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भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता | Unity in Diversity of Indian Culture in Hindi

भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता | Unity in Diversity of Indian Culture in Hindi
भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता | Unity in Diversity of Indian Culture in Hindi

 “भारतीय संस्कृति की विशिष्टता विविधता में एकता है।” कथन की विवेचना कीजिए।

भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता (Unity in Diversity of Indian Culture)

भारतीय संस्कृति की विशिष्ट या अनन्य विशेषता विविधता में एकता है। उसकी एक विशेषता ने ही इसे अनन्त काल से अब तक जीवित रखा है। भारत में प्रजाति, धर्म, संस्कृति एवं भाषा की दृष्टि से अनेक भिन्नतायें पाई जाती है। इन मिन्नताओं के होते हुए भी सम्पूर्ण राष्ट्र में एकता के दर्शन होते हैं। इस सन्दर्भ में सर हर्बर्ट रिजले ने उचित ही लिखा “भारत में धर्म, रीति-रिवाज और भाषा तथा सामाजिक और भौतिक विभिन्नताओं के होते हुए भी जीवन की एक विशेष एकरूपता कन्याकुमारी से लेकर हिमालय तक देखी जा सकती है। वास्तव विचारों तथा में भारत का एक अलग चरित्र एवं व्यक्तित्व है जिसकी अवहेलना नहीं की जा सकती।” सी० ई० एम० जोड ने विविधता में एकता के सम्बन्ध में लिखा है, “जो भी कारण जातियों के अनेक तत्त्वों में समन्वय, अनेकता में एकता उत्पन्न करने की भारतीयों की योग्यता एवं तत्परता ही मानव जाति के लिए भारत की विशिष्ट देन रही है।” भारत के समाज व संस्कृति के जिन क्षेत्रों में विविधता में एकता के दर्शन होते हैं वे क्षेत्र निम्नलिखित हैं –

(1) ऐतिहासिक विविधता में एकता (Unity in Historical Diversity)

प्राचीन काल से ही भारत में विभिन्न धर्मों एवं प्रजातियों के लोग आते रहे हैं। उनके इतिहास में भिन्नता का होना स्वाभाविक ही है, किन्तु अब वे भारत में स्थायी रूप से बस गये तो उन्होंने एक समन्वित संस्कृति एवं सामान्य इतिहास का निर्माण किया।

(2) प्रजातीय विविधता में एकता (Unity in Racial Diversity)

प्रजातीय दृष्टि से भारत को विभिन्न प्रजातियों का अजायबघर अथवा द्रवण-पात्र कहा गया है। जहाँ विश्व की प्रमुख तीन प्रजातियों- श्वेत, पीत एवं काली तथा उनकी उप-शाखाओं के लोग निवास करते हैं। उत्तरी भारत में आर्य प्रजाति और दक्षिण भारत में द्रविड़ प्रजाति के लोगों का बाहुल्य है। प्रजातीय भिन्नता होने पर भी यहाँ अमेरिका व अफ्रीका की भाँति प्रजातीय संघर्ष एवं टकराव नहीं हुआ है, वरन् उनमें पारस्परिक सद्भाव और सहयोग ही रहा है। भारत में विभिन्न प्रजातियों का मिश्रण भी हुआ है, अतः इसे प्रजाति मिश्रण का द्रवण- पात्र भी कहते हैं।

(3) भौगोलिक विविधता में एकता (Unity in Geographical Diversity)

भौगोलिक दृष्टि से भारत में अनेक विभिन्नतायें व्याप्त हैं। यह उष्ण एवं समशीतोष्ण कटिबन्धों की जलवायु का प्रदेश है। चेरापूँजी में वर्ष में लगभग 600 इंच वर्षा होती है तो दूसरी ओर राजस्थान के थार के मरुस्थल में 5 इंच से भी कम वर्षा होती है। अधिक उपजाऊ तथा कम उपजाऊ दोनों ही प्रकार के प्रदेश यहाँ पाये जाते हैं। उत्तर में हिमालय पर्वत हैं, उसके बाद मैदानी भाग हैं और दक्षिण भारत एक पठारी एवं प्रायद्वीपीय प्रदेश है। इन विविधताओं के बावजूद भी सम्पूर्ण देश भौगोलिक दृष्टि से एक इकाई का निर्माण करता है। देश की प्राकृतिक सीमाओं ने इसे अन्य देशों से अलग किया है और यहाँ के देशवासियों में एक क्षेत्र में निवास करने की भावना जागृत की है, उनमें एकता एवं जन्मभूमि के प्रति अगाध प्रेम पैदा किया है। “माता भूमि पुत्रों अहं पृथिव्या” (पृथ्वी मेरी माँ है और मैं इसका पुत्र हूँ) “जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ (जिस धरती पर जन्म लिया है वह स्वर्ग से भी प्यारी आदि अवधारणाओं ने इस देश में एकता, राष्ट्र भक्ति, त्याग और बलिदान की भावना पैदा की है।

(4) धार्मिक विविधता में एकता (Unity in Religious Diversity)-

भारत विभिन्न धर्मों की जन्म भूमि है। हिन्दू, जैन, बौद्ध एवं सिख धर्मों का उदय भारत में हुआ तथा इस्लाम और ईसाई धर्म विदेशों से यहाँ आये। प्रत्येक धर्म में कई मत-मतान्तर एवं सम्प्रदाय पाये जाते हैं और उनके नियमों एवं मान्यताओं में अनेक विविधताएँ हैं। इतना होने पर भी विभिन्न धर्मावलम्बी सदियों से भारत में एक साथ रह रहे हैं। ऊपरी तौर पर इन धर्मों में हमें भिन्नता दिखाई देती है, किन्तु सभी के मूल सिद्धान्तों में समानता है। सभी धर्म अध्यात्मवाद, ईश्वर, नैतिकता, दया, ईमानदारी, पाप-पुण्य, स्वर्ग-नरक, सत्य, अहिंसा, आदि में विश्वास करते हैं। देश के विभिन्न भागों में स्थित तीर्थ स्थानों ने विभिन्न धर्म के लोगों में एकता का संचार किया तथा धार्मिक सहिष्णुता एवं समन्वय की भावना ने भी एकीकरण में योग दिया। प्राचीन काल से ही भारत में धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में आत्मसात एवं पर- संस्कृतिग्रहण की प्रक्रियाओं द्वारा परिवर्तन होता रहा है। आर्य एवं द्रविड़ संस्कृतियों का यहाँ पूर्व-काल में समन्वय हुआ, उसके बाद इस्लाम एवं ईसाई संस्कृतियों का। मुगल शासकों के समय में हिन्दू एवं इस्लाम धर्मों का समन्वय हुआ। अकबर ने दीन-ए-इलाही धर्म चलाया जिसमें हिन्दू एवं इस्लाम का समन्वय था। नानक एवं कबीर पन्थ में भी ऐसा ही समन्वय है। हिन्दू, इस्लाम, ईसाई, जैन, बौद्ध एवं सिख धर्मों के लोगों के देश के विभिन्न भागों में साथ-साथ रहने से भारत में एक मिश्रित संस्कृति का विकास हुआ।

(5) सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता में एकता (Unity in Socio-Cultural Diversity)

भारत में विभिन्न क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों के परिवार, विवाह, रीति-रिवाजों, वस्त्र-शैली आदि में पर्याप्त भिन्नता पायी जाती है, उसके बावजूद भी भारतीय समाज व्यवस्था एवं संस्कृति में एकता के दर्शन होते हैं। संयुक्त परिवार प्रणाली, जाति-प्रथा, ग्राम पंचायत, गोत्र व वंश-व्यवस्था भारतीय समाज के आधार रहे हैं। अध्यात्मवाद, ईश्वर, धार्मिक कर्मकाण्ड, पुनर्जन्म, स्वर्ग-नरक आदि में सभी भारतीयों का विश्वास है। सामाजिक एवं धार्मिक उत्सवों एवं त्योहारों का प्रचलन सामान्य रूप से सारे देश में रहा है। हिन्दुओं एवं मुसलमानों में परस्पर कला, धर्म, खान-पान, वस्त्र-शैली, भाषा एवं साहित्य आदि के क्षेत्र में आदान-प्रदान होने के कारण समन्वय स्थापित हुआ है। भारत के विभिन्न लोगों में हिन्दुओं के तीर्थ स्थल हैं। हिन्दुओं के अतिरिक्त जैन, बौद्ध और सिख धर्मों के पवित्र स्थल भी यहाँ विद्यमान हैं। सम्पूर्ण देश में शास्त्रीय संस्कृति के कुछ विशिष्ट तत्त्व पाये गये हैं। भारत की सांस्कृतिक विरासत कई संस्कृतियों के समन्वय का एक जीवित उदाहरण है। वर्तमान में भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा सभी लोगों के जीवन स्तर के उन्नत बनाने का यहाँ प्रयत्न किया गया है।

(6) भाषायी विविधता में एकता (Unity in Language Diversity)

भारत में कई प्रकार की भाषाओं एवं बोलियों का प्रचलन आदिकाल से ही रहा है। हिन्दी, उर्दू, कश्मीरी, पंजाबी, सिन्धी, गुजराती, राजस्थानी, बिहारी, उड़िया, असमी, मराठी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ एवं मलयालम आदि भाषायें भारत में विभिन्न भागों में बोली जाती है। भाषा की इस विविधता के बावजूद भी सभी भाषाओं पर संस्कृत का प्रभाव होने के कारण उनमें एकरूपता पायी जाती है। एक भाषा बोलने वाले लोग देश के विभिन्न भागों में बसे पैदा हैं। त्रिभाषा फार्मूले के अन्तर्गत शिक्षण संस्थाओं में छात्रों को हिन्दी, अंग्रेजी एवं एक अन्य प्रान्त की भाषा सिखायी जाती है। इससे विभिन्न भाषा-भाषियों के बीच एकता के भाव भारतीय संविधान में भी हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया गया है।

(7) राजनीतिक विविधता में एकता (Unity in Political Diversity )

राजनीतिक दृष्टि से भी भारत में विविधता और एकता रही है। अंग्रेजों के पूर्व सामन्तों के विभिन्न राज्य रहे हैं। प्रथम बार अंग्रेजों के समय में सारे देश पर एक ही सत्ता का शासन कायम हुआ। स्वतन्त्रता के बाद सारे देश में एक ही प्रजातन्त्रीय सरकार की स्थापना हुई विभिन्न प्रान्तों में प्रान्तीय सरकारें हैं। दूसरी ओर प्रान्तों ने मिलकर भारत संघ का निर्माण किया है। इस प्रकार राजनीतिक दृष्टि से भी भारत एक इकाई है। इस एकता का प्रदर्शन चीन एवं पाकिस्तान के आक्रमण के दौरान हुआ जब सभी भारतवासी एक राष्ट्र के रूप में उठ खड़े हुए। सम्पूर्ण देश के लिए एक ही संविधान बनाया गया। संविधान में सभी नागरिकों के लिए समान मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गई है, विशेषाधिकारों का अन्त कर दिया है, समाज के पिछड़े एवं दुर्बल वर्गों तथा निम्न जातियों एवं जनजातियों के कल्याण हेतु विशेष सुविधाओं का प्रावधान किया गया है। देश में समान कानून की व्यवस्था की गई है। इन सब प्रयत्नों से देश एकता के सूत्र में बँध गया है।

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Anjali Yadav

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