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एकलव्य विद्यालय का विस्तारपूर्वक
एकलव्य विद्यालय (Eklavya School) एकलव्य एजुकेशन फाउंडेशन (Eklavya Education Foundation) की स्थापना का उद्देश्य भारत की विद्यालयी शिक्षा में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाना था। यह संगठन युवा प्रोफेशनल प्रशिक्षकों द्वारा स्थापित एक गैर सरकारी व अव्यावसायिक संगठन है।
इस संगठन का प्रारम्भ कोर एम्बलॉज (Core Embalage) नामक कम्पनी ने। 1996 में किया था जो अब एक स्वायत्त शासी संगठन है।
‘एकलव्य’ शिक्षा को अत्यन्त महत्वपूर्ण आधारित ढाँचे के रूप में मान्यता देता है। यह देश के नागरिकों की आर्थिक सम्पन्नता व खुशहाली का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विकासशील राष्ट्रों ने भी एक उपयुक्त रणनीति के तहत इन विद्यालयों में शिक्षा हेतु अत्यधिक निवेश किया है क्योंकि राष्ट्र के समक्ष जो समस्यायें व चुनौतियाँ हैं। उनका समाधान इस दीर्घावधि निवेश (शिक्षा में निवेश) द्वारा ही संभव है। आज राष्ट्र अपने नौनिहालों को जैसी शिक्षा प्रदान करेगा वह भावी पीढ़ी के शिशुओं के चरित्र व कौशलों की परिचायक होगी। इस आयु में दी गई शिक्षा ही व्यक्ति के मूल चरित्र का निर्माण करती है।
एकलव्य का उद्देश्य बहुआयामी उपागम के माध्यम से विद्यालयी शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए क्रान्तिकारी परिवर्तन लाना है। इसके लिए एकलव्य योजना द्वारा-
- उच्च गुणवत्तापूर्ण विद्यालयों की स्थापना व संचालन किया जायेगा तथा इन विद्यालयों में ऐसी शिक्षण परिस्थितियों का निर्माण किया जायेगा जिसमें उच्च गुणवत्ता पूर्ण प्रशिक्षण द्वारा प्रतिभाशाली लोगों को शिक्षा के क्षेत्र में आकर्षित किया जा सके।
- शैक्षिक प्रक्रियाओं में, अभिभावकों व समुदाय के अन्य सदस्यों की सहभागिता सुनिश्चित की जायेगी ।
- ‘एकलव्य’ द्वारा एक महत्वपूर्ण शिक्षा प्रदाता के रूप में सार्थक व आधुनिक तकनीकी को अपनाने हेतु प्रेरणा व सहायता दी जायेगी।
एकलव्य की संकल्पना ‘एक दूसरे के साथ मिलकर चलना है। यह संगठन उपदेश देने के बजाय अभ्यास पर बल देता है। यह नीति निर्माण के स्तर पर ही उच्च गुणवत्तायुक्त विद्यालयों, प्रभावी शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों और शिक्षण पद्धतियों में प्रदर्शनात्मक सुधार लाने का प्रयास करता है ताकि वांछित परिवर्तन संभव हो सके।
‘एकलव्य का मानना है कि हर बच्चा अद्वितीय होता है व उसमें जन्मजात प्रतिभा 4निहित होती है। विद्यालय व शिक्षकों का दायित्व है कि वह बच्चों पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देकर उसे उसकी इन छिपी प्रतिभाओं को खोजने में मदद करें।
बहुत वर्षों पूर्व इस संगठन का स्वरूप बहुत छोटा था। अच्छे लोग इसमें शामिल नहीं होना चाहते थे। लोगों को इस ओर आकर्षित करने के कई प्रयासों के बाद कोर के सदस्यों ने ‘मानव संसाधन विकास’ की संकल्पना को साकार करते हुए स्वयं से ही मानव ‘निर्माण’ (To Produce People From With in) का निश्चय किया तथा इस बात पर बल दिया कि “गुण तो व्यक्ति में पहले से ही निहित होते हैं। अवश्यकता तो उचित अवसर व सुविधाएँ प्रदान करने की ।
एकलव्य विद्यालय की शिक्षा प्रणाली व पाठ्यक्रम
एकलव्य फाउन्डेशन के अनुसार, बच्चों में सीखने की अद्भुत क्षमता होती है। उन्हें प्रारम्भिक अवस्था में इस प्रतिभा को उजागर करने हेतु उपयुक्त भाषों, उपयुक्त तकनीकी उपयुक्त कलाओं की शिक्षा देने की जरूरत होती है ताकि एक विशेष क्षेत्र में वे अपनी रुचि प्रदर्शित कर सके। इसे ध्यान में रखते हुए एकलव्य के मिडिल स्कूलों में कक्षा 5 से 8 तक की शिक्षा 10 से 13 वर्ष की आयु वाले बच्चों को दी जाती है। इन्हें विषयों की विविधता व खेलकूद व अन्य गतिविधियों के विभिन्न विकल्पों से भी परिचित कराया जाता है।
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