निदर्शन चुनाव प्रणाली (विधि) पर टिप्पणी लिखिये।
निदर्शन चुनाव प्रणाली (विधि)- निदर्शन का चुनाव भी उत्तम निदर्शन का एक पक्ष है। यह एक तकनीकी प्रक्रिया है जिसके लिए अनुभवी एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों की आवश्यकता होती है। निदर्शन के चुनाव में हमें अग्रांकित प्रक्रिया से गुजरना होता है-
(1) समग्र का निर्धारण (Determination of Universe)- जिस समूह या क्षेत्र से निदर्शन का चुनाव किया जाता है, उसे समग्र कहते हैं। निदर्शन निकालने का सर्वप्रथम चरण है- समग्र को तय करना । समग्र दो प्रकार के हो सकते हैं— निश्चित और अनिश्चित। निश्चित समग्र की इकाइयों की संख्या एवं गांव तथा नगर की जनसंख्या एवं भौगोलिक सीमा तय करती है। उदाहरण के लिए, एक महाविद्यालय के छात्रों की संख्या एवं गांव तथा नगर की जनसंख्या और भौगोलिक सीमा निश्चित होती है। ऐसे समग्र में इकाइयों को हम निश्चित रूप से जान सकते हैं लेकिन कई बार समग्र की इकाइयां अनिश्चित होती हैं। उदाहरण के लिए, लक्स साबन का प्रयोग करने वाले एवं सरिता नामक पत्रिका के पाठकों की संख्या अनिश्चित है। अनिश्चित समग्र की भौगोलिक सीमा भी नहीं होती। ऐसे समग्र की अनिश्चितता का कारण इसकी निरन्तर परिवर्तनशीलता है। अतः निदर्शन के चुनाव से पूर्व हमें समग्र का निर्धारण कर लेना चाहिए। हमारा समग्र कोई भी भौगोलिक इकाई, गांव, नगर, संस्था, समुदाय एवं सामाजिक घटना हो सकता है।
(2) निदर्शन की इकाई का निर्धारण (Determination of Sampling Unit) – समग्र के निर्धारण के बाद दूसरा चरण निदर्शन की इकाइयों को तय करना है। हमें यह तय करना होता है कि हमारे निदर्शन की इकाई क्या होगी ? यह इकाई व्यक्ति, संस्था, परिवार, समूह, व्यवसाय और निवास क्षेत्र, आदि कुछ भी हो सकती है। निदर्शन की इकाइयां चार प्रकार की होती हैं-
- भौगोलिक इकाई, जैसे― एक राज्य, जिला, नगर, गांव एवं वार्ड, आदि।
- भवन सम्बन्धी इकाई, जैसे— परिवार, स्कूल, क्लब, चर्च एवं समिति, आदि ।
- समूह सम्बन्धी इकाई, जैसे- परिवार, स्कूल, क्लब, चर्च एवं समिति, आदि।
- व्यक्तिगत इकाई, जैसे- व्यक्ति, स्त्री, पुरुष, श्रमिक, छात्र, अध्यापक एवं कृषक, आदि।
इकाई सदैव स्पष्ट, भ्रमरहित, निश्चित एवं विषय के अनुरूप होनी चाहिए जो अध्ययनकर्ता को आसानी से उपलब्ध हो जाय ।
(3) स्रोत सूची (Source List ) — वह सूची जिसमें समग्र की समस्त इकाइयों के नाम होते हैं, स्रोत सूची कहलाती है। यह स्रोत सूची तैयार भी मिल सकती है और तैयार कराई भी जा सकती है। पार्टेन ने स्रोत-सूची प्राप्त करने के कई ठिकानों का उल्लेख किया है— जैसे जनगणना रिपोर्ट, टेलीफोन, डायरेक्ट्री, वेतन-वितरण सूची एवं करदाता, विद्यार्थियों, अध्यापकों, मकान मालिकों की सूचियां विभिन्न दफ्तरों से प्राप्त की जा सकती हैं। एक अच्छी स्रोत सूची के लिए यह आवश्यक है कि वह पूर्ण, नवीनतम, वैध, विश्वसनीय, विषयानुरूप एवं सरलता से प्राप्त की जाने वाली होनी चाहिए।
(4) निदर्शन का आकार निर्धारण (Determination of Sample Size) – निदर्शन प्रक्रिया का चौथा चरण निदर्शन के आकार का निर्धारण है। निदर्शन का आकार बहुत छोटा या बहुत बड़ा नहीं, वरन् समग्र की संख्या एवं प्रकृति के अनुरूप उपयुक्त होना चाहिए। निदर्शन के आकार का परिशुद्धता की मात्रा, समय, लागत तथा संगठन से सीधा सम्बन्ध है। निदर्शन का आकार क्या हो, यह कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे समग्र की सजातीयता एवं विषमता, अध्ययन की प्रकृति, अध्ययन की विधि, वर्गों की संख्या, समय एवं धन की उपलब्धि, परिशुद्धता की मात्रा, विश्वसनीयता एवं प्रामाणिकता आदि ।
(5) निदर्शन पद्धति का चुनाव (Selection of Sampling Method) – निदर्शन प्रक्रिया का अन्तिम चरण समग्र से निदर्शन निकालने की विधि का चयन करना है। निदर्शन पद्धति का चुनाव अध्ययन की समस्या, समग्र की प्रकृति, धन, समय एवं कार्यकर्त्ताओं की उपलब्धि एवं साधनों पर निर्भर करता है। निदर्शन पद्धति ऐसी हो जिसका प्रयोग आसानी से किया जा सके तथा निदर्शन निकालने में पक्षपात भी न आए। दैव निदर्शन, सविचार निदर्शन, स्तरित अथवा निर्दिष्टांश निदर्शन विधियों में से किस विधि का चुनाव किया जायेगा, यह निर्णय अनुसन्धानकर्ता को अपनी सूझबूझ एवं अनुसन्धान सम्बन्धी अपने अनुभव के आधार पर ना होता है।
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