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राजनीतिक विज्ञान की परम्परागत एवं आधुनिक परिभाषा | Traditional and Modern Definitions of Political Science
वर्तमान समय में राजनीति विज्ञान का अध्ययन बहुत ही आवश्यक हो गया है। इसका प्रयोग आधुनिक समय में समाज के प्रत्येक क्षेत्रों में किया जा रहा है। राजनीति शास्त्र को मुख्य रूप से पारम्परिक एवं आधुनिक में विभाजित किया गया है। इन्हीं दोनों के आधार पर राजनीति शास्त्र की परिभाषा, क्षेत्र एवं प्रकृति का निर्धारण किया जाता है।
राजनीति शास्त्र की परिभाषा- आधुनिक युग में राजनीति शास्त्र की परिभाषा और क्षेत्र को दो भागों में बांटा जा सकता है। पारंपरिक एवं आधुनिक। यहाँ हमें पारंपरिक परिभाषा एवं क्षेत्र पर विचार करना है।
परंपरागत परिभाषा – यूनानी शब्द (Polis) ‘पोलिस’ से राजनीति शब्द की उत्पत्ति हुयी है, जिसका तात्पर्य नगर राज्य है।
यह नगर राज्य राजनीतिक दृष्टि से एक सर्वोच्च एवं अंतर्भावी (Inclusive) संघ था। अत: परंपरागत रूप में राजनीति शास्त्र को नगर-राज्य विज्ञान की संज्ञा दी जा सकती है। परंपरागत राजनीति शास्त्र की परिभाषा अरस्तू ने दी है, जो अत्यंत ही व्यापाक है। उन्होंने राजनीति शास्त्र को एक शिखरस्थ विज्ञान (Master science) माना है, जो न केवल राज्य का, वरन् सामाजिक एवं नैतिक तत्वों का भी अध्ययन करता है। प्राचीन भारतीय विचारकों के अनुसार, राजनीति शास्त्र को ‘नृपशासन’ अथवा ‘राज्यशासन’ भी कहते थे, जो राजा को व्यावहारिक आदर्श सिखानेवाला तथा उसके आचरण का मार्गदर्शन करने वाला शास्त्र है। भारतीय विद्वान इसे दंडनीति के नाम से भी पुकारते थे। इसके अनुसार, सुव्यवस्थित जनसमुदाय ही राज्य था औ विद्या ऐसे राज्य और शासन तथा दंड का ज्ञान कराता था, उसे दंडनीति कहते थे।
राजनीति शास्त्र के परंपरागत रूप से परिभाषित करने वालों ने राजनीति शास्त्र को विभिन्न रूपों में देखा है।
(I) राज्य और सरकार दोनों के अध्ययन के रूप में – कुछ विद्वानों ने व्यापाक दृष्टिकोण का परिचय दिया है और बताया है कि राजनीतिशास्त्र वह विज्ञान है, जो राज्य और सरकार दोनों का अध्ययन करता है। ऐसे विद्वानों में पाल जेनेट, लॉस्की, गेटेल, गिलक्राइस्ट आदि के नाम आते हैं।
(II) राज्य के अध्ययन के रूप में- कुछ राजनीतिशास्त्री राजनीति शास्त्र को केवल राज्य के अध्ययन तक ही सीमित मानते हैं। फ्रांसीसी लेखक ब्लंट्शली, गार्नर, गेरिज (Garis), जेलिनेक (Jellineck), लेविस (Lewis), इत्यादि इस वर्ग के लेखकों में प्रमुख हैं। ब्लंट्रली ने राजनीति शास्त्र की परिभाषा देते हुए लिखा है, “राजनीतिशास्त्र वह विज्ञान है, जो राज्य से सम्बन्ध रखता है, जो राज्य की आधारभूत परिस्थितियों, उसकी प्रकृति, उसकी अभिव्यक्ति के विभिन्न रूपों, एवं उसके विकास के समुचित ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील रहता है।
(III) सरकार के अध्ययन के रूप में- कुछ विद्वान राजनीतिशास्त्र को सरकार के अध्ययन के रूप में ही देखते हैं। उनके अनुसार, राजनीतिशास्त्र केवल सरकार का अध्ययन है। इस वर्ग के विद्वानों में स्टीफेन, लीकॉक तथा सीले के नाम उल्लेखनीय हैं।
इस विवरण से स्पष्ट होता है कि पारंपरिक विद्वानों ने राजनीतिशास्त्र को राज्य और शासन का विज्ञान माना है, परन्तु उनकी परिभाषाओं के परिप्रेक्ष्य में राज्य के आधुनिक स्वरूप को समझना मुश्किल है। ये परिभाषाएँ एकांगी है। जबकि राजनीतिशास्त्र की आधुनिक परिभाषाओं में इसके व्यापक दृष्टिकोण का परिचय दिया गया है।
राजनीति विज्ञान का क्षेत्र
राजनीति विज्ञान के क्षेत्र को लेकर विद्वानों में मतभेद है। प्राय: अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से इसको दो भागों में विभाजित किया जाता है-
- परंपरावादी क्षेत्र तथा
- आधुनिक क्षेत्र
(I) परंपरावादी क्षेत्र – राजनीतिशास्त्र की परंपरा यूनान से शुरू होती है और यही कारण है कि राजनीतिशास्त्र की शुरुआत हम यूनानी भाषा के शब्द ‘पोलिस’ (Polis) से मानते हैं, जिसका अर्थ है ‘नगर राज्य’। स्पष्ट है कि प्रारंभ में राजनीतिशास्त्र का क्षेत्र भी नगर-राज्य तक सीमित था। प्राचीन यूनानी और हिंदू विचारकों के अनुसार राज्य का कार्य प्रजा का सर्वांगीण कल्याण समझा जाता था। एक तरफ प्लेटो और अरस्तू के राजनीति-विषयक ग्रंथों में आचारशास्त्र, वैधानशास्त्र, , अर्थशास्त्र आदि का समावेश पाया जाता है, तो कौटिल्य का ‘अर्थशास्त्र’ सम्पूर्ण राजनीतिशास्त्र की ही पुस्तक मानी जाती है। राजनीतिशास्त्र के परंपरागत क्षेत्र को हम निम्न रूप मैं रख सकते हैं-
(I) मनुष्य का अध्ययन- सामाजिक शास्त्र होने के नाते राजनीति शास्त्र भी मानव-जीवन के राजनीतिक पहलू का अध्ययन करता है। विस्तृत रूप से राजनीतिशास्त्र मनुष्य के अधिकारों, राज्य के प्रति उसके कर्तव्यों तथा मनुष्य एवं राज्य के सम्बन्धों का अध्ययन करता है।
(II) अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों का अध्ययन- प्राचीन काल से ही अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध का अध्ययन राजनीतिशास्त्र का विषय माना जाता रहा है।
(III) राज्य का अध्ययन- गुडनाव के विचारों के साथ शुरू करें, तो कहा जा सकता है कि राजनीतिशास्त्र राज्य नामक संस्था का अध्ययन है। जहां अन्य शास्त्र, जैसे विधिशास्त्र, अर्थशास्त्र इत्यादि राज्य के सीमित कार्यक्षेत्र का अध्ययन करते हैं, वहां राजनीतिशास्त्र राज्य का सांगोपांग अध्ययन करता है। राजनीतिशास्त्र राज्य के भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों रूपों का अध्ययन करता है।
(IV) सरकार का अध्ययन- चूंकि सरकार ही राज्य का मूर्त रूप है, अतः राजनीतिशास्त्र में सरकार के अंगों, संगठन एवं क्रियाकलाप का अध्ययन होता है।
उपर्युक्त विवरण से यह स्पष्ट हो जाता है कि राजनीति विज्ञान का एक विशाल व विस्तृत क्षेत्र है।
राजनीति विज्ञान की आधुनिक परिभाषा एवं क्षेत्र
आधुनिक युग में राजनीतिशास्त्र के अभाव में जिस नई विचाराधारा का जन्म हुआ है, उसे हम व्यावहारिक विचाराधारा के नाम से जानते हैं। आधुनिक राजनीतिशास्त्र केवल परंपरागत संस्थाओं राज्य, सरकार और समुदाय के अध्ययन पर ही बल नहीं देता, अपितु संस्थाओं के स्थान, कार्य तथा व्यवहार पर जोर देता है। आधुनिक राजनीतिशास्त्र मनुष्य के जीवन के विभिन्न पहलुओं के पारस्परिक प्रभावों का अध्ययन करते हुए यह बताने की कोशिश करता है कि विभिन्न पहलुओं में मनुष्य का राजनीतिक व्यवहार या क्रियाकलाप किस हद तक प्रभावित होता है।
आधुनिक विचारकों में लॉसवेल तथा कापलान, रार्बट, सिडनी वेब ब्रिटिश वेब, मैक्स वेबर, जार्ज कैटलिन, रार्बट डॉल, साइमन आदि के नाम लिए जाते हैं। इन लोगों ने राजनीतिक संस्थाओं, जैसे- विधानमंडल, न्यायपालिका और कार्यपालिका के अध्ययन पर तो बल दिया ही, पाथ-ही-साथ मानव-व्यवहारों का राजनीति में अध्ययन पर भी ज्यादा जोर दिया है। रॉबर्ट के अनुसार, “मानव-समुदाय पर शासन करने की कला को ही राजनीति कहते हैं। “
उपरोक्त विवरण से यह पता चलता है कि राजनीतिशास्त्र के व्यवहारिक पहलू को आधुनिक विचारकों ने अधिक स्पष्ट किया है। जिसके अंतर्गत न केवल राज्य एवं सरकार का अध्ययन आता है, वरन् उन सभी मानव समस्याओं का अध्ययन आ जाता है, जहां शक्ति (Power) संघर्ष (Struggle) और नियंत्रण (Control) प्रक्रियाओं के दर्शन होते हैं।
राजनीतिशास्त्र के क्षेत्र का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से किया गया है-
- आधुनिक राजनीतिशास्त्र मनुष्य के राजनीतिक क्रियाकलाप के साथ-साथ मानवीय व्यवहारों का भी अध्ययन करता है।
- आधुनिक राजनीतिशास्त्र सामाजिक मूल्यों का भी अध्ययन करता है।
- राजनीतिशास्त्र शक्ति का अध्ययन करता है।
- राजनीतिशास्त्र समस्याओं एवं संघर्षों का अध्ययन करता है।
- राजनीतिशास्त्र के अंतर्गत प्रभाव, सत्ता, वैधता, राजनीतिक अभिजन जैसी अवधारणाओं का भी अध्ययन किया जाता है।
निस्संदेह यह कहा जा सकता है कि आधुनिक राजनीतिशास्त्र की प्रकृति जहां मानवतावादी हो गई है, वहां इसका क्षेत्र इतना विशाल हो गया है कि इसके अन्तर्गत मनुष्य सम्पूर्ण रूप से समा जाता है।
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