HOME SCIENCE

प्रसव की अवस्थायें और प्रबन्ध | stages and management of Labour in Hindi

प्रसव की अवस्थायें और प्रबन्ध | stages and management of Labour in Hindi
प्रसव की अवस्थायें और प्रबन्ध | stages and management of Labour in Hindi

प्रसव की अवस्थायें और प्रबन्ध

शिशु जन्म या प्रसव की प्रमुख तीन अवस्थायें होती हैं-

1. प्रसव की प्रथम अवस्था (First Stage of Labour ) –

यह अवस्था प्रसव दर्द के प्रारम्भ होने से योनि के विस्तारण तक रहती है। इसलिए इस अवस्था को विस्तारम की अवस्था भी कहते हैं।

प्रसव की प्रथम अवस्था का संकेत निम्नलिखित बातों से मिलता है-

(i) योनि मार्ग से रक्त मिश्रित श्लेष्मा का निष्कासन, (ii) कमर दर्द तथा दर्द युक्त गर्भाशय संकुचन, (iii) एमनिओटिक द्रव का निष्कासन।

प्रसव की प्रथम अवस्था में गर्भाशय की मांसपेशियों में तीव्र संकुचन होता है जिससे उदर तथा कमर के नीचे वाले हिस्से में दर्द प्रारम्भ हो जाता है। प्रत्येक गर्भाशयिक पेशीय संकुचन के साथ भ्रूण का सिर नीचे योनि की ओर आने लगता है। पेशीय संकुचन से गर्भाशय का ऊपरी भाग कठोर हो जाता है तथा निचला भाग कोमल होकर फैल जाता है। अतः यह अवस्था योनि मार्ग के फैलाव की अवस्था है। इस अवस्था में शिशु बाहर आने के लिए मार्ग तैयार करता है। प्रसव की प्रथम अवस्था के दौरान योनि मार्ग जो सामान्य अवस्था में 1.25 सेमी ही खुल जाता है। इतने फैलाव में शिशु का सिर आसानी से बाहर निकल आता है।

प्रथम अवस्था की अवधि- जब किसी स्त्री का प्रथम प्रसव होता हैतो प्रथम अवस्था में अधिक समय लगता है। प्रथम प्रसव में यह अवधि लगभग 12 से 16 घंटे तथा बहुप्रसव में 6 से 8 घंटे होती है।

प्रसव का प्रबन्ध- प्रसव की प्रथम अवस्था में निम्नलिखित प्रबन्ध करने चाहिए-

(1) दर्द निवारक दवा देकर दर्द में आराम पहुंचाना चाहिए।

(2) यदि प्रथम अवस्था की अवधि अधिक हैतो इन्ट्रावीनस विधिसे ग्लूकोज सेलाइन देना चाहिए।

(3) निजीकरण की रोकथाम के लिए माँ को अधिक मात्रा में तरल पदार्थ लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

(4) गर्भवती को मानसिक रूप से ढाढस बंधाकर प्रसव के लिए तैयार करना चाहिए।

(5) गर्भस्थ शिशु के हृदय की धड़कन नोट करते रहना चाहिए जिससे गर्भस्थ शिशु को कोई हानि न हो।

2. प्रसव की द्वितीय अवस्था (Second Stage of Labour)

द्वितीय अवस्था योनि के पूर्ण विस्तारण से आरम्भ होकर शिशुजन्म होने तक रहती है, अतः यह शिशु जन्म की अवस्था है। इस अवस्था में गर्भस्थ शिशु माँ के शरीर से बाहर आता है, अतः इस अवस्था को निष्कासन की अवस्था भी कहते हैं। प्रथम अवस्था में गर्भाशय संकुचन से भ्रूण नीचे आ जाता है और योनि मार्ग फैल जाता है जैसे-जैसे गर्भाशय की पेशियों पर दबाव बढ़ता जाता है शिशु योनि मार्ग से बाहर आने का प्रयास करता है। फलस्वरूप कमर के निचले हिस्से में तीव्र पीड़ा होती है और पीड़ा के साथ सर्वप्रथम शिशु का सिर बाहर आता है फिर कंघेतथा शेषशरीर बाहर आता है। इस अवस्था में गर्भवती की नाड़ी की गति तेज हो जाती है। योनि मार्ग से बाहर आने पर शिशु बलपूर्वक अपनी भुजाओं व टांगों को घुमाता है और तेजी से रोता है।

द्वितीय अवस्था की अवधि इस अवस्था की अवधि प्रथम प्रसव में 1-2 घंटे तथा बहु प्रसव में आधा घंटे से कम होती है।

प्रसव का प्रबन्ध – इस अवस्था में निम्नलिखित प्रबन्ध करने चाहिए-

(1) गर्भवती को मानसिक सहारा प्रदान करना चाहिए।

(2) प्रत्येक 5 मिनट में गर्भस्थ शिशु के हृदय की धड़कन सुननी चाहिए। यदि गर्भस्थ शिशु के हृदय की दर 160 से अधिक और 100 प्रति मिनट से कम हो तो तुरन्त समुचित उपचार करना चाहिए।

(3) शिशु जन्म के साथ-साथ योनि मार्ग फैलता जाता है। गर्भस्थ शिशु का सिर जब योनि से बाहर आ जाये तो प्रत्येक संकुचन के दौरान शिशु के सिर को स्थिर रखना चाहिए अन्यथा सिर के हिलने-डुलने से योनि मार्ग अनावश्यक रूप से फैल सकता है।

(4) शिशु जन्म के समय यदि नाभि नाल गर्दन के आस-पास ढीले रूप में लिपटी हो तो उसे सिर एवं कंधों पर से फिसला कर निकाल देना चाहिए।

3. प्रसव की तृतीय अवस्था (Third Stage of Labour ) –

यह अवस्था शिशु जन्म के बाद से प्लेसेन्टा तथा अन्य झिल्लियों के पूर्ण निष्कासन तक रहती है। यह अवस्था गर्भाशय की सफाई की अवस्था है जब शिशु का जन्म हो जाता है तो प्लेसेन्टा पृथक हो जाने के बाद रक्त प्रवाह तेज हो जाता है और नाभि नाल लम्बी हो जाती है। गर्भाशयिक संकुचनों से लगभग दस से पन्द्रह मिनट में सभी पदार्थ जैसे- अपरास, नाभिनाल, श्लेष्मा, रक्त सभी बाहर आ जाते हैं। प्लेसेन्टा का निष्कासन पूर्ण रूप से हुआ है या नहीं यह जानने के लिए प्लेसेन्टा एवं झिल्लियों का परीक्षण किया जाता है। सम्पूर्ण पदार्थ बाहर आने पर योनि मार्ग को धोकर साफ किया जाता है और यदि योनि मार्ग फट गया हो तो टांके लगाये जाते हैं। शिशु जन्म के एक घण्टे बाद तक गर्भवतीका सूक्ष्म निरीक्षण किया जाता है तथा नाड़ी और रक्तचाप को देखा जाता है।

Important Link

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment