राजनीति विज्ञान / Political Science

नवमार्क्सवाद (Neo-Marxism)

नवमार्क्सवाद (Neo-Marxism)
नवमार्क्सवाद (Neo-Marxism)

नवमार्क्सवाद की विवेचना कीजिए।

नवमार्क्सवाद – नवमार्क्सवाद उन विचारों का समूह है जो मार्क्सवाद से जुड़े हुए चिंतन में एक नए मोड़ का संकेत देता है। इस चिंतन-शैली की शुरुआत बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में इतालवी मार्क्सवादी एंटोनियो ग्राम्शी (1891-1937) की विश्लेषण-पद्धति से हो गई थी। इसका विस्तृत विवेचन अधिकांशतः ‘फ्रैंकफर्ट स्कूल’ की छत्रछाया में प्रस्तुत किया गया जिसने राजनीति- चिंतन के अंतर्गत आलोचनात्मक सिद्धान्त को बढ़ावा दिया। संक्षेप में, यह मार्क्सवाद की कुछ मान्यताओं से हटकर नई दिशाओं सोचने का ढंग हालांकि यह किसी बंधे-बँधाए दृष्टिकोण के साथ नहीं बँधा है। देखा जाए तो मार्क्सवाद अपनी पुरानी मान्यताओं से हटकर जिन नई-नई दिशाओं में विकसित हुआ है, उन्हें सामूहिक रूप से नवमार्क्सवाद की संज्ञा दी जाती है। कुछ भी हो, यह मार्क्सवाद की कुछ बुनियादी मान्यताओं में अपना विश्वास कायम रखता है। उदाहरण के लिए यह समाज के वर्ग-चरित्र का खंडन नहीं करता, परन्तु वर्ग संघर्ष को केवल आर्थिक मुद्दों पर पूंजीपति और कामगार वर्गों का सीधा टकराव नहीं मानता। यह समकालीन समाज में विभिन्न स्तरों पर-जैसे कि आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक स्तरों पर-प्रभुत्व और पराधीनता के गूढ़ तरीकों का विश्लेषण करता है। यह पूंजीवाद का विरोधी है, और उसके निराकरण के लिए कुल संकल्प है। परन्तु यह पूंजीवाद को केवल उत्पादन के साधनों के निजी स्वामित्व पर आधारित आर्थिक प्रणाली के रूप में नहीं देखता, बल्कि एक विसतृत आर्थिक-राजनीतिक- सांस्कृतिक प्रणाली के रूप में देखता है, और इस विश्लेषण के संदर्भ में मनुष्य की स्वतंत्रता की समस्या पर विचार करता है।

पूंजीवादी विचारधारा और संस्कृति के प्रभुत्व को क्षीण करने के लिए नवमार्क्सवाद एक विरोधी संस्कृति या प्रति संस् ति के विकास को बढ़ावा देता है। फिर, इसमें परम्परागत मार्क्सवाद से जुड़े हुए ऐतिहासिक भौतिकवाद से हटकर चेतना को मार्क्सय सामाजिक विश्लेषण के मुख्य घटक के रूप में देखा जाता है। कुछ नवमार्क्सवादी मार्क्स के चिंतन के उन तत्वों से प्रेरणा प्राप्त करते हैं, जो प्रत्यक्षतः जी.डब्ल्यू. एफ. हेगेल (1770-1831) के विचारों पर आधारित हैं, जैसे कि अलगाव का विश्लेषण, द्वंद्वात्मकता की संकल्पना और एक महान् युग की ओर इतिहास की प्रगति – यात्रा । परन्तु कुछ नवमार्क्सवादी मार्क्सवाद को हेगेल के विचारों से पृथक् करके नवमार्क्सवादी मार्क्सवाद को हेगेल के विचारों से पृथक् करके अस्तित्ववाद और संरचनावाद की ओर ले जाते हैं, और इन्हीं को मार्क्सवाद की सही व्याख्या मानते हैं।

समकालीन नवमार्क्सवाद के व्याख्याकारों में थ्योडोर एडोनों (1903-69), मैक्स हार्खाइमर (1895-1973), लुई आल्थ्यूजर (1918 ’90), एरिक फ्रॉम (1900-80), ज्यां पाल सार्त्र (1905-80), हर्बर्ट मार्क्यूजे (1998-1979) और युर्गेन हेबरमास का योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

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Anjali Yadav

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