ओवरहेड़ प्रोजेक्टर से आप क्या समझते है? इसके उपयोग की विधि एवं लाभ बताइयें ।
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ओवरहेड़ प्रोजेक्टर (overhead projector) से आप क्या समझते है?
ओवरहैड प्रोजेक्टर जैसा कि नाम से स्पष्ट है, इसमें दर्शायी जाने वाली सामग्री का प्रतिबिम्ब दिखाने वाले के पीछे तथा उसके सिरे के ऊपर से आता है। ओवरहैड़ प्रोजेक्टर शिक्षा के क्षेत्र में एक उत्तम सम्प्रेषण की विधि है। इसमें विषय से सम्बन्धित विषय-वस्तु पर विभिन्न ट्रान्सपेरेन्सीज तैयार की जाती हैं और इन्हें पर्दे पर या दीवार पर प्रक्षेपित किया जाता हैं। प्रोजेक्टर को कक्षा में प्रदर्शन मेंज पर रखा जाता है । शिक्षक छात्रों की ओर उन्मुख होकर प्रोजेक्टर में तैयार ट्रान्सपेरेन्जीस रखता है और प्रोजेक्टर का संचालन करता है। ओवरहैंड़ प्रोजेक्टर समस्त प्रक्षेपित होने वाला प्रोजेक्टर है। इसके द्वारा 18cm × 22.5cm आकार की तैयार ट्रान्सपेरेन्जीस को बड़ा करके प्रक्षेपण 1.5cm × 1.5m आकार में सरलता से लाया जा सकता है। इसमें शिक्षण छात्रों के सामने रहता है। ट्रान्सपेरेन्जीस हाथ से भी बनाई जा सकती हैं, उन पर सन्देश, डायग्राम तथा स्कैंच आदि विवरण अंकित किया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर इन्हें टाइप कराकर फोटोकॉपीयर (जेंसेक्स मशीन) द्वारा भी तैयार किया जा सकता है।
ओवरहेड प्रोजेक्टर का उपयोग की विधि
ओवरहेड प्रोजेक्टर का सही तरह से उपयोग करने के लिए निम्नलिखित चरणों का अनुसरण करना चाहिए-
ओवरहेड प्रोजेक्टर
(i) सर्वप्रथम प्रोजेक्टर को सही प्रकार से व्यवस्थित करें ताकि यह परदे से पर्याप्त दूरी पर रहे और वक्ता को इसके साथ खड़े होने के लिए पर्याप्त जगह मिल सकें।
(ii) प्रोजेक्टर का बिजली के पॉइन्ट से सम्पर्क जोड़े, यदि दूरी अधिक हो तो लम्बे तार द्वारा सम्पर्क स्थापित करें;
(iii) परदें को 12 से 15 फिट की दूरी पर व्यवस्थित करें और ओवरहेंड प्रोजेक्टर की हॅड़ असेम्बली को संयोजित करें;
(iv) पंखा एवं बल्ब चालू करें, ध्यान रहे कि पंखा पहले चालू करें एवं बल्ब उसके पश्चात शुरू करें, आजकल जो आधुनिक ओवरहेंड प्रोजेक्टर आ रहे हैं उनमें बटन चलाते ही पंखा स्वतः ही पहले शुरू हो जाता है;
(v) दर्पण घुंडी का इस्तेमाल करते हुए ऊपरी दर्पण को व्यवस्थित करें;
(vi) फोकस बटन की सहायता से सही केन्द्र बिन्दु संकेन्द्रित करें ताकि परदें पर प्रकाश एक दम सही पड़े और अक्षर एकदम साफ दिखाई देवें;
(vii) पारदर्शी सामग्री को ओवरहेंड़ प्रोजेक्टर के प्लेटफॉर्म पर लगा कर पुनः फोकस बटन की सहायता से आवश्यकतानुसार फोकस समायोजित करें;
(viii) प्रस्तुतीकरण शुरू करें, ध्यानकर्षण के लिये ट्रांसपेरेन्सी पर किसी नुकीली वस्तु, पेन या पॉइन्टर का उपयोग करे;
(ix) अगर आप प्लास्टिक रोल का उपयोग कर रहे हैं तो उसे ओवरहेंड प्रोजेक्टर के रोलर पर सही तरीके से लगायें और प्रस्तुतीकरण के दौरान आगे घुमाते रहें
(x) इस तरह जब तक ट्रांसपेरेन्सी या प्लास्टिक रोल पूरी न हो जायें या आपका वक्तव्य पूरा न हो जायें, यह प्रक्रिया जारी रखें, ट्रांसपेरेन्सी बदलते रहें और अपनी बात कहते रहें एवं
(xi) प्रस्तुतीकरण पूर्ण होने पर बल्ब बंद कर देवें थोड़ी देर बाद पंखा बंद कर देवें और प्रोजेक्टर का मुख्य धारा से सम्पर्क काट देवें तथा प्रोजेक्टर को यथास्थान सुरक्षित रखें।
ओवरहैंड़ प्रोजेक्ट के प्रयोग में ध्यान देने योग्य बातें
ओवरहैंड़ प्रोजेक्टर की जाने वाली ट्रान्सपेरेन्जीस में अंकित संदेश/ विवरण / चित्र आदि की छवि साफ, पठन योग्य तथा स्पष्ट होनी चाहिए। इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-
(a) ट्रान्सपेरेन्जीस पर लिखे शब्दों का आकार कम से कम 6cm अवश्य होना चाहिए।
(b) अंकित लाइनें थोड़ी मोटी होनी चाहिए।
(c) कक्षा में यदि 1 मीटर का पर्दा लगाया गया है तो कक्षा में छात्रों की अन्तिम लाइन और पर्दे के मध्य 6 मीटर से अधिक दूरी नहीं होनी चाहिए।
आज के युग में ओवरहँड़ प्रोजेक्टर का प्रयोग विभिन्न सेमीनारों, वर्कशॉप, सम्मेलनों आदि के साथ-साथ कक्षा शिक्षण में भी बहुत उपयोगी पाया गया है।
ट्रान्सपेरेन्जीस पर लिखने के लिए ‘मार्कर पैन’ का प्रयोग करना चाहिए। साधारण स्केंच पैन इस पर काम नहीं करते। उनसे लिखा हुआ, हाथ लगने पर मिट जाता है। शिक्षक को कक्षा में ओवरहँड प्रोजेक्टर का प्रयोग करने से पूर्वभ्यास (रिहर्सल) करना आवश्यक है।
ओवरहैंड प्रोजेक्टर के निम्न प्रमुख भाग होते हैं-
(1) कैबिनेट, (2) प्रोजेक्शन लैम्प, (3) ठण्डा करने की व्यवस्था तथा (4) फोकस व्यवस्था ।
ओवरहेड प्रोजेक्टर के लाभ
ओवरहेड प्रोजेक्टर सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले आवर्धन यन्त्रों में से एक है, यह क्लासरूम परिस्थतियों में सर्वोत्तम साधन सिद्ध हुआ है। इसके निम्नलिखित लाभ है-
1. ओवरहेंड़ प्रोजक्टर का सबसे प्रमुख लाभ यह है कि इसमें प्रस्तुतकर्ता का चेहरा सदैव दर्शकों के सम्मुख रहता है एक दूसरे के आमने-सामने होने से उनमें जीवित संवाद बना रहता है और एक दूसरे के हाव-भाव, चेहरे की प्रतिक्रियाएँ आदि संचार को अधिक प्रभावशाली बनाते हैं।
2. श्यामपट्ट पर लिखी या चित्रित किसी भी सामग्री के स्पष्टीकरण के लिए अध्यापक को बार-बार उसके निकट जाने की जरूरत पड़ती है, परन्तु यहाँ अध्यापक इस परेशानी से बच सकता है। वह यहाँ प्रक्षेपित सामग्री के ऊपर किसी पेन्सिल या संकेतक का प्रयोग कर यह कार्य अच्छी तरह कर सकता है।
3. इस उपकरण के प्लेटफार्म का उपयोग विभिन्न प्रकार की शिक्षण सामग्री के प्रदर्शन हेतु किया जा सकता है। रंगीन प्लास्टिक के ऊपर विभिन्न चित्रात्मक सामग्री उभारी जा सकती है तथा फिर उसे इस उपकरण द्वारा आसानी से प्रक्षेपित किया जा सकता है। किसी खेल, जैसे – फुटबाल, हॉकी, क्रिकेट आदि की क्रियात्मक जानकारी, किसी संयन्त्र या कारखाने में उपकरणों की व्यवस्था और किसी विज्ञान विषय से सम्बन्धित प्रयोगात्मक कार्य आदि बातों को भी आसानी से पर्दे पर दिखाया जा सकना इस प्रकार के प्रोजेक्टर द्वारा पूरी तरह सम्भव है। एक पारदर्शी तश्तरी में चित्रात्मक सामग्री ही नहीं बल्कि तरल पदार्थों को भी इस उपकरण के प्लेटफार्म पर रखकर तथा पर्दे पर प्रक्षेपित पर आसानी से प्रदर्शित किया जा सकता है तथा उसके बारे में सभी आवश्यक जानकारी प्रदान की जा सकती है।
4. इस प्रोजेक्ट में आकृति का प्रक्षेपण अध्यापक के कन्धे के ऊपर से होता है। स्वाभाविक रूप से सामना कर सकता है, उनकी क्रियाओं तथा गतिविधियों का अवलोकन कर सकता है तथा उनके प्रति अपनी अनुक्रिया व्यक्त करने में समर्थ हो सकता है। इस तरह शिक्षण अधिगम परिस्थितियों पर नियन्त्रण करने के कार्य में इस प्रकार के प्रोजेक्टर का उपयोग अन्य प्रक्षेपी उपकरणों से अधिक लाभकारी ठहराया जा सकता है।
5. स्लाइड कैरियर की व्यवस्था भी इस उपकरण में अच्छी तरह की जाती है। उनके बदलने में कोई कठिनाई नहीं होती। अध्यापक द्वारा स्लाइडों के प्रक्षेपण को पर्दे पर भी इसी तरह देखा जा सकता है।
6. इस प्रोजेक्टर की एक विशेषता यह भी है कि इसे प्रकाशयुक्त कमरे अथवा क्लास में भी इस्तेमाल किया जा सकता है, यह दिन की साधारण रोशनी में भी सफलतापूर्वक कार्य करने में सक्षम होता है, अन्य आवर्धन यन्त्रों की तुलना में इसके उपयोग के दौरान कमरे में अंधेरा करने की आवश्यकता नहीं है;
7. ओवरहँड़ प्रोजेक्टर से विभिन्न प्रकार की तकनीकें, ग्रॉफ, चार्ट, पोस्टर, अधिचित्र, लिखित सामग्री आदि आसानी से आवर्धित करके दिखाई जा सकती हैं;
8. ओवरहैंड़ प्रोजेक्टर की सहायता से पूर्व में तैयार की गई पारदर्शी शीटें कहीं भी ले जाकर दिखाई जा सकती है और उनका बारम्बार उपयोग भी किया जा सकता है;
9. अध्यापक/प्रस्तुतकर्ता ओवरहैंड़ प्रोजेक्टर के प्लेटफॉर्म पर रखी ट्रांसपेरेन्सी पर अध्यापन के दौरान भी लिख सकता है जैसे कि वह पढ़ाते समय श्यामपट्ट पर लिखता है, श्यामपट्ट पर लिखा गया अक्षर सबको पूरी तरह से नजर नहीं आता परन्तु वहीं अक्षर ओवरहैंड़ प्रोजेक्टर के माध्यम से बड़े आकार में आवर्धित होकर सभी को समान रूप से दिखाई देता है, इसीलिये इस तकनीक को कई बार “विद्युतीय श्यामपट्ट” भी कहते हैं;
10. यह एक साधारण सा हल्के वजन का उपकरण होने के कारण कहीं भी आसानी से लाया ले जाया सकता है और
11. यह एक सस्ता एवं सरल साधन है, इसकी मदद से अनुदेशक अपनी बात को प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत कर सकता है, यह उपकरण उसके प्रस्तुतीकरण के दौरान संपूरक का कार्य करता है।
12. इस प्रकार के प्रोजेक्टर का संचालन भी बहुत सरल होता है। विद्युत बटन को दबाना, प्रोजेक्शन मंच पर स्लाइड़ या दृश्य सामग्री को रखना तथा पर्दे पर आकृति को फोकस करना, ये तीनों कार्य ही यहाँ सम्पन्न करने होते हैं और संचालन भी आसान ही होता है।
ओवरहैंड़ प्रोजेक्टर की सीमाएँ
यह क्लास रूप परिस्थिति के लिये अपने आप में एक सम्पूर्ण उपकरण है फिर भी इसकी निम्नलिखित परिसीमाएँ है-
- यह यन्त्र विद्युत चालित होने के कारण केवल वही उपयोग में लिया जा सकता है जहाँ विद्युत उपलब्ध है;
- यह समूह के लिये तो उपयुक्त है पर विशाल समूह या जन समूह में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है.
- इसके माध्यम में अपारदर्शी सामग्री, जीवतन नमूने, फोटोग्रॉफी आदि आवर्धित नहीं किये जा सकतें ।
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