शिक्षण विधियाँ / METHODS OF TEACHING TOPICS

प्रयोगशाला विधि (Laboratory Method) | प्रयोगशाला विधि के गुण | प्रयोगशाला विधि के दोष

प्रयोगशाला विधि (Laboratory Method) | प्रयोगशाला विधि के गुण | प्रयोगशाला विधि के दोष
प्रयोगशाला विधि (Laboratory Method) | प्रयोगशाला विधि के गुण | प्रयोगशाला विधि के दोष

प्रयोगशाला विधि (Laboratory Method)

प्रयोगशाला विधि की परिभाषा एक विद्वान ने इस प्रकार की है, “प्रयोगशाला विधि से हमारा अर्थ है कि छात्रों को किस प्रकार सिखाया जाना चाहिये कि छात्रों को स्वयं प्रयोग करने का अवसर मिले। शिक्षक उनकी क्रियाओं का निरीक्षण करे और छात्रों से निरीक्षण के आधार पर लिखित कार्य करवाये। इस प्रकार सिखाने में छात्र निश्चित रूप से सक्रिय रहते हैं। सम्भवतः इस प्रकार छात्र जितने सक्रिय रहते हैं, उतने किसी अन्य कार्य विधि द्वारा सिखाने में नहीं रहते। प्रयोग प्रदर्शन •विधि का सबसे बड़ा दोष यह है कि इसमें प्रयोग का कार्य केवल शिक्षक द्वारा ही होता है, शेष समस्त कक्षा के छात्र निष्क्रिय बैठे रहते हैं। इस दोष का निराकरण प्रयोगशाला विधि द्वारा ही होता है। प्रत्येक बालक स्वयं प्रयोग करता है तथा अपने प्रयत्नों द्वारा परिणाम तक पहुँचने का प्रयास करता है।

प्रयोगशाला विधि के गुण

  1. यह विधि बालकों को वैज्ञानिक विधि का प्रशिक्षण प्रदान करती है।
  2. इस विधि में कक्षा के समस्त बालक सक्रिय होकर निश्चित लक्ष्य तक पहुँचने का प्रयास करते हैं।
  3. छात्र मान्य वैज्ञानिक परिणामों की स्वयं जाँच करते हैं। अतः वे उनके मस्तिष्क में पूर्णतया स्पष्ट हो जाते हैं। वे एक खोजी के रूप में कार्य करते हैं।
  4. बालक प्रयोग तथा परीक्षण द्वारा समस्याओं को हल करने का प्रयास करते हैं।
  5. उनमें उत्तरदायित्व की भावनाओं का विकास होता है।
  6. बालकों की निरीक्षण शक्ति का विकास होता है।

प्रयोगशाला विधि के दोष

1. प्रत्येक छात्र के लिये अलग-अलग उपकरणों की व्यवस्था करना इसे व्ययपूर्ण बना देता है।

2. इसमें छात्रों का पर्याप्त समय नष्ट होता है, क्योंकि प्रत्येक छात्र सफलतापूर्वक प्रयोग नहीं कर सकता।

3. जूनियर स्तर पर इसका उपयोग सफलतापूर्वक नहीं हो सकता।

4. मन्द-बुद्धि छात्र उपकरणों की तोड़-फोड़ अधिक करते हैं।

5. रावतअग्रवाल के अनुसार प्रयोग-पद्धति में दक्षता प्राप्त कर लेने का कोई विशेष लाभ अधिकांश छात्रों के लिये नहीं होता, क्योंकि आगामी जीवन में कदाचित ही उन्हें इसका उपयोग करने का अवसर मिले।”

प्रयोगशाला विधि के सुझाव 

प्रयोगशाला विधि का प्रयोग करते समय निम्न सावधानियाँ रखी जायें-

  1. अध्यापक को चाहिये कि वह छात्रों द्वारा प्रयोग करते समय उनका उचित मार्गदर्शन तथा निरीक्षण करे।
  2. कक्षा में पढ़ाते समय जो समस्यायें उपस्थित होती हैं, उनका समाधान प्रयोगशाला में ही किया जाना चाहिये।
  3. प्रयोग करने के बाद वाद-विवाद किया जाये।
  4. प्रयोगशाला में जाने से पूर्व एवं अध्यापक तथा छात्रों के मध्य वाद-विवाद होना चाहिये।
  5. छात्रों को प्रयोग करने के लिये बाध्य नहीं किया जाये वरन् उनमें प्रयोग करने के प्रति रुचि उत्पन्न की जानी चाहिये ।
  6. शिक्षकों को स्वयं सक्रिय रहना चाहिये ।
  7. प्रत्येक छात्र को व्यक्तित्व रुचि से प्रयोग करने का पूरा-पूरा अवसर दिया जाना चाहिये।

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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