राजनीति विज्ञान / Political Science

स्त्रियों के अधिकार | women’s rights in Hindi

स्त्रियों के अधिकार | women's rights in Hindi
स्त्रियों के अधिकार | women’s rights in Hindi

स्त्रियों के अधिकार | women’s rights

स्त्रियों का अधिकार स्त्रियों के अधिकार का उद्भव द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के समय से विश्व के जनसमुदाय में हुआ। संयुक्त राष्ट्र के चार्टर की उद्देशिका मानव जाति की गरिमा एवम् योग्यता में मौलिक मानवाधिकारों में पुनः विश्वास पैदा करने के लिये, संयुक्त राष्ट्र के लोगों के अवधारण का जो उल्लेख करता है उसका सम्बन्ध लोग आर्थिक एवम् सामाजिक समुन्नति की प्रोन्नति के लिए अन्तर्राष्ट्रीय यान्त्रिक का प्रयोग करने के लिए तथा पुरुषों तथा स्त्रियों के समान अधिकारों से होता है। इसके समान ही प्रावधानों को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में तथा उन दूसरे मानवाधिकार लिखत में सम्मिलित किया गया है जो स्त्रियों के अधिकारों के संरक्षण एवम् अभिवृद्धि के लिए प्रावधान करता है।

पुरुषों एवम् स्त्रियों के समान अधिकारों का सिद्धान्त सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा में सम्मिलित किया जा चुका है। इस घोषणा का अनुच्छेद। यह उल्लेख करता है कि “सम्पूर्ण मानव जाति, गरिमा तथा अधिकारों में स्वतन्त्र एवम् समान है। घोषणा का अनुच्छेद 2 यह उल्लेख करता है कि प्रत्येक व्यक्ति “लिंग को सम्मिलित कर” किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना ही इस घोषणा ही में उल्लिखित स्वतन्त्रता तथा सभी अधिकारों के हकदार होते हैं। यह स्पष्ट रूपेण उल्लेख करता है कि सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा में सम्मिलित किये गये सभी अधिकार एवम् स्वतन्त्रता को किसी भेद-भाव में बिना पुरुषों तथा स्त्रियों दोनें के लिए समान रूप से उपलब्ध है। यह एक आधार भूत सिद्धान्त है और इस प्रकार कि जैसे आर्थिक सामाजिक तथा सांस्कृति अधिकारों पर अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा और सिविल और राजनैतिक अधिकारों पर प्रसंविदा दोनों में शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त, पुरुषों एवम् स्त्रियों के स]\मान अधिकारों का उल्लेख निम्नलिखित अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार लिखतों में किया गया है-

1. स्त्रियों के विरुद्ध भेद-भाव के सभी प्ररूपों की समाप्ति पर कन्वेंशन।

2. स्त्रियों के राजनैतिक अधिकारों का, पर कन्वेंशन ।

3. विवाहिता स्त्रियों की राष्ट्रीयता पर कन्वेंशन

4. विवाह के लिए न्यूनतम आयु की सहमति पर कन्वेंशन एवम् सिफारिश तथा विवाह का रजिस्ट्रीकरण ।

5. दासता, दास – व्यापार तथा दासता के समान प्रथा संस्था के उन्मूलन पर पूरक कन्वेंशन |

6. शरीरों के दुर्व्यापार के दमन के लिए तथा दूसरों के वेश्वावृत्ति के शोषण का कन्वेंशन।

7. अन्तर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन अभिस्वीकृति मानवाधिकार लिखते

  • (क) भूमिगत विश्व (स्त्री) कन्वेंशन 1935
  • (ख) कार्य करने का अधिकार (स्त्री) कन्वेशन (संशोधित) 1948
  • (ग) समान पारश्रमिक कन्वेंशन 1951

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Anjali Yadav

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