मानवाधिकारों के संरक्षरण के लिए कौन-कौन से प्राथमिक निकाय गठित किये गये हैं?
मानवाधिकारों के संरक्षण के लिये निम्न प्राथमिक निकाय गठित किये गये हैं-
(1) संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग- मानव अधिकारों से सम्बन्धित संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रावधानों को क्रियान्वित करने के मानव अधिकारों से सम्बन्धित संयुक्त राष्ट्र के ऐसे प्राथमिक निकाय मुख्य रूप उद्देश्य से एवं इस हेतु मानव अधिकारों को एक अन्तर्राष्ट्रीय बिल तैयार करने का दायित्व महासभा ने आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् को दिनांक 29-1-1946 को सौंपा। इसके लिए परिषद् ने एक कमीशन की नियुक्ति की। कमीशन की स्थापना के निबन्धनों के अनुसर कमीशन को निम्नलिखित विषयों पर अपनी रिपोर्ट देने तथा संस्तुतियाँ तैयार करने के लिए कहा गया था –
- मानव अधिकारों पर अन्तर्राष्ट्रीय बिल के सम्बन्ध में ।
- सिविल स्वतन्त्रताओं, महिलाओं की प्रास्थिति, सूचना की स्वतन्त्रता तथा अन्य समान विषयों पर अन्तर्राष्ट्रीय घोषणाओं एवं प्रसंविदाओं को तैयार करने के सम्बन्ध ।
- अल्पसंख्यकों के संरक्षण के सम्बन्ध में ।
- धर्म, लिंग, भाषा, प्रजाति या धर्म के अधार पर भेदभाव रोकने के सम्बन्ध में।
- (v) मानव अधिकारों से सम्बन्धित अन्य मामलों के सम्बन्ध में।
2006 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की जगह मानवाधिकार परिषद का गठन कर दिया गया है और आयोग के समस्त अधिकार एवं कार्यों को परिषद को सौंप दिया गया है। इसी प्रकार वर्तमान संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग का अस्तित्व समाप्त हो गया है।
(2) मानवाधिकारों का संयुक्त राष्ट्र केन्द्र- मानवाधिकारों का संयुक्त राष्ट्र केन्द्र जिनेवा में स्थापित किया गया है। सन् 1993 में वियना में हुये मानवाधिकारों के विश्व सम्मेलन में अपनाई गयी वियना घोषणा एवं कार्यवाही के प्रोग्राम में यह बल दिया गया कि मानवाधिकारों के संयुक्त राष्ट्र केन्द्र को सुदृढ़ बनाया जाए। संयुक्त राष्ट्र केन्द्र के निम्नलिखित कार्य हैं-
(i) किसी विषय का अध्ययन करना व रिपोर्ट तैयार कराना तथा उसे प्रकाशित कराना;
(ii) राष्ट्रों की सरकारों को सलाहकारी सेवाएँ एवं तकनीकी प्रदान करना;
(iii) संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कमीशन, उप-कमीशन, मानवाधिकार समिति तथा भेदभाव समाप्त करने वाली समिति आदि के लिए कर्मचारियों की व्यवस्था करना;
(iv) संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंगीकार या स्वीकार किये गये मानवाधिकारों एवं उनसे सम्बन्धित प्रोग्रामों के क्रियान्वयन का पर्यवेक्षण करना;
(v) संयुक्त राष्ट्र महासभा एवं आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् तथा संयुक्त राष्ट्र के अन्य अंगों को सारवान सेवाएँ एवं दस्तावेज उपलब्ध कराना आदि।
(3) मानवाधिकारों का संयुक्त राष्ट्र हाई कमिश्नर – दिनांक 20.12.1993 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा प्रस्ताव संख्या 48/141 पारित किया गया जिसमें उसने मानवाधिकारों के संयुक्त राष्ट्र उच्च कमिश्नर के पद का सृजन करने का निर्णय लिया जो मानवाधिकारों के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र के कार्यों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उच्च कमिश्नर की नियुक्ति महासभा के अनुमोदन पर संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की जाती है जिसका कार्यकाल चार वर्ष का होता है। उच्च कमिशनर अपनी अपनी वार्षिक रिपोर्ट कमीशन को प्रेषित करता है एवं ऐसी ही एक वार्षिक रिपोर्ट आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् के माध्यम से महासभा को प्रेषित करता है। उच्च कमीशनर के पद के सृजन के समय महासभा द्वारा उपरोक्त प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया था कि उच्च कमिश्नर अपने कार्य निष्पक्ष, विषय-वस्तु तथा गैर-चयानात्मक करेगा तथा इस पद पर ऐसे ‘व्यक्ति की नियुक्ति की जायेगी जिसकी उच्च नैतिक प्रतिष्ठा एवं उच्च व्यक्तिगत निष्ठा हो तथा उसे मानवाधिकारों के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त हो। इस पद पर नियुक्त किये जाने वाले व्यक्ति को विभिन्न संस्कृतियों का समुचित ज्ञान भी होना चाहिए। उच्च कमिश्नर का मुख्य कार्यालय जिनेवा में है तथा इसकी एक शाखा न्यूयार्क में है।
इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति के लिए महासभा ने दिनांक 14.2.1994 को सर्वसम्मत से जोस आवाला लास्सो के नाम से अनुमोदन किया जो पूर्व में इक्वेडर के संयुक्त राष्ट्र में अपने देश के स्थायी प्रतिनिधि थे। उन्होंने अपना पद दिनांक 5.4.1994 को ग्रहण कर लिया। इस पद पर संयुक्त राष्ट्र का 1.47 मिलियन डालर प्रतिवर्ष खर्चा होगा।
उच्च कमिश्नर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के निर्देशों एवं प्राधिकार के अधीन सिविल, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं सामाजिक अधिकारों के विषय-वस्तु उपभोग की प्रोन्नति तथा संरक्षण करेगा एवं वर्तमान बाधाओं को हटाने तथा मानवाधिकारों की पूर्ण प्राप्ति की चुनौतियों को सम्पूर्ण विश्व में दूर करने में एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने में सक्रिय भूमिका अदा करेगा। इसके अलावा उच्च कमिश्नर के उत्तरदायित्वों में निम्नलिखित भी सम्मिलित होंगे-
(i) मानवाधिकारों के तन्त्र को सुदृढ़ एवं सुनिश्चित करना;
(ii) मानवाधिकारों के प्रति सम्मान सुनिश्चित करने हेतु सभी राष्ट्रों की सरकारों से संवाद स्थापित करना;
(iii) मानवाधिकारों के सम्बन्ध में सम्पूर्ण संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में जिसमें संयुक्त राष्ट्र शिक्षा एवं लोक सूचना प्रोग्राम भी सम्मिलित है, मानवाधिकारों की प्रोन्निति एवं संरक्षण कार्यों में समन्वय स्थापित करना;
(iv) समस्त सिविल, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं सामाजिक अधिकारों की प्रोन्नति करना तथा उनके प्रभावशाली उपभोग का संरक्षण करना;
(v) मानवाधिकार केन्द्र का पुनरीक्षण करना;
(vi) मानवाधिकारों की प्राप्ति में आने वाली समस्त बाधाओं को दूर करना तथा इनसे सम्बन्धित चुनौतियों का समाना करने में एक सक्रिय भूमिका अदा करना;
(vii) राष्ट्रों के अनुरोध पर उन्हें सलाह देने सम्बन्धी सेवाएँ प्रदान करना एवं तकनीकी व आर्थिक सहायता प्रदान करना; तथा
(viii) मानवाधिकारों की प्रोन्नति एवं संरक्षण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि हेतु समुचित एवं प्रभावकारी कदम उठाना आदि।
(4) महिलाओं की प्रास्थिति पर संयुक्त राष्ट्र कमीशन – महिलाओं की प्रास्थिति T पर 1946 में आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् द्वारा एक कमीशन की नियुक्ति की गयी। यह कमीशन परिषद् की एक कार्यकारी परिषद् है। इस कमीशन में मूलत: 15 सदस्य थे। इसके बाद इसके सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 21 एवं 32 की गयी जो अन्ततः 45 कर दी गयी। इन सदस्यों का चयन आर्थिक एवं सामाजिक परिषद द्वारा तीन वर्ष के लिए किया जाता है। मानवाधिकारों के संयुक्त राष्ट्र कमीशन की भाँति महिलाओं की प्रास्थिति पर कमीशन अपने प्रस्ताव स्वयं पारित करता है, तथा आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् द्वारा स्वीकार या अंगीकार किये जाने हेतु प्रारूप एवं घोषणाओं की संस्तुति करता है। कमीशन के प्रति वर्ष तीन सप्ताह के दो सत्र होते हैं। प्रत्येक सत्र के पश्चात् कमीशन अपनी रिपोर्ट आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् को प्रेषित करता है।
महिलाओं की प्रास्थिति पर नियुक्त किये गये इस कमीशन के निम्नलिखित कार्य होते हैं-
(i) राजनीतिक, आर्थिक, सिविल, सामाजिक तथा शैक्षिक अधिकारों के क्षेत्र में महिलाओं के क्षेत्र में महिलाओं की प्रास्थिति पर कमीशन आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् को प्रेषित करने हेतु अपनी रिपोर्ट एवं संस्तुतियाँ तैयार करता है।
(ii) महिलाओं के अधिकारों के क्षेत्र में इस सिद्धान्त के क्रियान्वयन करने के उद्देश्य से कि पुरुष एंव महिलाओं के समान अधिकार होंगे, यह कमीशन आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् को अपनी रिपोर्ट एवं संस्तुतियाँ प्रेषित करता है या महिलाओं की अत्यावश्यक समस्याओं की ओर परिषद् का ध्यान आकर्षित करती है तथा ऐसे प्रस्ताव विकसित करती है जिससे ऐसी संस्तुतियों को क्रियान्वित किया जा सके।
(5) भेदभाव रोकने एवं अल्पसंख्यकों के संरक्षण हेतु संयुक्त राष्ट्र उप-कमीशन – संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कमीशन का प्रथम सत्र 1947 में हुआ जिसमें उसने भेदभाव रोकने एवं अल्पसंख्यकों के संरक्षण हेतु एक उप-कमीशन नियुक्त किया परन्तु बाद में सन् 1949 में कमीशन ने इस उप-कमीशन के कार्य-क्षेत्र में वृद्धि कर दी जिसके अनुसार में उप-कमीशन के कार्य-क्षेत्र की परिधि निम्नलिखित होगी-
(i) सौंपे गये विषय के सम्बन्ध में मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को ध्यान में रखते हुए अध्ययन करना तथा मानव अधिकारों एवं मूल स्वतन्त्रताओं के सम्बन्ध में किसी भेदभाव के बारे में संस्तुतियाँ देना तथा प्रजातीय, राष्ट्रीय, धार्मिक एवं भाषायी अल्पसंख्यकों का संरक्षण।
(ii) आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् अथवा मानवाधिकारों के संयुक्त कमीशन द्वारा सौंपे गये किसी अन्य कार्य को करना ।
मानवाधिकार कमीशन द्वारा नियुक्त किये गये भेदभाव को रोकने एवं अल्पसंख्यकों के संरक्षण के उप-कमीशन में 26 सदस्य होते हैं जिनका चयन सामान्यतया तीन वर्षों के लिए किया जाता है। उपकमीशन के सदस्य अपनी व्यक्तिगत हैसियत से कार्य करते हैं न कि अपने राष्ट्रों के सदस्यों के रूप में। यह उप-कमीशन अपने प्रत्येक सत्र के बाद अपनी एक रिपोर्ट कमीशन को प्रेषित करता है।
(6) अन्य निकाय- मानवाधिकारों से प्राथमिक रूप से सम्बन्धित अन्य संयुक्त राष्ट्र निकाय भी हैं जैसे उपनिवेश की समाप्ति पर 24 की विशेष समिति, जातीय भेदभाव के विरुद्ध विशेष समिति, अधिकृत क्षेत्रों के जनसंख्या के मानवाधिकारों को प्रभावित करने वाला इजराइली अभ्यासों की जाँच करने हेतु विशेष समिति, फिलिस्तीनी लोगों के असंक्रमणीय अधिकारों के उपभोग की समिति, जातीय भेदभाव की समाप्ति पर समिति, मानवाधिकारों की समिति, शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्च कमिश्नर आदि ऐसे ही अन्य निकाय हैं जो किसी-न-किसी रूप में मानवधिकारों से प्राथमिक रूप से सम्बन्धित है।
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