शिक्षाशास्त्र / Education

एकलव्य शिक्षा योजना क्या है? इसके उद्देश्य

एकलव्य शिक्षा योजना क्या है? इसके उद्देश्य
एकलव्य शिक्षा योजना क्या है? इसके उद्देश्य

एकलव्य शिक्षा योजना क्या है? इसके उद्देश्य की विवेचना कीजिए। 

एकलव्य शिक्षा संस्थान अथवा एकलव्य एजुकेशन फाउण्डेशन की स्थापना कोर एम्बलॉज नामक कम्पनी ने गुजरात के अहमदाबाद जिले में 1996 ई० में की थी। यह संगठन अलाभकारी दृष्टिकोण से युवा प्रोफेशनलों व व्यवसायी वर्ग द्वारा स्थापित किया गया एक गैर-सरकारी संगठन है जो व्यावसायिक आधुनिक व नैतिक संदर्भों को ध्यान में रखते हुए विद्यालयों व शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना करता हैं सन् 1996 में जब इस कॅम्पनी निवेश नीति बनायी तो उसमें महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया।

जैसे-

(1) कम्पनी की कमाई का पहला रूपया उत्पादन की पूरक लागत अर्थात अधिक मशीनों के क्रय हेतु पुनर्निवेशित किया जायेगा।

(2) कमाई का दूसरा रूपया अच्छे वेतन, अच्छी कार्यकारी परिस्थितियों के रूप में नियोक्ताओं का दिया जायेगा।

(3) कमाई का तीसरा रूपया अंशधारकों के पास जायेगा।

(4) कमाई का चौथा रूपया उस समाज को वापस किया जायेगा जहाँ से ये चारों रूपये कमाये गये बहुत लम्बे समय तक ‘चौथे रूपये को कैसे खर्च किया जाये’ विषय पर विवाद चलता रहा। अततः इस कोर ने निश्चय किया कि इस धन को अत्यन्त गुणवत्तायुक्त शैक्षिक संस्थानों की स्थापना व निर्माण पर खर्च किया जाये और तभी इस एकलव्य संगठन की स्थापना को समर्थन मिला।

एकलव्य संगठन का उद्देश्य एक बहुआयामी उमागम के माध्यम से विद्यालयी शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए एक क्रन्तिकारी परिवर्तन लाना हैं। इसके लिए ‘एकलव्य’ योजना द्वारा-

(i) उच्च गुणवत्तायुक्त विद्यालयों की स्थापना व संचालन किया जायेगा।

(ii) ऐसी शैक्षिक परिस्थितियों का निर्माण किया जायेगा जिससे उच्च गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण द्वारा प्रतिभाशाली लोंगो को शिक्षा के क्षेत्र में आकर्षित किया जा सके ।

(iii) शैक्षिक प्रक्रियाओं, अभिभावकों व समुदाय के अन्य सदस्यों की सहभागिता सुनिश्चित की जायेगी। ‘एकलव्य’ शिक्षा को अत्यन्त महत्वपूर्ण आधारित ढाँचे के रूप में मान्यता देता हैं यह देश के नागरिकों को आर्थिक सम्पन्नाता व खुशहाली देने हेतु राष्ट्र के नौनिहालों को ऐसी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए कटिबद्ध है। जिसमें भावी पीढ़ी के शिशु चरित्रवान व कुशल नागरिक बन सकेगें, विकासशील राष्ट्रों ने भी एक उपयुक्त रणनीति के तहत इन विद्यालयों में शिक्षा हेतु अत्यधिक निवेश किया हैं क्योंकि राष्ट्र के समक्ष जो समस्यायें व चुनौतियाँ हैं उनका समाधान इस दीर्घावधि निवेश (शिक्षा में निवेश) द्वारा ही संभव हैं।

‘एकलव्य’ का उद्देश्य बहुआयामी उपागम के माध्यम से विद्यालयी शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए एक क्रान्तिकारी परिवर्तन लाना हैं। इसके लिए ‘एकलव्य’ संगठन द्वारा कुछ उद्देश्य निर्धारित किये गये जिन्हें इस संगठन के निर्देशिक सिद्धान्त भी कहा जाता हैं।

(1) स्वयं खोजे जाने- सभी बच्चों को सर्वप्रथम स्वयं को जानने व सीखने का सतत् प्रयास करना चाहिए। शिक्षक की भूमिक केवल उसे इस प्रक्रिया को सीखने योग्य बनाना हैं।

(2) ‘स्वयं ज्योति’- ‘स्वयं ज्योति’ की भावना रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी कविता ‘एकला चलो रे’ में भी प्रतिबिम्बित हैं।

(3) अपनी राहु स्वयं चुनो- प्रत्येक व्यक्ति अपने कार्यों या कर्मों के द्वारा अपनी राह स्वयं निर्मित करता हैं। जो व्यक्ति यह विश्वास करता हैं कि राह स्वयं मिल जायेगी, वह उस अवसर व चुनौती से हाथ धो बैठता हैं जो उसे ‘स्वयं’ के भाग्य निर्माण कर अवसर देती हैं।

इस प्रकार एकलव्य विद्यालय का उद्देश्य प्रत्येक छात्र के शैक्षिक गतिविधियों, खेलकूद व संगीत, कला, गणित की शिक्षा को नवाचारी प(तियों द्वारा आनन्ददायी बनाना हैं। यह शिक्षा छात्रों में ‘एक उद्देश्य की भावना का समावेश करता हैं। तथा वे इस आनन्दप्रद प्रक्रिया द्वारा ज्ञान प्राप्त करते हैं। एकलव्य का भी उद्देश्य हैं कि छात्रों को बिना किसी तर्क व विभेद के समुचित शिक्षा मिल सके।

एकलव्य शिक्षण योजना के उद्देश्य

एकलव्य शिक्षण के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. समाज के सभी वर्गों के बच्चों, युवाओं व प्रौढ़ो में औपचारिक व अनौपचारिक के नये आयाम खोजना।
  2. शैक्षिक व अनुसंधान आधिकारियों को प्रशिक्षण करना।
  3. शिक्षा को रोजगार, उत्पादन का स्वरूप व समाज के वंचित वर्गों की आवश्यकताओं से जोड़ते हुए कृषि, वानिकी, तकनीकि, स्वास्थ रक्षा व सामाजिक कल्याण में शोध करना।
  4. समाज की संरचना व इसके विकास के लिए एक समुचित शिक्षण पद्धति व पाठ्यक्रम का विकास करना।
  5. औपचारिक व अनौपचारिक शिक्षा में क्षेत्र आधारित नवाचारी विचारों का परीक्षण करना।
  6. समाज में समस्या समाधान, कौशल, जिज्ञासा की भावना व वैज्ञानिक चिन्तन का विकास करना।
  7. शैक्षिक नवाचारों के विस्तार व गुणात्मक वृद्धि हेतु विभिन्ना प्रक्रियाओं व संगठनों की पहचान व उपयोग करना।
  8. औपचारिक व अनौपचारिक शिक्षा, सामाजिक विज्ञान के सभी क्षेत्रों, शुद्ध विज्ञान, भाषा व संचार के क्षेत्र में अनुसंधान करना।
  9. प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण व वैज्ञानिक प्रबन्धन की आवश्यकता व जागरूकता को दृष्टिगत रखते हुए विभिन्ना क्षेत्रों में पर्यावरणीय समस्याओं पर शोध करना।

एकलव्य नाम की व्याख्या (संगठन का नाम ‘एकलव्य’ क्यों)

बहुत वर्षों पूर्व इस संगठन का स्वरूप बहुत छोटा था व सभ्य लोग इसमें शामिल नहीं होना चाहते थे। लोगों को आकर्षित करने के कई प्रयासों के बाद, कोर के सदस्यों ने ‘मानव संसाधन ‘विकास’ की संकल्पना की साकार करते हुए ‘स्वयं से ही मानव निर्माण’ के विचार को सामने रखते हुए यह अनुभव किया कि गुण तो व्यक्ति में पहले से निहित होते हैं। आवश्यकता है तो उचित अवसर व सुविधाये प्रदान करने की और इसी संदर्भ में इस कोर को ‘एकलव्य’ नाम दिया गया। एकलव्य जोकि गुरू द्रोणाचार्य का शिष्य बनना चाहता था, परन्तु केवल क्षत्रिय राजाओं को धनुर्विद्या सिखाने की बाध्यता से द्रोणाचार्य ने उसे शिष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया। इस पर एकलव्य ने अपने गुरु द्रोणाचार्य की मिट्टी से मूर्ति बनाकर, उन्हीं से प्रेरणा लेते हुए स्वंय ही धुनविद्या सीखना शुरू कर दी। परिणामतः एकलव्य न केवल महान धनुर्धारी अर्जुन से भी महान यो(ए बना बल्कि अपने गुरु द्रोणाचार्य का प्रिय शिष्य भी बना तथाँ गुरू दक्षिणा के रूप में माँगें जाने पर अपने दायें हाथ का अंगूठा भी उन्हें दक्षिणास्वरूप दें दिया। इसी को ध्यान में रखते हुए इस कोर को ‘एकलव्य संगठन’ का नाम दिया व आशा की गई। इस शैक्षिक संगठन में शिक्षा प्राप्त करने वाला हर बालक व बालिका एकलव्य की तरह बने व सुदृढ़ देशभक्ति से ओतप्रोत होकर देश के तीव्र विकास में सहभागी बने।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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