राजनीति विज्ञान / Political Science

स्त्रियों के राजनैतिक अधिकार | women’s political rights in Hindi

स्त्रियों के राजनैतिक अधिकार | women's political rights in Hindi
स्त्रियों के राजनैतिक अधिकार | women’s political rights in Hindi

स्त्रियों के राजनैतिक अधिकार 

स्त्रियों के राजनैतिक अधिकारों पर कन्वेंशन एक ऐसा महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो स्त्रियों के अधिकारों से सम्बन्धित प्रावधानों को धारण करता है। यह निम्नलिखित हैं-

(1) मतदान देने का अधिकार – कन्वेंशन का अनु. 1 इस बात का उल्लेख करता है कि स्त्रियाँ किसी भेद-भाव के बिना पुरुषों के साथ समान शर्तों पर सभी निर्वाचनों में मतदान करने की हकदारियी होती है। इसके समान ही स्त्रियों के विरुद्ध भेद-भाव की समाप्ति पर घोषणा के अनु. 4 के अधीन प्रत्याभूत किया गया है। यह प्रावधान करता है कि सभी समुचित । उपाय सभी निर्वाचनों में मतदान करने का अधिकार तथा सभी ज्ञापन में मतदान करने का अधिकार किसी भेद भाव के बिना तथा पुरुषों के साथ शर्तों को अभिनिश्चित करने के लिए किये। जायेंगे। स्त्रियों के विरुद्ध भेदभाव के सभी प्ररूपों की समाप्ति पर कन्वेंशन भी इस प्रकार के प्ररूपों को धारण करता है। कन्वेंशन का अनु. 7 यह प्रावधान करता है कि राज्य पक्षकारगण देश की राजनैतिक एवम् सार्वजनिक जीवन में स्त्रियों के विरुद्ध भेदभाव को समाप्त करने के लिए। सभी समुचित कार्यवाही करेंगे और विशेष तौर पर सभी निर्वाचनों में तथा सार्वजनिक ज्ञापनों में मतदान करने का अधिकार पुरुषों के साथ स्त्रियों का सुनिश्चित करने के लिए समुचित उपाय करेंगे। अतएव, मतदान करने का स्त्रियों का अधिकार भी पुरुषों के साथ समान शर्तों पर अन्तिम तौर पर निस्तारित किया जा चुका है। भारत वर्ष देश में वयस्क मताधिकार के सिद्धान्त का अनुसरण किया जाता है जिसके अधीन 18 वर्ष की आयु के सभी पुरुषों एवम् स्त्रियों को निर्वाचनों में मतदान करने के लिए हकदार माना जाता है।

( 2 ) निर्वाचन के लिए पात्रता – स्त्रियों के राजनैतिक अधिकार पर अनुच्छेद 11 प्रावधान करता है कि स्त्रियों के पास भी बिना किसी भेद-भाव के पुरुषों के साथ समान रूप से राष्ट्रीय विधि द्वारा स्थापित सार्वजनिक तौर पर चुने गये सभी निकायों के निर्वाचन के लिए पात्रता होगी लीक इसके समान स्त्रियों के विरुद्ध भेद-भाव की समाप्ति पर घोषणा का अनुच्छेद 4 यह प्रावधान करता है कि स्त्रियाँ सभी निर्वाचन के लिए पात्रता रखेगा। इसके सदृश्य ही प्रावधान स्त्रियों के विरुद्ध भेद-भाव के सभी प्ररूपों की समाप्ति पर कन्वेंशन के अनुच्छेद 17 के अधीन प्रावधान किया गया है।

( 3 ) सार्वजनिक कार्यालय को धारण करने का अधिकार – स्त्रियाँ किसी भेव-भाव के बिना पुरुषों के समान शर्तों पर राष्ट्रीय विधि द्वारा स्थापित किये गये सभी सार्वजनिक कृत्यों का अनुकरण करने के लिए तथा सार्वजनिक कार्यालय या पद धारण करने की हकदारिणी होगी। इसके समान ही प्रावधान इसके अनु. 4 के अधीन स्त्रियों के विरुद्ध भेद-भाव की समाप्ति की घोषणा में सम्मिलित किये जाते हैं जो कार्यालय को धारण करने तथा सार्वजनिक कृत्यों को करने का बिना किसी भेद-भाव के अधिकार को सुनिश्चित करने के उपाय किये जायेंगे।

ऐसे अधिकारों को विधान मण्डल द्वारा प्रत्याभूत कर दिया जायेगा। इसी तरह से स्त्रियों के विरुद्ध भेदभाव के सभी प्ररूपों की समाप्ति पर कन्वेंशन निम्नलिखित अधिकारों की पुरुषों के साथ समान शर्तों पर स्त्रियों को सुनिश्चित करने तथा देश के राजनैतिक तथा सार्वजनिक जीवन में स्त्रियों के विरुद्ध भेद-भाव को समाप्त करने के लिए राज्य पक्षकारों से समुचित कदम उठाने की अपेक्षा करता है।

(1) सरकारी नीति के सूत्रीकरण तथा उनके क्रियान्वयन में भागीदार होने तथा सार्वजनिक कार्यालय को धारण करने तथा सरकार के सभी स्तरों पर सभी सार्वजनिक कार्य करने का अधिकार।

(2) जीवन के सार्वजनिक तथा राजनैतिक जीवन से सम्बन्धित गैर सरकारी तथा सहयोजन में भागीदार होने का अधिकार।

(3) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने तथा अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के कार्य में भागीदार होने का अधिकार।

इस तरह से पर्याप्त प्रावधान राजनैतिक भागिता के क्षेत्र में विशेष तौर पर समानता के स्त्रियों के अधिकार की प्रोन्नति करने के लिए किये गये हैं। जैसे कि निर्वाचन में मतदान करने का अधिकार, निर्वाचन कराने की माँग करने के अधिकार का इतने पर भी, में स्त्रियों के स्तर पर आर्थिक एवम् सामाजिक परिषद तथा आयोग इसके समान ही कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करने तथा सार्वजनिक जीवन में स्त्रियों की नागरिक एवम् राजनैतिक शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए आई.एल.ओ. यूनेस्को, तथा अन्य सरकारी संगठनों के योगदान से प्रयास कर रहे हैं।

आगे और भी यह कि स्त्रियों के विकास के लिए देखने वाली नैरोबी रणनीतियाँ राजनैतिक भागीदारी तथा निर्णय करने में स्त्रियों की समता से सम्बन्धित निम्नलिखित सुझाव को निगमित करता है।

(1) सरकारों तथा राजनैतिक पक्षकारों को उन सभी निकायों के कार्य पालिकीय, विधावी तथा न्यायिक शाखाओं में उच्च पदों की स्त्रियों की नियुक्ति निर्वाचन तथा प्रोन्नति में समता प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय तथा स्थानीय विधायी निकायों में स्त्रियों द्वारा भागिता की समता को प्रेरित करने तथा सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रयासों को तेज गति प्रदान करनी चाहिए।

(2) सरकारों तथा दूसरे नियोजकों को लोक प्रिय भागिता के अनेक प्ररूपों के सम्बन्ध में स्त्रियों के सम्मिलित किये जाने पर तथा अपेक्षाकृत अधिक साम्यापूर्ण पहुँच तथा सीमा की ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए जो मानवाधिकारों की प्राप्ति तथा विकास में महत्त्वपूर्ण कारक हैं।

(3) सरकार को विधायी प्रशासनिक उपायों के माध्यम से राष्ट्रीय, राज्य तथा स्थानीय स्तरों पर कार्यरत निर्णय प्रक्रिया में स्त्रियों की भागिता को प्रभावकारी ढंग से सुरक्षा प्रदान करेगा।

(4) संयुग्मों की संख्या वृद्धि करने के सन्दर्भ में जिसमें दोनों भागीदारों को लोक सेवा में विशेषकर, विदेशी सेवा में, नियोजित किया जाता है, सरकारों को पुर्नमेलमिलाप करने वाले परिवार तथा व्यावसायिक कर्तव्यों के दृष्टिकोण से कर्तव्य स्टेशन को समनुदेशिक किये जाने के लिए वैवाहिक जोड़े की इच्छा विशेष तौर पर उनकी विशेष आवश्यकताओं पर विचार करने के लिए तर्क किया जाता है।

(5) स्त्रियों के राजनैतिक अधिकारों की जानकारी को अनेक चैनलों जिसमें औपचारिक, अनौपचारिक शिक्षा, राजनैतिक शैक्षणिक, गैर सरकारी संगठनों, व्यवसाय संघ प्रसारण माध्यम तथा कारोबार संगठनों की उन्नति किया जाना स्त्रियों का ध्यानाकर्षण किया जाना चाहिए तथा प्रेरित किया जाना चाहिए तथा पुरुषों के साथ समान शर्तों पर सभी स्तरों पर राजनैतिक प्रक्रिया में भाग लेने तथा चुने जाने के लिए तथा मतदान करने के लिए अपने अधिकारों का प्रयोग करने में एक दूसरे की सहायता करना चाहिए।

(6) राजनैतिक पक्षकारगण तथा व्यवसाय संघ के रूप में इस प्रकार के दूसरे संघटकों को अपने पदों के भीतर स्त्रियों की भागेदारी में वृद्धि करने तथा सुधार करने का एक विमर्शित प्रयास करना चाहिए।

(7) वे सरकारें जिन्होंने पहले से ही वैसा कार्य किया है को संस्थागत व्यवस्थापनों तथा प्रक्रियाओं को स्थापित करना चाहिए, जिसके परिणाम स्वरूप सर्वाधिक मेघ, कम से कम विशेषाधिकार प्राप्त तथा सर्वाधिक दमन के शिकार हुए समूह से उन सभी को सम्मिलित कर स्त्रियों के हिताधिकारों के समूहों के सभी प्रकार के प्रतिनिधगण राष्ट्रीय एवम् स्थानीय राजनीति विवादों तथा क्रिया कलापों के सूत्रीकरण, अनुश्रवण करने तथा मूल्यांकन का पुनर्विलोकन करने के सभी पहलुओं में क्रिया रूप से भागदारी हो सकता है।

(8) सरकारों को उपक्षेत्रीय, क्षेत्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय बैठकों के प्रतिनिधि मण्डलों पर सभी स्तरों पर उनके सरकार को व्यपदेशित करने के लिए अवसरों, भेद-भाव के बिना ही पुरुषों के साथ समान शर्तों पर स्त्रियों को सुनिश्चित करने हेतु सभी समुचित प्रयास करना चाहिए। इसके अलावा, स्त्रियों को संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर पदों को प्रस्तुत करने के निर्णय के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए।

राजनैतिक प्रक्रियाओं में स्त्रियों की भागिता को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय एवम् अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर किये गये अनेक प्रभाव तथा इन सभी सुझावों के बावजूद भी, सार्वजनिक जीवन में पुरुषों तथा स्त्रियों के बीच अभी भी बहुत बड़ा अन्तराल बना रहता है। स्त्रियाँ आज भी अनेक देशों में राजनैतिक एवम् आर्थिक निर्णय करने के उच्च स्तर पर एक बड़ी भूमिका अदा करती है। स्त्रियों के विकास के लिए आगे की दिशा में देखने वाली नैरोबी रणनीतियों ने 1995 के द्वारा नेतृत्व दशा में स्त्रियों के लिए 30 प्रतिशत सीटों के आवंटन के लिए अग्रिम सुझाव दिया।

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Anjali Yadav

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