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अवधारणा से आप क्या समझते हैं? अवधारणा की विशेषतायें एंव महत्व
अवधारणा का अर्थ एवं परिभाषा- तत्व एवं सिद्धांत की भांति वैज्ञानिक अध्ययन में अवधारणा का भी अपना विशिष्ट महत्व व उपयोगिता हैं जब कोई शोधकर्ता तथ्यों में अन्तः सम्बन्ध को देखता है अथवा एक निश्चित घटना या व्यवहार प्रतिमान को पृथक करने में सफल में होता है तो वह सम्पूर्ण स्थितियों को बहुत ही संक्षेप में एक दो शब्दों की सहायता से व्यक्त करने का प्रयत्न करता है। तथ्यों के एक वर्ग को इस संक्षिप्त अभिव्यक्ति को ही वैज्ञानिक अध्ययन में “अवधारणा” के नाम से पुकारा जाता है-
श्रीमती पी. वी. यंग ने अवधारणा की परिभाषा प्रस्तुत करते हुए लिखा है, “तथ्यों के प्रत्येक नये वर्ग को जिसे कि अन्य वर्गों से कुछ निश्चित विलक्षणताओं के आधार पर अलग कर लिया हो एक नाम या लेबल दे दिया जाता है जो कि अवधारणा कहलाता है। वास्तव में अवधारणा तथ्यों में एक वर्ग या समूह की एक संक्षिप्त परिभाषा है।” सेरिंग के अनुसार, “अवधारणा वे शब्द या संकेत होते हैं जो सिद्धान्त को शब्दावली प्रदान करते हैं और उसकी विषय-वस्तु को बतलाते हैं।
मिचैल के शब्दों में, “अवधारणायें एक विवरणात्मक गुण या संबंध की ओर संकेत करने वाला एक पद है।”
इसी प्रकार फेयरचाइल्ड के शब्दों में, “अवधारणायें वे विशिष्ट मौखिक संकेत हैं जो कि वैज्ञानिक निरीक्षण व चिंतन के आधार पर निकाले गये “सामान्यीकृत’ विचारों को दिये जाते हैं।’
अवधारणा की विशेषतायें
अवधारणा के उपर्युक्त अर्थ व परिभाषाओं के आधार पर अवधारणा की अधोलिखित व विशेषताओं का उल्लेख किया जा सकता है-
(1) अवधारणा तथ्यों के एक वर्ग या समूह की एक ऐसी संक्षिप्त परिभाषा होती है जिसे हम एक-दो शब्दों में व्यक्त कर सकते हैं। जैसे-संस्कृति, सभ्यता, नेतृत्व, समुदाय, समाज, बाल अपराध आदि ।
(2) अवधारणा किसी घटना या व्यवहार प्रतिमान की सम्पूर्ण व्याख्या नहीं बल्कि उसका एक संकेत मात्र है।
(3) अवधारणा का निर्माण “वैज्ञानिक निरीक्षण या चिन्तन” के आधार पर होता है। दूसरे शब्दों में अवधारणा एक अटकलपच्चू विचार व अनुमान मात्र नहीं होती है।
(4) अवधारणा का एक अर्थ से एक तार्किक आधार होता है और उसका निर्माण वास्तविक अवलोकन, व्यक्तिपरक ज्ञान व यथार्थ अनुभव के बल पर होता है।
(5) अवधारणा स्वयं सिद्धान्त का संक्षिप्त स्वरूप नहीं होता बल्कि तथ्यों के एक वर्ग की विशेषताओं को संक्षेप में बताने वाला होता है।
(6) अवधारणा अपने में अर्थयुक्त पद है क्योंकि यह तथ्यों के एक निश्चित समूह या वर्ग की एक संक्षिप्त परिभाषा होती है।
(7) अवधारणा में आवश्यकतानुसार परिवर्तन होता रहता है। नवीन ज्ञान के संचय होने, वैज्ञानिक व शोधकर्ता के दृष्टिकोण में परिवर्तन होने या तथ्यों के पारस्परिक सम्बन्धों का एक नया स्वरूप प्रकट होने के परिणामस्वरूप अवधारणाओं में परिवर्तन हो जाता है।
अवधारणा का महत्व या उपयोगिता
अवधारणा का महत्व व उपयोगिता इस बात से स्पष्ट होती है कि वह एक तथ्यों के एक वर्ग या समूह की एक संक्षिप्त परिभाषा होती है। दूसरे शब्दों में अवधारणा के माध्यम से एक घटना व प्रक्रिय को केवल एक-दो शब्दों द्वारा सरलतापूर्वक समझाया जा सकता है।
उदाहरण के लिए यदि किसी विद्यालय के छात्रों के एक वर्ग में कक्षा से भाग जाने की सामान्य प्रवृत्ति पायी जाती है तो इस सम्पूर्ण स्थिति को कक्षा पलायन की अवधारणा द्वारा समझाया जा सकता है। अवधारणा के महत्व तथा उपयोगिता को स्पष्ट करते हुए गुडेट एवं हाट ने लिखा है कि “अवधारणा को विकसित करने वाली प्रक्रिया इन्द्रियजनित बोध को प्राप्त करने व उससे निष्कर्ष प्राप्त करने में सहायक होती है।” इस प्रकार तथ्यों के एक वर्ग या समूह के गुणों को समझना, उनका अध्ययन करना, उन्हें व्यवस्थित करना या क्रमबद्ध व पृथक करना संभव होता है। तथ्यों के एक वर्ग व समूह में पाये जाने वाले गुणों को एक नाम प्रदान करने से विचार आगे बढ़ता हो जाता है। है। | अतः विचारों को पनपाने व आगे बढ़ाने के लिए अवधारणाओं का निर्माण जरूरी संक्षेप में कहा जा सकता है कि अवधारणा परिस्थिति या घटना विशेष का एक संक्षिप्त परिचय होती है जिसका प्रयोग सरला व सुविधा की दृष्टि से तथा उस परिस्थिति या घटना-विशेष के सम्बन्ध में एक सामान्य विचार शृंखला को पनपाने व विकसित करने के लिए उपयोगी सिद्ध होता है।
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