शिक्षा में नवाचार की आवश्यकता
नवाचार की आवश्यकता (Need of Innovation)- तकनीकी व सामाजिक दृष्टि से नवाचार की विशेष अवाश्यकता एक दीर्घकालिक दृष्टि और योजनाबद्ध निवेश का क्रमिक व संचयी उत्पाद है। तकनीकी व सामाजिक दृष्टि से नवाचार की आवश्यकता निम्न हैं-
1. कल्याणकारी राज्य की स्थापना- स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत ने कल्याणकारी राज्य की स्थापना का संकल्प लिया है। इस संकल्प की पूर्ति करने के लिये – शिक्षा व क्षेत्र में परिवर्तन करना अति आवश्यक है। शिक्षा में परिवर्तन के ही परिणामस्वरूप निःशुल्क शिक्षा, अनिवार्य शिक्षा तथा जन शिक्षा जैसे कायक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। शिक्षा के इन नवीन कार्यक्रमों के संचालन एवं अध्ययन के लिये नवाचार की अति आवश्यकता है।
2. आर्थिक विकास के लिए- प्रत्येक देश को आर्थिक विकास करने के लिये अथक परिश्रम करने पड़ते हैं। देश में अनेक ऐसी समस्यायें जो देश के आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। ये समस्यायें हैं-निर्धनता अज्ञानता आदि। इन समस्याओं के करने के लिए शिक्षा का विस्तार करना आवश्यक है। और शिक्षा का विस्तार करने के लिये नवीन विचारों, कार्यक्रमों तथा नवाचारों की आवश्यकता होती है।
3. सामाजिक परिवर्तन हेतु- समाज में दिन-प्रतिदिन विभिन्न परिवर्तन हो रहे हैं। नगरीकरण, औद्योगीकरण तथा वैश्वीकरण के कारण एक नये समाज की स्थापना हो रही है। इस नये समाज के नियमों तथा मानदण्डों में भी परिवर्तन हो रहा है और नवीन मानदण्डों के अनुरूप शिक्षा में भी परिवर्तन करना आवश्यक है। शिक्षा में परिवर्तन करने के लिए शिक्षा में नवीन आयामों को सम्मिलित करना आवश्यक है।
4. वैज्ञानिक व तकनीकी प्रगति हेतु – वर्तमान युग विज्ञान का युग है। विज्ञान व तकनीकी क्षेत्र में नवीन आविष्कार व खोजें की जा रही हैं। इन नवीन आविष्कारों के कारण मानव की जीवन शैली में परिवर्तन आ गया है जिसने शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है। इन वैज्ञानिक उपकरणों के रख-रखाव व संचालन के लिये शिक्षा में नवीन विधियों व पद्धतियों का समावेश करना आवश्यक है। अतः विज्ञान व तकनीकी क्षेत्र में भी नवाचारों की अति आवश्यकता है।
5. मानव संसाधन के विकास हेतु- मानव, समाज का महत्त्वपूर्ण अंग है। अतः समाज का विकास करने के लिये नानव का विकास करना अति आवश्यक है। मानव का विकास शिक्षा के माध्यम से ही किया जा सकता है। अतः मानव संसाधन का विकास करने के लिये शिक्षा में नवीन आयामों को सम्मिलित करना अति आवश्यक है।
6. रोजगार के अवसरों में वृद्धि हेतु- समाज के रूप में होने वाले परिवर्तनों के फलस्वरूप आर्थिक आवश्यकताओं में भी परितर्वन आ गया है। आर्थिक आवश्यकताओं में वृद्धि के कारण शिक्षा का स्वरूप पूर्णतया रोजगारपरक हो गया है। वर्तमान समय में ह शिक्षा पूर्णरूप से निरर्थक होती है जो आजीविका प्रदान करने में असमर्थ होती है। अतः शिक्षा को रोजगारपरक बनाने के लिये उसमें नवाचारों को समाहित करने की आवश्यकता होती है जिससे शिक्षा वर्तमान युग से सम्बन्धित हो सके और रोजगार के अधिक अवसर प्रदान कर सके।
अतः इस प्रकार से यह कहा जा सकता है कि तकनीकी व सामाजिक परिवर्तनों की दृष्टि से नवाचार की अत्यन्त आवश्यकता है। इन नवाचारों को शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग करके तकनीकी व सामूजिक उन्नति की जा सकती है। परन्तु इन नवाचारों का प्रयोग करने के लिये अधिक वित्त की भी आवश्यकता होती है। नवाचार के क्षेत्र में सफलता पाने के लिये वैज्ञानिकों द्वारा काफी समय से प्रयास किया जा रहा है। नवाचारों को अस्तित्व में लाने के लिये अनेक उद्यमियों के सहयोग की भी आवश्यकता होती है।
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