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ई-मेल से आप क्या समझते हैं?
ई-मेल (E-mail)- प्रारंभिक नेटवर्कों पर कार्य करने वाले अन्वेषकों (researchers) ने महसूस किया कि नेटवर्क के माध्यम से दो व्यक्तियों के बीच ऐसा संचार (communication) करवाया जा सकता है जिसमें टेलीफोन संचार की गति और डाक सेवा जैसी विश्वसनीयता हो । एक कम्प्यूटर छोटे notes या लम्बे दस्तावेजों को किसी नेटवर्क पर अत्यधिक तीव्र गति से स्थानांतरित (transfer) कर सकता है। इस नवीन प्रकार की संचार सेवा (communication service) को electronic mail कहा गया। Electronic mail को उसके छोटे रूप e-mail से अधिक जाना जाता है।
ई-मेल वर्तमान समय में कम्प्यूटर के क्षेत्र में उपयोग में लाई जाने वाली सुविधा है। ई-मेल किसी भी एक व्यक्ति द्वारा विश्व के किसी अन्य स्थान पर बैठे एक या अधिक व्यक्तियों को भेजा जाने वाला लिखित संदेश है। यह पारम्परिक डाक सेवा की भांति ही कार्य करता है परन्तु इसके अनेक लाभ माने जाते हैं। सबसे प्रभावी लाभ यह है कि पारम्परिक डाक सेवा (conventional postal service) की अपेक्षा ई-मेल सेवा अत्यधिक तीव्र तथा सस्ती होती है। जहाँ पारम्परिक रूप से भेजी गई किसी भी डाक पर दूरी के हिसाब से अतिरिक्त व्यय (extra expenses) बढ़ते हैं वहीं ई-मेल में ऐसा कुछ नहीं होता है। आप पड़ोसी को ई-मेल भेजें या विश्व के किसी अन्य व्यक्ति को, ई-मेल में समान व्यय ही होता है। यह व्यय भी अत्यधिक कम होता है क्योंकि कोई भी ई-मेल कुछ ही सेकण्डों में अपने प्राप्तकर्ता के पास पहुँच जाता है।
ई-मेल के लाभ (Advantages of e-mail)
प्रतिदिन करोड़ों लोगों द्वारा काम में ली जाने वाली इण्टरनेट सुविधा ई-मेल ने बहुत जल्दी साधारण पत्र लेखन की जगह ले ली है। सामान्य डाक सेवा की तुलना में इस सुविधा के कई लाभ हैं-
(1) तीव्र (Fast) – ई-मेल के द्वारा दुनिया के किसी भी कोने में आपका message कुछ ही सैकण्डों में पहुँच जाता है। कई के software द्वारा आपकों यह भी पता चल जाता है कि ई-मेल पाने वाले (recipient) ने आपका ई-मेल पढ़ा है या नहीं। और यदि पढ़ लिया है तो कब पढ़ा है। इसमें ई-मेल भेजने वाले (sender) और ई-मेल पाने वाले (recipient) के मध्य की दूरी का समय पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है।
(2) आसान (Easy) – जब आप ई-मेल सुविधा को शुरू करते हैं तो आपको उन की list दिखाई देती है जो आपने receive किए हैं। आप एक-एक message को messages पढ़ कर यह तय कर सकते हैं कि आपको उस mail का प्रत्युत्तर देना है, delete करना है, save करना है या print करना है।
(3) अधिक सुविधाजनक (More convenient) – ई-मेल, पारम्परिक डाक सेवा (traditional mail) से अधिक सुविधाजनक है। यदि आपको कोई mail एक से अधिक लोगों तक पहुँचानी है तो आपको उस mail की फोटोकॉपी करवाने या कम्प्यूटर पर बार-बार type करने की आवश्यकता नहीं है। आप किसी भी mail को एक ही बार में एक साथ कई recipients तक पहुँचा सकते हैं।
(4) अधिक सस्ता (Cheaper) – यदि आप पारम्परिक डाक सेवा से कोई पत्र भेजते हैं तो आपको उसके लिए टिकिट खरीदने की आवश्यकता होती है। यह व्यय दूरी के हिसाब से बढ़ता जाता है। ई-मेल में व्यय का दूरी से कोई संबंध नहीं होता है। इसके लिए आपको उतना ही व्यय करना होता है जितना इण्टरनेट पर आपको समय लगता है। सामान्यतया ई-मेल करने में लगभग मात्र दो रु) का खर्चा आता है।
(5) मजेदार (It’s fun) – नए mail systems से आपको विश्व में नए मित्र बनाने का मौका मिलता है।
(6) अपनी mails को सुरक्षित करना संभव (Saving your mails) – यदि आप चाहें तो आप अपने द्वारा किसी को भेजी हुई mails को अपने mailbox में save करके भी रख सकते हैं। इससे आप भविष्य में यह जान सकते हैं कि आपने उस व्यक्ति विशेष को क्या mail किया था।
(7) कहीं भी पढ़ना संभव (Available anywhere) – पारम्परिक डाक सेवा में आपके पत्र सिर्फ आपके घर के पते पर ही आते हैं। यदि आप उस समय घर के बाहर गए हुए हैं, जब आपका पत्र आया है तो आप उसे वहाँ से लौट कर ही पढ़ पायेंगे। चाहे फिर वह पत्र कितना ही अधिक आवश्यक क्यों न हो। ई-मेल के साथ यह सुविधा होती है कि आप कहीं से भी उस mail को तुरन्त access कर सकते हैं अर्थात् अब आपका letter box हमेशा आपके साथ है।
(8) Online होना आवश्यक नहीं (Being online not compulsory) – टेलीफोन सेवा के विपरीत, ई-मेल करते समय दो व्यक्तियों को आपस में online (कम्प्यूटर से connected) रहने की आवश्यकता नहीं होती है।
ई-मेल कैसे कार्य करता है- सामान्य रूप से ई-मेल एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर भेजा जाने वाला electronic संदेश है। आप इसके साथ attachments की तरह व्यक्तिगत और व्यावसायिक message प्रेषित या प्राप्त कर सकते हैं, जैसे pictures या formatted documents आप computer programs भी भेज सकते हैं।
जैसे एक letter विभिन्न पोस्ट ऑफिसों पर रुकता है, वैसे ही ई-मेल भी एक कम्प्यूटर (जो कि mail server कहलाता है) से दूसरे पर pass होती है और इस प्रकार पूरे इण्टरनेट पर पहुँच जाती है। यह सम्पूर्ण कार्य मात्र कुछ seconds में पूर्ण हो जाता है और आपको किसी भी समय (दिन में या रात में) संसार के किसी भी व्यक्ति से तीव्र communication की अनुमति प्रदान करता है।
ई-मेल को भी उसी प्रकार से आगे भेजा जाता है जैसे इण्टरनेट पर अन्य data जाता ‘protocol आपके message को packets में तोड़ देता है। फिर IP protocol उन है। TCP packets को उनके गन्तव्य तक पहुँचाता है। उसके बाद एक बार फिर TCP protocol उन packets को receiving end पर एकत्रित कर देता है ताकि उस message को पढ़ा जा सके।
ई-मेल सुविधा में प्रत्येक user को एक mail box मिलता है जिसमें उसके पास आई हुई सारी mails एकत्र होती है।
जैसे कोई sender, माना जिसका e-mail id abc @rediffmail.com है, किसी दूसरे receiver, जिसका email id xyz@yahoo.com है, को mail करना चाहता है।
इस स्थिति में sender (abc) अपना e-mail client program use करके mail type करता है तथा उसमें आवश्यक जानकारी भी देता है, जैसे— To Subject, Cc, Bee आदि। जब वह इस mail को भेजता है तो यह पूरी mail, sender के mail server पर चली जाती है। यहाँ से receiver (xyz) के e-mail id में से hostname (yahoo.com) को check करके उसके पाने वाले mail server को search किया जाता है। यदि वह mail search मिल जाता है तो भेजा जाने वाला mail वहाँ transmit कर दिया जाता है। Receiver के mail server पर यह check किया जाता है कि वह mail किस user (xyz) के लिए आया है। यदि वह user (xyz) मिल जाता है तो उक्त mail को उस user के mail box में डाल दिया जाता है। यदि वह user नहीं मिलता अर्थात् उस नाम से कोई user उस server पर registered नहीं है तो उस mail को कुछ अतिरिक्त error reports के साथ पुनः भेजने वाले (abc) के mail box में डाल दिया जाता है। इसे Bounced Mail कहते हैं।
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