म, प्रजाति, जाति, भाषा या इनमें से किसी के आधार पर प्रवेश से इंकार नहीं करेगी। इसके अतिरिक्त अनुच्छेद 30 में अल्पसंख्यकों को शैक्षिक संस्थाओं को स्थापित करने तक उसका प्रशासन करने का अधिकार प्रदान करता है। इसके अनुसार सभी अल्पसंख्यकों को चाहे वे धर्म या भाषा पर आधारित हों उन्हें अपनी पसन्द की शैक्षिक संस्थायें स्थापित करने एवं प्रशासित करने का अधिकार होगा। इसके अतिरिक्त शैक्षिक संस्थाओं को सहायता देने से राज्य किसी शैक्षिक संस्था के साथ इस आधार पर भेदभाव नहीं करेगा कि वह एक अल्पसंख्यकों के के अन्तर्गत है, वह चाहे धर्म या भाषा पर आधारित हो।
उपर्युक्त मौलिक अधिकार संविधान निर्माताओं ने संविधान के पूर्व की स्थिति तथा विशेषकर भारत उपद्वीप के भारत तथा पाकिस्तान विभाजन को ध्यान में रखकर रखे थे। कदाचित इन्हीं कारणों से प्रेरित होकर भारतीय संसद ने अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय कमीशन . अधिनियम, 1992 पारित किया। इस अधिनियम को राष्ट्रपति की सम्मति 17-5-1992 को प्राप्त की। इस अधिनियम का प्रसार जम्मू एवं कश्मीर राज्य के सिवाय संपूर्ण भारत में है।
अधिनियम के अनुसार केन्द्र सरकार अल्पसंख्यकों के लिये राष्ट्रीय कमीशन स्थापित करेगी। इस कमीशन में अध्यक्ष तथा पाँच सदस्य होंगे। अध्यक्ष समेत पाँच सदस्य अल्पसंख्यक समुदायों के होंगे। अध्यक्ष तथा प्रत्येक सदस्य की पदावधि 3 वर्ष उस तिथि से होगी जब वह पद ग्रहण करता है। कमीशन के लिये एक सचिव तथा अन्य आवश्यक कर्मचारी सरकार उपलब्ध करायेगी।
कमीशन के कार्य निम्नलिखित होंगे-
(क) संघ तथा राज्यों के अन्तर्गत अल्पसंख्यकों के विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना,
(ख) संविधान तथा केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों द्वारा निर्मित विधियों में उपबंधित सुरक्षाओं के कार्यों की निगरानी करना,
(ग) अल्पसंख्यकों के हितों के संरक्षण के लिये सुरक्षाओं के प्रभावशाली कार्यान्वयन के लिये केन्द्र तथा राज्य सरकार को संस्तुतियाँ देना,
(घ) अल्पसंख्यकों के अधिकारों एवं सुरक्षाओं के वंचित होने की विनिर्दिष्ट शिकायतों को उपयुक्त प्राधिकारियों के पास ले जाना,
(ङ) अल्पसंख्यकों के साथ किसी प्रकार के भेदभाव होने से उत्पन्न समस्याओं का अध्ययन करना तथा उन्हें हटाने के लिये संस्तुति देना,
(छ) केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा अल्पसंख्यकों के संबंध में उपायों का सुझाव देना,
(च) अल्पसंख्यकों की सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक विकास से संबंधित मसलों पर अध्ययन, खोज एवं विश्लेषण करवाना,
(ज) अल्पसंख्यकों से संबंधित तथा विशेषकर उनके आगे आने वाली कठिनाइयों के बारे में आवधिक या विशेष रिपोर्ट केन्द्र सरकार को भेजना,
(झ) कोई अन्य मामला जो केन्द्र सरकार इसे निर्देशित करे ।
कमीशन प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिये अपने पूर्ण कार्यकलापों की रिपोर्ट तैयार करेगी तथा उसकी एक प्रतिलिपि सरकार को भेजेगी। केन्द्र सरकार वार्षिक रिपोर्ट को तथा संस्तुतियों पर की गई कार्यवाही के ज्ञापन समेत तथा लेखा रिपोर्ट को संसद के प्रत्येक सदन में रखवायेगी।
कमीशन के अध्यक्ष, सदस्यों एवं कर्मचारियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 21 के भीतर लोक सेवक माने जायेंगे।
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