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वैश्वीकरण या भूमण्डलीकरण का अर्थ, महत्व एंव इसका मानवाधिकार पर प्रभाव
परिचय: वर्तमान युग वैज्ञानिक एवं तकनीकी युग है। आज इसी युग की माँग के अनुसार उदारीकरण (Liberalizaton), निजिकरण (Privatization) तथा भूमण्डलीकरण (Globalization) को बढ़ावा दिया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा, विकास तथा आर्थिक व्यवस्था के सुधारों के फलस्वरूप आज तकनीकी, वैश्वीकरण व उदारीकरण के बीच सम्बन्ध स्थापित हो रहे है।
सन् 1991 से भारतवर्ष में अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्रित स्तर तथा उच्च केन्द्रीय स्तर नीति के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के प्रयास किये जा रहे है। सूचना एवं प्रौद्योगिकी के चमत्कारी एवं उन्नति क्रान्तिकारी ने अर्थव्यवस्था को बहुत ही तीव्र गति से प्रभावित किया है। अर्थव्यवस्था में तेजी से परिवर्तन आज का परिदृश्य है। निर्यात में व समस्त घरेलु उत्पाद में वृद्धि तथा दामों में भारी बढ़ोत्तरी कई वर्षों से लगातार अनुभव की जा रही थी। आज के स्पर्द्धात्मक दौर में दीर्घकालीन तकनीक विकास नीतियों का अधिक विकास, अन्तर्राष्ट्रीय बाजार से सामंजस्य स्थापित करने हेतु आवश्यकता है।
वैश्वीकरण या भूमण्डलीकरण का अर्थ
बहुत अधिक विदेशी निवेश व विदेशी व्यापार ने लगातार उत्पादन व विभिन्न देशों के बाजार को अत्यधिक प्रभावित किया है। विभिन्न राष्ट्रों में क्रिया-प्रतिक्रिया हो रही है, वह अन्य सभी राष्ट्रों को एक-दूसरे के समीप ला रही है, भौगोलिक सीमाओं का उसके लिए कोई महत्व नहीं रह गया है।
इस प्रकार भूमण्डलीकरण आर्थिक क्षेत्र में मानव व समाज को राष्ट्र की पहचान बनाने का ढंग हैं यह राष्ट्रों के प्रतिक्रिया तथा प्रक्रिया के प्रति एक स्वस्थ्य दृष्टिकोण सिद्ध सकता है। भूमण्डलीकरण देशों में आपसी क्रिया-प्रतिक्रिया व राष्ट्रों के आर्थिक विकास के लिए एक-दूसरे राष्ट्र के प्रति राष्ट्रों में रूचि का विकास करता है।
वैश्वीकरण या भूमण्डलीकरण का महत्व
वर्तमान युग जनसंख्या विस्फोट, तकनीकी उन्नति व भौतिक समृद्धि के उत्थान का युग है जिसके कारण समाज में असुरक्षा का भाव दृष्टिगोचर हो रहा है। आज विश्व में, देश में, समाज में ‘गला-काट’ प्रतिस्पर्द्धा है फलस्वरूप जहाँ एक ओर हम भौतिक रूप से समृद्ध बन रहे है, परन्तु दूसरी ओर नैतिक मूल्यों का अवमूल्यन हो रहा है। अतः समयानुसार हमें अपनी विचारधाराओं को परिवर्तित करना होगा। अपनी सोच को सकुंचित दायरे में मुक्त कर व्यापक बनाना होगा। राष्ट्रीय स्तर से अन्तर्राष्ट्रीय में स्तर तक अपनी खोज को पहुँचाना पड़ेगा। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आ जाने की मानसिकता का विकास ही भूमण्डलीकरण है।
कहते है कि दुनिया गोल है यानि घूम-फिरकर व्यक्ति एक दूसरे के पास पहुँच ही जाता है यानि संसार सर्वव्यापी एवं सबकी पहुँच में है।
भूमण्डलीकरण की आवश्यकता व महत्व निम्न कारण से है-
(1) विभिन्न साधनों का विकास- परिवहन, संचार तथा यातायात साधनों की सुगम प्रक्रिया में उल्लेखनीय विकास हुआ है जिसके कारण देश-विदेश की भौगोलिक सीमाएँ अब नगण्य हो गई हैं।
(2) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार- उद्योग, कृषि, तकनीकी, खनिज तथा सुरक्षा के क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार नई समृद्धि ला रहा है। विश्व स्तर पर व्यापक पविर्तन सम्भव हुए है।
( 3 ) जनसंख्या साधनों का विकास- अखबार, रेडियो, दूरदर्शन, कम्प्यूटर आदि तकनीकों ने लोगों व देशों के समीप ला दिया है तथा एक साथ रहने की भावना को प्रोत्साहित किया है।
(4) राजनैतिक सम्बन्धों का विकास- विभिन्न देशों में परस्पर नये सम्बन्ध व समायोजन बढ़ा है जिससे देशों के मध्य राजनैतिक सम्बन्ध विकसित हो रहे है।
( 5 ) बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए तथा उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु नये संसाधनों का नियोजन आवश्यक है।
( 6 ) सभी राष्ट्रों को एक साथ अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर आना होगा। विश्व की समस्याओं को सुलझाने हेतु तथा प्रभावी कदम उठाने हेतु जैसे- प्रदुषण की समस्या, ग्लोबल वार्मिंग की समस्या, वातावरण की स्वच्छता आदि।
(7) विश्व नागरिकता की भावना का विकास- विश्व नागरिकता की भावना को सैद्धान्तिक रूप से व्यावहारिक रूप में परिवर्तित करना अति आवश्यक है।
वैश्वीकरण या भूमण्डलीकरण का मानवाधिकार पर प्रभाव
मानवाधिकार के क्षेत्र में भी भूमण्डलीकरण ने आश्चर्यजनक व उपयोगी बदलाव उत्पन्न किये है। आधुनिक युग में मानवाधिकार के महत्व से हम भली-भाँति परिचित है। मानवाधिकार के बिना आज जीवन की कल्पना ही नही की जा सकती। मानवाधिकार का प्रकाश अशिक्षा के अन्धकार को दूर करने में सक्षम है। विद्यालय शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा को भी प्रदान करना आवश्यक है क्योंकि इसके द्वारा ही व्यक्ति का सर्वांगीण विकास सम्भव है। व्यावसायिक शिक्षा द्वारा व्यक्तियों को प्रशिक्षित करना वर्तमान समय की माँग है। इस शिक्षा द्वारा व्यक्ति का विकास होता है वह सम्पूर्ण विश्व को जानने का प्रयास करता है। उच्च शिक्षा द्वारा राष्ट्र की उन्नति तो होती ही है साथ ही व्यावसायिक शिक्षा, प्रशिक्षित व कुशल तथा राष्ट्र के लिए उपयोगी नागरिकों का निर्माण करने में सहायक होती है। उच्च शिक्षा द्वारा विश्व स्तर पर मानव का स्वास्थ्य, औषधि, तकनीकी, इंजनियरिंग, चिकित्सीय आदि क्षेत्रों में विकास होता है।
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