विभिन्न स्तरों पर हिन्दी शिक्षण के क्या उद्देश्य हैं ? वर्णन कीजिए।
विभिन्न स्तरों पर हिन्दी शिक्षण (मातृभाषा शिक्षण) के उद्देश्य
प्राथमिक स्तर पर प्राथमिक स्तर पर हिन्दी शिक्षण के निम्नलिखित उद्देश्य होते हैं-
- विद्यार्थियों के शब्द भण्डार में क्रमशः वृद्धि करना।
- छात्रों को इस योग्य बनाना कि वे निर्धारित पाठ्यक्रम व समकक्ष स्तर की शब्दावली को समझ सकें।
- विद्यार्थियों के उच्चारण को शुद्ध, स्पष्ट एवं प्रभावपूर्ण बनाना।
- छात्रों को मौन वाचन के द्वारा तथ्यों को सहज रूप में ग्रहण कर सकने के योग्य बनाना।
- छात्रों में पढ़ने की आदत का विकास करना।
- छात्रों में छोटे-छोटे वाक्य या वाक्यांश बनाने की योग्यता का विकास करना।
- छात्रों को इस योग्य बनाना कि वे प्रश्नों के उत्तर दे सकें।
- छात्रों को इस योग्य बनाना कि वे प्रभावशाली तरीके से सस्वर वाचन कर सकें।
- छात्रों को अपने विचारों को वाणी अथवा लेखनी द्वारा क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत करने के योग्य बनाना।
- छात्रों को लेख या पाठ का भाव ग्रहण कर सकने के योग्य बनाना।
- उन्हें लिपि का सही ज्ञान कराना एवं उसका अधिकाधिक अभ्यास कराना।
- छात्रों को लय सहित कविता-पाठ में निपुण बनाना।
- छात्रों को वार्तालाप करने व एक सीमा में अभिनय करने में दक्ष बनाना।
- छात्रों के सुलेख एवं श्रुतिलेख पर विशेष बल देना।
- पढ़ने की गति के अतिरिक्त पठन की शुद्धता पर भी पर्याप्त ध्यान देना।
माध्यमिक स्तर पर- इस स्तर पर पहुँचने से पूर्व छात्र अपनी मातृभाषा (हिन्दी) में पठन एवं लेखन की कुछ निपुणता प्राप्त कर लेता है तथा उसमें श्रवण और अभिव्यक्ति की भी कुछ क्षमता आ जाती है। अतः इस स्तर पर हिन्दी शिक्षण के निम्नलिखित उद्देश्य हो सकते हैं-
- विद्यार्थियों के शब्दों, मुहावरों, लोकोक्तियों एवं सूक्तियों के कोष में वृद्धि करना ।
- छात्रों को क्षेत्रीय मुहावरों एवं लोकोक्तियों का ज्ञान कराना।
- उनको व्याकरण के नियमों से परिचित कराना।
- छात्रों को वाचन की कला में निपुण बनाना।
- छात्रों को उचित गति से लिखने का अभ्यास कराना।
- छात्रों में स्वाध्याय की प्रवृत्ति को विकसित करना।
- छात्रों में मौनवाचन करने की आदत का विकास करना।
- छात्रों को संवाद, निबन्ध, सारांश व पत्र आदि लिखने की कला में निपुण बनाना।
- छात्रों में अभिनय, अनुकरण एवं संवाद की योग्यता उत्पन्न करना।
- छात्रों में कविता पढ़कर सौन्दर्यानुभूति, काव्यानुभूति तथा रसानुभूति करने की क्षमता उत्पन्न करना।
उच्चतर माध्यमिक स्तर पर- इस स्तर पर विद्यार्थियों को हिन्दी भाषा एवं साहित्य की विविध विधाओं का सामान्य ज्ञान हो जाता है। इस स्तर पर भाषा शिक्षण के निम्नलिखित उद्देश्य होते हैं-
- विद्यार्थियों को शुद्ध, स्पष्ट एवं प्रभावपूर्ण उच्चारण में निपुण बनाना।
- छात्रों को कविता के विविध पक्षों एवं गद्य की विविध शैलियों से परिचित कराना।
- छात्रों को अधिकाधिक स्वाध्याय के लिए प्रेरित करना ।
- छात्रों में चिन्तन की प्रवृत्ति को विकसित करना।
- छात्रों को लिखित अभिव्यक्ति की शैलियों एवं विधाओं का ज्ञान प्रदान करना।
- छात्रों की मौखिक एवं लिखित कुशलता तथा क्षमता में वृद्धि करना।
- छात्रों में सौन्दर्यानुभूति की भावना विकसित करना।
- छात्रों को सस्वर एवं मीनवाचन के माध्यम से भावग्रहण करने हेतु तैयार करना।
- छात्रों में मौखिक एवं लिखित भाषा के माध्यम से भाव ग्रहण करने की क्षमता उत्पन्न करना।
- छात्रों को इस योग्य बनाना कि पाठ्यक्रम की विविध शाखाओं की शब्दावली, भाव, अभिव्यंजना आदि ग्रहण करने की प्रवृत्ति का उनमें विकास हो सके।
- छात्रों को भाषा का व्यावहारिक विश्लेषण करने में समर्थ बनाना।
- छात्रों में सामान्य समालोचन की प्रवृत्ति उत्पन्न करना।
- छात्रों में अपनी मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा के अन्य विषयों व पाठ्यक्रम के अन्य विषयों को समझने की क्षमता उत्पन्न करना।
- उन्हें स्वरचित कविता तथा निबन्ध आदि के लिए प्रोत्साहित करना।
- छात्रों को पाठ्य पुस्तकों के अतिरिक्त मातृभाषा की अन्य पुस्तकों एवं साहित्य को पढ़ने के लिए प्रेरणा प्रदान करना।
- छात्रों के चरित्र को उन्नत करना ।
- छात्रों को भारतीय संस्कृति के विविध पक्षों का ज्ञान प्रदान करना।
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