परियुद्ध की परिभाषा
युद्ध की कुछ परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-
लॉरेन्स के शब्दों में, “युद्ध राज्यों अथवा राज्यों तथा जातियों के बीच सरकारी शक्ति द्वारा किया गया संघर्ष है जिसका उद्देश्य शान्तिपूर्ण सम्बन्धों को समाप्त करके उनके स्थान प शत्रुता की स्थापना करना है।”
वैस्टलेक के शब्दों में, ” युद्ध सरकारों की वह स्थिति है जिससे वे सेना द्वारा स्पर्धा करती है।”
रूसो के अनुसार, “राज्यों में शक्ति का परीक्षण ही युद्ध है।”
हॉफमैन निकलसन के शब्दों में, ” युद्ध ऐसे मानवीय समूहों में किया जाने वाला संगठित बल प्रयोग है जो विरोधी नीतियों के धारणाकर्ता होते हैं और जिसमें प्रत्येक अपनी नीति को दूसरे पर थोपने का प्रयत्न करता है।”
क्विसीराइट के अनुसार, “युद्ध व्यापक रूप से, स्पष्ट रूप से भिन्न परन्तु एक तरह की इकाइयों के मध्य हिंसात्मक सम्पर्क होता है।” संकीर्ण अर्थ में “युद्ध से अर्थ उस कानूनी स्थिति से है, जो दो या उससे भी अधिक विरोधी समूहों में सैनिक संघर्ष के संचालन की समान रूप से आज्ञा देती है।”
ओपेनहीम के शब्दों में, “युद्ध सशस्त्र सेनाओं द्वारा दो या दो से अधिक राज्यों के मध्य संघर्ष है जिसका उद्देश्य एक-दूसरे पर अधिकार जमाना और जैसे विजयी राज्य चाहे उसी अनुसार शान्ति की शर्त दूसरे पर थोपना होता है।”
प्रो. मेलिनोस्की के अनुसार, “युद्ध राजनीतिक इकाइयों के बीच का सशस्त्र संघर्ष है। यह राष्ट्रीय अथवा जातीय नीतियों की साधना के लिये संगठित सैनिक शक्तियों द्वारा किया जाता है।”
नये अंग्रेजी शब्द-कोश के अनुसार, “युद्ध सशस्त्र सेनाओं के मध्य किया जाने वाला शत्रुत्रापूर्ण व्यवहार है जो कि राष्ट्रों, राज्यों, शासकों के मध्य होता है या एक ही देश के दलों के मध्य होता है। यह विदेशी शक्ति के विरूद्ध या उसी राज्य के विरोधी दल के विरूद्ध सैनिक शक्ति का प्रयोग होता है।”
स्टार्क के अनुसार, साधारण समझ की भाषा में युद्ध दो या दो से अधिक राज्यों में एक प्रतियोगिता होती है जिसमें मुख्यतः सशस्त्र सेनाओं का प्रयोग होता है। इसका अन्तिम उद्देश्य एक युद्ध कर रहे समूह या राज्य द्वारा दूसरे विरोधी राज्य को समाप्त करना या फिर उस पर शान्ति की अपनी सभी शर्तें थोपना होता है।”
प्रो. हॉल के अनुसार, “जब राज्यों के बीच मतभेद इस सीमा तक पहुँच जाते हैं कि दोनों पक्षकार शक्ति का प्रयोग करते हैं या उनमें एक हिंसा का प्रयोग करता है जिसको दूसरा पक्षकार शान्ति का उल्लंघन मानता है, युद्ध का सम्बन्ध स्थापित हो जाता है जिनमें युद्धरत देश के सैनिक एक-दूसरे के विरूद्ध तब तक नियमित हिंसा का प्रयोग करते हैं जब तक कि दोनों में से एक शत्रु की इच्छित शर्तों को नहीं मानता।”
ह्रीटन के शब्दों में, “जब दो राज्यों के मध्य मतभेद बहुत बढ़ जाते हैं और वे शक्ति का प्रयोग करने लगते हैं तब एक राज्य यह समझता है कि दूसरे राज्य के हिंसात्मक कार्यों से उसके देश की शन्ति भंग हो जायेगी। तब उसके सामने एक उपाय रहता है और वह है युद्ध का। वह दूसरे राज्य के विरुद्ध युद्ध घोषित कर देता है।’
एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के अनुसार, “युद्ध दो परस्पर विरोधी नीतियों का अनुसरण करने वाले दो मानव समुदायों के बीच संगठित शक्ति का इस आश्य के साथ, प्रयोग का नाम है, ताकि एक समुदाय दूसरे के ऊपर अपनी इच्छा थोप सके।”
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