शिक्षाशास्त्र / Education

शैक्षिक नवाचार की शिक्षा में भूमिका | Role of Educational Innovation in Education in Hindi

शैक्षिक नवाचार की शिक्षा में भूमिका | Role of Educational Innovation in Education in Hindi
शैक्षिक नवाचार की शिक्षा में भूमिका | Role of Educational Innovation in Education in Hindi

शैक्षिक नवाचार की शिक्षा में भूमिका

शैक्षिक नवाचार की भूमिका का वर्णन निम्न है-

1. कल्याणकारी राज्य की स्थापना हेतु- स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत में लोकतान्त्रिक संसदात्मक शासन प्रणाली को अंगीकार किया गया। ऐसी शासन प्रणाली लोक कल्याण के लिए प्रवृत्त होती है। भारत में भी कल्याणकारी राज्य की स्थापना का संकल्प लिया गया है। ऐसी शासन प्रणाली में सबको प्राथमिक शिक्षा, अवसरों की समानता, जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति आदि का आश्वासन एवं गारण्टी दी जाती है। विभिन्न शिक्षा आयोगों, समितियों एवं विचारकों ने भारत में लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना हेतु शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन के लिए समय-समय पर सुझाव दिये हैं। वर्तमान समय में लागू या विचाराधीन नवाचार इसी का परिणाम है।

2. वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति के अनुरूप शिक्षा प्रणाली- वर्तमान युग विज्ञान का युग है। सम्पूर्ण विश्व में विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में नित नूतन अनुसन्धान एवं खोजें हो रही हैं। पाताल से लेकर अन्तरिक्ष तक विज्ञान के चमत्कार दृष्टिगोचर हो रहे हैं। घर, कार्यालय, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, उद्योग, बैंक, परिवहन, सर्वत्र वैज्ञानिक उपकरणों का प्रचुर प्रयोग हो रहा है। दूरदर्शन, कम्प्यूटर, जीराक्स आदि अनेक उपकरण शिक्षा के क्षेत्र में भी क्रान्ति ला रहे हैं। इन वैज्ञानिक उपकरणों के संचालन, रख-रखाव एवं आगे विकसित करने के लिए शिक्षा में नवीन विधियों एवं पद्धतियों का समावेश करना आवश्यक है।

3. वर्तमान जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु- स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय 33 करोड़ जनसंख्या अब एक अरब से अधिक हो गयी है। इस विशाल जनसंख्या की आवश्यकताएँ भी विशाल हैं। इन्हें खाद्यान्न की आवश्यकता है, विद्यालयों की आवश्यकता है, चिकित्सा की आवश्यकता है, परिवहन, वस्त्र एवं आवास की आवश्यकता है।

4. तीव्र आर्थिक विकास हेतु- आज विश्व का प्रत्येक देश आर्थिक विकास के लिए प्रयत्नशील है। निर्धनता, अज्ञानता एवं बीमारी मानव के लिए आज भी गम्भीर समस्या के रूप में विद्यमान है। भारत में ये समस्याएँ और भी उग्रता के साथ उपस्थित हैं। इनके समाधान हेतु अनेक अन्य प्रयासों के साथ शिक्षा को भी अपनी भूमिका निभानी है, क्योंकि अब यह मान लिया गया है कि आर्थिक विकास के लिए भौतिक पूँजी ही नहीं वरन् मानवीय पूँजी भी आवश्यक है। शिक्षा को आर्थिक विकास की चुनौती स्वीकार करना होगा और इसके लिए नवाचार की आवश्यकता है।

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Anjali Yadav

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