शिक्षण विधियाँ / METHODS OF TEACHING TOPICS

समस्या विधि (Problem Method) | समस्या विधि के गुण | समस्या विधि के दोष

समस्या विधि (Problem Method) | समस्या विधि के गुण | समस्या विधि के दोष
समस्या विधि (Problem Method) | समस्या विधि के गुण | समस्या विधि के दोष

समस्या विधि (Problem Method)

यह विधि आर्मस्ट्रांग की ह्यूरिस्टिक विधि के आधार पर ज्ञात की गयी है। इस विधि के अनुसार कक्षा के वाद-विवाद के द्वारा विद्यार्थियों के सामने समस्या प्रस्तुत की जाती है, जिससे वे उसके समाधान को ज्ञात करने के लिये तैयार हो जाते हैं। समस्या का समाधान हो जाने पर उसकी तृप्ति होती है। समस्या को विद्यार्थियों की आवश्यकता पर आधारित होना अनिवार्य है। समस्या विधि को सफल बनाने हेतु समस्या विद्यार्थी के स्तर की होनी चाहिये और उनकी आवश्यकता को पूरा करना चाहिये। समस्या विद्यार्थियों के अनुभवों पर आधारित होनी चाहिये तथा उसका समाधान करने के लिये आवश्यकता का अनुभव करे। समस्या कठिनाई के क्रम में होनी चाहिये। पहली समस्या सरल, दूसरी कुछ कठिन, तीसरी अधिक कठिन होनी चाहिये। एक प्रमुख समस्या के अन्तर्गत बहुत-सी समस्यायें प्रस्तुत की जा सकती हैं। प्रत्येक समस्या एक-दूसरे से सम्बन्धित होनी चाहिये । समस्या वाद-विवाद पर आधारित होनी चाहिये। विद्यार्थी समस्या में रुचि तभी लेंगे, जब समस्या रुचिकर हो। समस्या विधि को आवश्यकता के अनुसार बदला जा सकता है।

समस्या विधि के गुण

1. इस विधि के द्वारा विद्यार्थी जो भी ज्ञान प्राप्त करते हैं, वह ‘करके’ अथवा क्रिया के द्वारा अपने प्रयास से प्राप्त करते हैं। विद्यार्थी स्वयं तथ्यों की जाँच-पड़ताल तथा खोज करते हैं, जिस कारण प्राप्त किया हुआ ज्ञान उनके मस्तिष्क में स्पष्ट तथा दृढ़ हो जाता है।

2. इस विधि के द्वारा विद्यार्थियों का दृष्टिकोण वैज्ञानिक बन जाता है और उनमें शिक्षण तथा जिज्ञासा की भावना का विकास होता है। वे किसी सहायता के बिना ही विभिन्न रहस्यों को समझने का प्रयत्न करते हैं।

3. इस विधि के प्रयोग द्वारा शिक्षक पूरी कक्षा के सम्पर्क में आता है। वह सभी विद्यार्थियों के व्यक्तिगत कार्य की देखभाल करता है।

4. यह विधि विषयों को सरल, बोधगम्य बनाती है।

5. इस विधि में शिक्षक अनेक उपयोगी शिक्षण सूत्रों का प्रयोग करता है।

6. यह विधि विद्यार्थियों के दृष्टिकोण को तार्किक बना देती है

7. इस विधि के द्वारा विद्यार्थियों में आत्म-निर्भरता की भावना का विकास होता है।

8. यह विधि विद्यार्थियों को पर्याप्त क्रियाशील रहने का अवसर प्रदान करती है।

समस्या विधि के दोष

  1. यह विधि प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों के लिये पूरी तरह व्यर्थ है, क्योंकि प्राथमिक कक्षा में विद्यार्थियों को प्रत्येक बात अनुसन्धान के द्वारा नहीं बतायी जा सकती है।
  2. विद्यार्थी कक्षा में निष्क्रिय बैठे रहते हैं तथा शिक्षक सक्रिय रहता है।
  3. इस विधि में विद्यार्थी सम्पूर्ण कार्य कक्षा में ही कर लेते हैं। ऐसी स्थिति में गृहकार्य का प्रश्न ही नहीं उठता।
  4. इस विधि में तथ्यों को खोजने के लिये अधिक समय की आवश्यकता होती है।
  5. यह विधि केवल उन विद्यालयों में अपनायी जा सकती है, जहाँ विद्यार्थियों की संख्या कम हो।
  6. यह विधि व्ययपूर्ण है।

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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