“विश्व बन्धुत्व की भावना” भारत के आधार में शामिल है? स्पष्ट कीजिए।
भारत के आधार में शामिल है, “विश्व बन्धुत्व की भावना”। यह वही भारत है जहाँ “वसुधैव कुटुम्बकम” की परम्परा पर चलकर समूचे विश्व को एक कुटुम्ब या परिवार के रूप में माना गया है। लेकिन हाल ही आए एक शोध परिणाम ने भारत की इस भावना पर सवाल खड़े करते हुए इसे दुनिया के चार सर्वाधिक असहिष्णु देशों में शामिल किया है। भारतीय लोगों के | सहिष्णु या असहिष्णु होने का आधार, उनकी विधर्मी पड़ोसी के प्रति सोच को लेकर बनाया गया | है। रिपोर्ट के अनुसार भारत के 43.5 फीसदी लोग ऐसे हैं जो अन्य किसी जाति वाले व्यक्ति को अपना पड़ोसी बनाना पसन्द नहीं करते। वहीं पड़ोसी पाकिस्तान को 5 से 9.9 वाले सहिष्णु देशों के वर्ग में रखा गया है। हाल ही एक सर्वे में कहा गया है कि ब्रिटेन इस पृथ्वी पर सबसे | अधिक जातिवाद सहिष्णु देशों से शामिल है। इस वैश्विक सामाजिक दृष्टिकोण सर्वे में दावा किया गया है कि सबसे अधिक जातिवाद असहिष्णु लोग विकास-शील देशों में हैं, जिनमें बांग्लादेश, जॉर्डन, भारत शीर्ष पाँच देशों में शामिल हैं।
जातिवाद को महत्त्व- गौरतलब है कि हांगकांग में सर्वाधिक 71.8 फीसदी ऐसे लोग पाए गए जो अपने ही जैसे किसी पड़ोसी के साथ रहना पसन्द करते हैं और दूसरी किसी जाति के व्यक्ति के साथ रहना उनके बर्दाश्त से बाहर है। इसके बाद बांग्लादेश का स्थान रहा, जहाँ के 71.7 फीसदी लोगों को दूसरी जाति के व्यक्ति के साथ रहना अच्छा नहीं लगता। इसके बाद जॉर्डन जहाँ 51.4 फीसदी लोगों को और भारत के 43.5 फीसदी लोगों को अन्य जाति वाले पड़ोसी के साथ रहना पसन्द नहीं है।
सर्वे पर उठाए गए सवाल- विशेषज्ञों ने सर्वे पर सवाल उठाते हुए कहा है कि चूँकि यह बहुत अधिक लम्बे समय तक चला, इसलिए यह लोगों के वर्तमान दृष्टिकोण का सही चित्रण प्रस्तुत नहीं करेगा। साथ ही पश्चिमी देशों में रंगभेद और जातिवाद पर इतना अधिक कानूनी नियन्त्रण है कि यहाँ के नागरिक अपने सहिष्णुता सम्बन्धी विचारों को छुपा कर सही उत्तर न देते हो।
पाक ने चौकाया- पाकिस्तान को सहिष्णु देश के रूप में दिखाया गया है। इसका स्थान 5 से 9.9 प्रतिशत वाले समूह में रखा गया है। सर्वे के इस परिणाम पर भी सवाल उठ रहे हैं, जहाँ पाकिस्तान जैसे देशों में विधर्मी अल्संख्यक सुरक्षित नहीं है और आए दिन उन पर अत्याचार और साम्प्रदायिक हिंसा की खबरें सामने आती हैं। इसके अलावा इसकी अवस्थिति विश्व के कम सहिष्णु क्षेत्रों में है। ऐसे में पाकिस्तान को साहिष्णु देशों की सूची में शामिल करने पर संशय उठता है। सर्वे के अनुसार केवल 6.5 प्रतिशत पाकिस्तानियों ने किसी विधर्मी के पड़ोसी होने का विरोध किया, यानि 93.5 फीसदी लोगों को किसी विधर्मी के व्यक्ति के निकट निवास करने में आपत्ति नहीं है।
कम जातिवाद सहिष्णु देश – 40 फीसदी से अधिक (इन देशों में 40 फीसदी से अधिक व्यक्ति ऐसे रहे जो अन्य जाति के व्यक्ति को अपना पड़ोसी नहीं बनाना चाहते। इण्डिया, जॉर्डन, बांग्लादेश, हांगकांग 30 से 39.9 फीसदी तक मित्र, सऊदी अरब, ईरान, वियतनाम, इण्डोनेशिया, दक्षिणी कोरिया। 20 से 29.9 फीसदी तक फ्रांस, टर्की, बुल्गारिया, अल्जीरिया, मोरक्को, माली, जाम्बिया, थाईलैण्ड, मलेशिया, फिलीपींस।
सर्वाधिक सहिष्णु देश- 0 से 4.9 फीसदी यूनाइटेड स्टेट्स, कनांडा, ब्राजील, अर्जेन्टीना, कोलम्बिया, ग्वाटेमाला, ब्रिटेन, स्वीडन, नॉवें, लोटिवा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड । 5 से 9.9 फीसदी चिली, पेरू, मैक्सिको, स्पेन, जर्मनी, बेल्जियम, बेलारूस, क्रोएशिया, जापान, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका। 10 से 14.9 फीसदी फिनलैण्ड, पोलैण्ड, यूक्रेन, इटली, ग्रीस, चेक रिपब्लिक, स्लोवाकिया । 15 से 19.9 फीसदी वेनेजुएला, हंगरी, सर्बिया, रोमानिया, मेसाडोनिया, इथोपियो, युगांडा, तंजानिया, जिम्बाम्बे, रूस और चीन।
50 फीसदी से अधिक सहिष्णु है भारत- यदि इस रिपोर्ट के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए तो भारत में 43.5 फीसदी नागरिक ऐसे बताए गए हैं जो एक विधर्मी को पड़ोसी बनाए जाने पर असहिष्णुता रखते हैं। इसके विपरीत लगभग 56.5 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनका पड़ोसी किस जाति से है। समाजशास्त्रियों का मानना है कि हालांकि भारत में अभी भी लोगों पर जाति और वर्ण व्यवस्था को लेकर पुरानी मानसिकता हावी है। उच्च जाति के लोग निम्न जाति के साथ बैठना पसन्द नहीं करते। ग्रामीण क्षेत्रों में तो यह स्थिति बेहद गम्भीर है, देश के बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जहां दलित अत्याचार में बड़ी कमी दर्ज नहीं की गई है। इसके बावजूद लोकतान्त्रिक देश होने, कानूनी सुरक्षा और शिक्षा के साथ समान अवसरों की उपलब्धता एक सकारात्मक पहलू है।
प. देशों में स्वीकार्य हर देश के पड़ोसी- लगभग तीन दशक तक 80 से अधिक देशों पर किए गए इस शोध में पाया गया कि पश्चिमी देश दूसरों की संस्कृति को सबसे अधिक स्वीकार करते हैं। इनमें ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमरीका, कनाडा और ऑस्ट्रलिया हैं। यह आंकड़ा वल्ड वैल्यू सर्वे की ओरसे विभिन्न देशों में लोगों के सामाजिक दृष्टिकोण को जानने के लिए किया गया। इस सर्वे में लोगों से यह जानने की कोशिश की गई कि लोग अपने निकट पड़ोसी के रूप में किस तरह के लोगों को रखना पसन्द नहीं करते हैं। इसके अलावा हर देश में प्रतिशत के आधार पर यह जानने की कोशिश की गई थी कि कितने ऐसे लोग हैं जो दूसरी जाति के लोगों को अपने पड़ोसी के रूप में देखना पसन्द करते हैं। जहाँ अधिकतर लोगों ने किसी अन्य जाति के व्यक्ति के साथ रहने की अनिच्छा जाहिर की, वे कम जातिगत सहिष्णु स्वीकार किए गए। सर्वे में अमरीका में नस्लवाद की दर आशर्वजनक रूप से कम पाई गई। दावा किया गया है कि केवल 3.8 फीसदी अमरीकी नागरिक ही ऐसे थे जो किसी अन्य जाति के व्यक्ति को पड़ोसी के रूप में देखना पसन्द नहीं करते थे। इसके अलावा ब्रिटेन कनाडा ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड में यह प्रवृत्ति पाँच प्रतिशत से कम बाशिंदों में पाई गई। यदि किसी विधर्मी पड़ोसी की बात की जाए तो केवल दो प्रतिशत ब्रितानियों ने इसका विरोध किया वैसे ही पाँच फीसदी दक्षिण अमरीकियों ने दूसरी जाति के पड़ोसी के प्रति पूर्वाग्रह दिखाया। मध्यपूर्व, जहाँ दक्षिणी एशिया से बड़ी संख्या में बेरोजगार काम की तलाश में आ रहे हैं, जातिवाद का बड़ा महत्व नजर आया। दिलचस्पी है कि पक्षिभी एशिया, पूर्वी एशिया की तुलना में अधिक लचीला रहा। यदि फ्रांस की बात करें, तो वहाँ 22.7 फीसदी लोगों ने विधर्मी पड़ोसी होना पसन्द नहीं किया।
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