राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के गठन एवं कार्यों की विवेचना कीजिए।
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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन (संरचना) (Constitution of National Human Right)
राष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के अनुसार भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्यों की कुल संख्या आठ होगी जिसमें एक अध्यक्ष एवं सात सदस्य होगें। सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश आयोग का अध्यक्ष होगा। आयोग के सदस्यों में सर्वोच्च न्यायालय के सेवारत या सेवामुक्त न्यायाधीश किसी उच्च न्यायालय के पदस्थ या पदमुक्त मुख्य न्यायाधीश, मानवाधिकार के क्षेत्र में ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले दो प्रख्यात व्यक्ति और राष्ट्रीय अल्प संख्यक आयोग अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग तथा राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष होंगे। आयोग के अध्यक्ष और सदस्य 5 वर्ष की अवधि के लिए पद ग्रहण करेगे, तथा उनकी पुनः नियुक्ति भी हो सकती है। अध्यक्ष तथा सदस्य 70 वर्ष की आयु तक आयोग में कार्य कर सकते हैं। आयोग का एक महासचिव होगा, जो प्रत्यायोजित शक्तियों के अनुसार अपना कार्य करेगा। आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में होगा तथा यह केन्द्र सरकार की अनुमति से अन्य स्थानों में अपने कार्यालयें की स्थापना कर सकता है।
मानवाधिकार आयोग के अधिकार एवं कार्य
आयोग के अधिकार एवं कार्य निम्नलिखित होंगे-
(1) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग किसी पीड़ित न्यक्ति द्वारा अपने से या उसकी ओर से किसी व्यक्ति द्वारा पेश की गयी याचिका पर मानवाधिकार के उल्लंघन के परिवाद या उसके दुष्प्रेरण या लोकसेवक द्वारा ऐसे उल्लंघन के निवारण में उपेक्षा के परिवाद की जाँच करेगा। आयोग के पास जाँच के लिए कर्मचारी होंगे। इसके अतिरिक्त इस कार्य को सुगम बनाने के लिए आयोग के पास व्यक्तियों के प्राण, स्वतन्त्रता, सामान तथा माननीय गरिमा, जो संविधान द्वारा प्रत्याभूत हैं तथा सिविल तथा राजनैतिक अधिकार और आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिकार अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा में समाविष्ट है, ये सम्बन्धित मानवाधिकार के उल्लंघन के परिवाद की जाँच करते समय केन्द्रीय अभिकरणों तथा राज्यों के अभिकरणों की सहायता प्राप्त करने की शक्ति होगी।
(2) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग राज्य सरकार को सूचना देकर उसके नियन्त्रणाधीन किसी कारागार या किसी अन्य संस्थान में जा सकता है, जहाँ व्यक्ति उपचार, सुधार या संरक्षा के लिए निरुद्ध किये जाते हैं या रखे जाते हैं। आयोग को यह अधिकार अन्तर्वासियों की जीवन दशा का अध्ययन करने तथा उसके सम्बन्ध में सिफारिश करने के लिए दिया गया है।
(3) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए संविधान या अन्य किसी विधि द्वारा या उसके अधीन उपबन्धित संरक्षणों का पुनर्विलोकन करेगा और उनके क्रियान्वयन के लिए सिफारिश भी करेगा।
(4) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग आतंकवाद की कार्यवाही तथा अन्य कारणों को पुनर्विलोकन करेगा, जो किसी व्यक्ति के मानवाधिकारों तथा तत्समय प्रवृत्त संरक्षणों को प्रतिषिद्ध करता है और इस सम्बन्ध में समुचित सिफारिश करेगा।
(5) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग मानवाधिकार की सन्धियों और अन्य अन्तर्राष्ट्रीय दस्तावेजों का अध्ययन करेगा और उनके प्रभावी क्रियान्वयन की सिफारिश भी करेगा।
(6) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का न्यायालय के समक्ष लम्बित मानवाधिकारों के दुरुपयोग के आरोपों को शामिल करने वाले किसी कार्यवाही में ऐसे न्यायालय के अनुमोदन से हस्तक्षेप करने की शक्ति होगी।”
(7) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग मानवाधिकार के क्षेत्र में अनुसंधान करेगा तथा उसमें अभिवृद्धि करेगा।
(8) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग किसी अन्य कृत्यों का निर्वहन कर सकता है, जिन्हें वह मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए आवश्यक समझता है।
उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि मानव अधिकारों के हनन के बारे में मानवाधिकार आयोग का कार्यक्षेत्र काफी विस्तृत है। लेकिन आयोग की शक्तियाँ आलोचना की विषय बनी हैं। प्रथम आयोग को न तो मानवाधिकारों के उल्लंघनकर्त्ता को दण्डित करने की शक्ति है और न ही पीड़ितों या उनके परिवार को कोई अनुतोष प्रदान करने की शक्ति है। इसे केवल मानवाधिकारों के दुरुपयोग के मामले में सिफारिश करने की शक्ति है। दूसरा, कोई ऐसा प्रावधान नहीं किया गया है कि आयोग के पास अपने अनन्य नियन्त्रण में स्वतन्त्र अन्वेषण अभिकरण होगा जो उसके प्रति उत्तरदायी हो। पुलिस द्वारा नियन्त्रण में स्वतन्त्र अन्वेषण अभिकरण होगा, जो उसके प्रति उत्तरदायी हो। पुलिस द्वारा किया गया अन्वेषण उनके साथी पुलिस तथा उच्च अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन का अन्वेषण करने में आयोग को कितना निष्पक्ष तथा प्रभावी सहायता प्रदान करेगा, यह प्रश्न है, जो वास्तविक होना नहीं प्रतीत होता। यह सत्य है कि उपर्युक्त अवरोध मानवाधिकार को राष्ट्रीय आयोग के महत्व को कम करते हैं लेकिन यह कहना पड़ेगा कि आयोग की स्थापना मानव अधिकारों की सुरक्षा हेतु एक उचित उपाय है।
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