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उदारवाद का अर्थ, परिभाषा एवं सिद्धान्त | Meaning, Definition and Principles of Liberalism in Hindi

उदारवाद का अर्थ, परिभाषा एवं सिद्धान्त | Meaning, Definition and Principles of Liberalism in Hindi
उदारवाद का अर्थ, परिभाषा एवं सिद्धान्त | Meaning, Definition and Principles of Liberalism in Hindi

उदारवाद का अर्थ, परिभाषा एवं सिद्धान्त 

उदारवाद की अवधारणा आज की 20वीं शताब्दी की एक प्रभावशाली और प्रगतिशील चिन्तन प्रक्रिया है। उदारवाद ने मानव-समाज के एक बड़े भाग के इतिहास का निर्माण किया है। प्राय: सभी पश्चिमी देश उदारवाद विचारधारा से प्रभावित रहे हैं। इसने लोगों को महान राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तनों की प्रेरणा दी है। अतएव, यह धारणा सही है कि आधुनिक विचारधारा का इतिहास यूरोप में उदारवादी के विकास का इतिहास है। वर्तमान युग में उदारवाद को दो महान चुनौतियों-साम्यवाद और फांसीवाद का सामना करना पड़ा है। साम्यवाद आज भी एक राजनीतिक व्यवस्था के रूप में करोड़ों जन-जीवन को प्रभावित कर रहा है, हालांकि फासीवाद भी उदारवादी विचारधारा से संघर्ष करने में पीछे नहीं रहा। इसके अलावा, उदारवाद के रूप में आज बड़ी तेजी से परिवर्तन हो रहा है, क्योंकि राज्य तथा व्यक्ति के बीच के सम्बन्ध को आज, नए दृष्टिकोण से आँका जा रहा है। यही कारण है कि कभी-कभी उदारवाद के भविष्य को लेकर शंकाएँ उत्पन्न हो जाती हैं। इसके बावजूद आज की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विचारधाराओं में इसका प्रभाव सबसे अधिक है।

अर्थ तथा परिभाषा

उदारवार क्या है। चूँकि उदारवाद एक निश्चित और क्रमबद्ध विचारधारा नहीं है, इसलिए यह न तो किसी एक व्यक्ति के विचारों का परिणाम है और न किसी एक युग के साथ यह विचारधारा जुड़ी हुई है। यह एक ऐसी व्यापक अवधारणा है, जिसमें उन सभी दार्शनिकों के विचार सम्मिलित है, जिन्होंने निरंकुश राजतंत्र, मध्ययुग से चली आ रही सामंतवादी व्यवस्था तथा चर्च • के विशेषाधिकारों का विरोध किया है। इस स्थिति में उदारवाद की व्याख्या एक कठिन कार्य है। लॉस्की ने कहा है कि, “उदारवाद की व्याख्या करना या उसकी कोई साधारण सी परिभाषा देना सरल कार्य नहीं है, क्योंकि उदारवाद कुछ सिद्धान्तों का समूहमात्र नहीं है, वरन् मस्तिष्क में रहने वाला विचार भी है।”

मैक्सलर्नर – “शायद इस युग का सबसे विवादपूर्ण शब्द उदारवाद है।’

सारटोरी- “उदारवाद की अवधारणा इतनी बेडौल और परिवर्तनशील है कि इसे मनमाने अनुबन्धों की दया पर छोड़ देना चाहिए।” उसने पुन: कहा, “उदारवाद व्यक्तिगत स्वतंत्रता, न्यायिक सुरक्षा और सांविधानिक राज्य का सिद्धान्त और व्यवहार है।”

जी.एच. सेबाइन- “19वीं शताब्दी के तीसरे चरण के अन्त तक व्यक्तितवाद और उदारवाद में कोई विशेष भेद नहीं था। उस समय तक ये दोनों विचारधाराएँ व्यक्ति के जीवन में राज्य के हस्तक्षेप की विरोधी थीं। व्यक्ति के हित के स्थान पर समाज के कल्याण पर जोर दिया जाने लगा। यहाँ तक कि जनकल्याण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यक्तियों के जीवन में हस्तक्षेप करना या उस पर नियंत्रण रखना राज्य का आवश्यक कार्य बन गया। “

इस प्रकार, स्पष्ट है कि उदारवाद व्यक्तिवाद नहीं है। इसे हम व्यक्तिवाद का पर्यायवाची नहीं मान सकते। व्यक्तिवाद उदारवाद का अभिन्न अंग रहा है, क्योंकि ये दोनों विचारधाराएँ व्यक्तिगत जीवन में राज्य के हस्तक्षेप का विरोधी रही हैं, फिर भी दोनों में काफी अंतर है। उदारवाद लोकतंत्र भी नहीं है, क्योंकि डी टॉकविले ने कहा है कि उदारवाद का सम्बन्ध स्वतंत्रता से है, जबकि लोकतंत्र का सम्बन्ध समानता से। सारटोरी ने कहा है कि उदारवाद का सम्बन्ध राजनीतिक अधीनता, व्यक्तिगत पहलू और राज्य के स्वरूप से है जबकि लोकतंत्र का सम्बन्ध समानता, सामाजिक सम्बद्धता और कल्याणकारी नीति से है जिसके चलते उसने उदारवाद को लोकतंत्र शब्द से सम्बोधित यिका है। अतः, उदारवाद एक ऐसी विस्तृत विचारधारा है, जिसमें विभिन्न आदर्शों को समेट लिया गया है। डब्लू०एम० मैकगबर्न ने कहा है, “एक राजनीतिक ” सिद्धान्त के रूप में उदारवाद दो अलग-अलग तत्वों का मिश्रण है। इनमें एक लोकतंत्र है और दूसरा व्यक्तिवाद । “

उदारवाद के मूल सिद्धान्त

उदारवाद चूँकि बहुत-सी विचारधाराओं का संकलन है, इसलिए इसके कुछ सर्वमान्य निम्नलिखित मौलिक सिद्धान्त है-

1. मानवीय विवेक में आस्था- उदारवाद का प्रारम्भ मानवीय बुद्धि और विवेक में आस्था के साथ हुआ। इसने नवजागरण और धर्मसुधार आन्दोलन के माध्यम से प्रचलित अन्धविश्वासों और परंपराओं का विरोध किया।

2. इतिहास और परम्परा का विरोध- मध्ययुग में संस्थाओं या सिद्धान्तों को अन्धविश्वास और परम्पराओं के आधार पर अपनाया जाता था। उदारवाद इतिहास और परम्परा के खिलाफ एक विद्रोह था, जिसके चलते क्रान्तियाँ हुई। आज उदारवाद प्रगति और परिवर्तन शान्तिपूर्ण तरीके और सुधार के माध्यम से चाहता है।

3. मानवीय स्वतंत्रता की धारणा में विश्वास- उदारवादी विचारधारा के अनुसार मनुष्य जन्म से स्वतंत्र होता है। लॉस्की ने भी कहा है, “स्वतंत्रता के साथ इसका प्रत्यक्ष सम्बन्ध है, क्योंकि इसका उदय हो समाज के किसी वर्ग द्वारा जन्म या धर्म के आधार पर प्राप्त किए गए विशेषाधिकार का विरोध करने के लिए हुआ था। “

4. व्यक्ति साध्य और राज्य साधन है- व्यक्ति उदारवाद का केन्द्र है। उसके व्यक्तित्व का विकास सिर्फ राज्य ही कर सकता है।

5. राज्य कृत्रिम संस्था है- उदारवादी राज्य को न तो ईश्वरीय देन, न वर्ग-संघर्ष का परिणाम और न शक्ति का परिणाम मानते है, वरन् वे इसे एक कृत्रिम संस्था मानते हैं। ग्रीन और लॉस्की जैसे विद्वानों ने इस सिद्धान्त का समर्थन किया है।

6. व्यक्ति के प्राकृतिक अधिकार में विश्वास- उदारवादी व्यक्ति के प्राकृतिक अधिकार की धारणा में विश्वास करते हैं और कहते हैं कि जमीन, संपत्ति और स्वतंत्रता के अधिकार प्राकृतिक हैं।

7. लौकिकवाद में विश्वास- उदारवादियों ने चर्च को राज्य से अलग करने का विचार और प्रत्येक नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता की बात कही।

8. सीमित और सांविधानिक सरकार में विश्वास- चूँकि उदारवाद का प्रारम्भ राजनीतिक क्षेत्र में निरंकुश राज्यों के खिलाफ एक आन्दोलन के रूप हुआ, , इसलिए उदारवादी इस धारणा में विश्वास करते हैं कि सरकार की शक्ति सीमित है। संविधान के निश्चित नियमों के अंतर्गत उसे कार्य करना पड़ता है।

9. बहु- समुदाय समाज में विश्वास – उदारवादियों का कहना है कि समाज अनेक समुदायों का सामूहिक नाम है। मनुष्य अनेक समुदायों के सदस्य होते हैं।

10. लोकतांत्रिक पद्धति में आस्था – उदारवाद लोकतंत्र का प्राय: पर्यायवाची मान लिया जाता है, यद्यपि ये दो अलग-अलग धारणाएँ हैं। इसीलिए कभी-कभी उदारवाद के स्थान पर उदार लोकतंत्र शब्द का प्रयोग किया जाता है। उनकी मान्यता है कि सभी मनुष्य स्वतंत्र पैदा होते हैं, इसलिए उन पर शासन उनकी सहमति के बिना नहीं हो सकता है।

11. खुली बातचीत और ऐच्छिक सहयोग- खुली बातचीत और ऐच्छिक सहयोग उदारवादी शासन का मुख्य आधार है। वे अपने मतभेदों को आपसी बातचीत द्वारा दूर करना चाहते है।

12. अंतरराट्रीयता और विश्वशान्ति में आस्था – उदारवाद अपने को सिर्फ एक राष्ट्र की सीमा के अन्तर्गत ही नहीं बाँधता, वरन् सम्पूर्ण विश्व के लिए भी आदर्श प्रस्तुत करता है। वहाँ विश्वशान्ति, ‘भ्रातृत्व’, ‘जीओ और जीने दो’ आदि शान्तिपूर्ण आधारों को अपना प्रतीक मानता है।

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Anjali Yadav

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