Contents
हस्तक्षेप / मध्यक्षेप का अर्थ एंव इसके प्रकार | Meaning and types of interference/intervention
हस्तक्षेप (Intervention)
सभी स्वतंत्र एवं सम्प्रभु देश अपने राज्य की सीमा में अपनी इच्छाओं के अनुरूप कार्य करने को स्वतन्त्र होते हैं। इसका अर्थ है कि वह अपने आन्तरिक मामलों में पूर्ण रूप में स्वतन्त्र होता है। उसको आन्तरिक मामलों के विषय में किसी प्रकार से बाध्य नहीं किया जा सकता। परन्तु कभी-कभी ऐसा होता है कि अन्य कोई राष्ट्र या बहुत से राष्ट्र सामूहिक रूप से किसी राष्ट्र के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप कर उसको इस बात पर बाध्य करते हैं कि यह राज्य अपने आन्तरिक मामलों को इस प्रकार निर्धारित करे, जिस प्रकार वह या वे राष्ट्र चाहते हैं। इस प्रकार की बाध्यता अन्य राष्ट्र या राष्ट्रों द्वारा किसी राष्ट्र के आन्तरिक विषयों के सम्बन्ध में की जाती है। अन्तर्राष्ट्रीय विधि में इस प्रकार की बाध्यता को हस्तक्षेपः (Intervention) की संज्ञा प्रदान की जाती है।
ओपेनहाइम के अनुसार, “हस्तक्षेप तानाशाही दखल है, जो कि एक बड़े राष्ट्र द्वारा दूसरे के मामलों में वस्तुओं की वास्तविक स्थिति बनाए रखने अथवा उनमें परिवर्तन करने के लिए किया जाता है।”
लारेंस के अनुसार, “प्रत्येक राज्य का अधिकार है कि वह अपनी इच्छानुसार अपने राज्य की व्यवस्था हेतु संविधान का निर्माण करे तथा दूसरे देशों के साथ सन्धियाँ करे। किन्तु कई यार ऐसा होता है कि अन्य राज्य या अनेक राज्य इसके मामलों में दखल देते हैं और उसे कुछ ऐसा करने के लिए बाध्य करते हैं जो उसकी इच्छा के विरुद्ध है। इस प्रकार का दखल हस्तक्षेप कहलाता है।”
जैक्सन के अनुसार, “एक राज्य द्वारा किसी दूसरे राज्य की स्वतन्त्रता में तानाशाही दखल ही हस्तक्षेप है।”
ब्रियल के अनुसार, “हस्तक्षेप का स्वरूप स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि “यह दूसरे राज्यों के आन्तरिक या वैदेशिक मामलों में दखल देने के ऐसे कार्यों तक सीमित है, जिनसे राज्य की स्वतन्त्रता भंग होती है। एक राज्य द्वारा दूसरे राज्य को उससे स्वयं किये जाने वाले कार्य के सम्बन्ध में केवल परामर्श देना इस अर्थ में हस्तक्षेप (Intervention) नहीं कहा जा सकता वरन् हस्तक्षेप का स्वरूर आज्ञात्मक (Imperative) होना चाहिए। यह तो बल प्रयोग द्वारा किया जाना चाहिए अथवा इसके पीछे बल-प्रयोग की धमकी होनी चाहिए।”
उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि किसी राज्य के आन्तरिक अथवा वैदेशिक मामलों में किसी अन्य राज्य या राज्यों द्वारा समूहिक रूप से किया गया ऐसा हस्तक्षेत्र (दखल) जिसके पीछे आज्ञा शक्ति का प्रयोग या शक्ति के प्रयोग की धमकी होती है अन्तर्राष्ट्रीय विधि में हस्तक्षेप के नाम से जाना जाता है।
हस्तक्षेप के प्रकार (Kinds of Intervention)
विधिशास्त्रियों द्वारा निम्न तीन प्रकार का हस्तक्षेप स्वीकार किया गया है जो इस प्रकार है-
(1) आन्तरिक हस्तक्षेप (Internal Intervention) – इस प्रकार का हस्तक्षेप उस समय कहा जाता है, जब एक राज्य में कोई आन्तरिक आपत्ति उत्पन्न हो जाती है, अर्थात गृह-युद्ध आदि की स्थिति है या उत्पन्न की जाती है। इस समय किसी अन्य राज्य द्वारा इस आपत्ति दखल देना, आन्तरिक हस्तक्षेप कहलाता है। हस्तक्षेप करने वाला राज्य ऐसे समय में या तो सरकार की या “आपत्ति पैदा करने वालों” की सहायता करता है। स्पेन के गुह-युद्ध में जो कि के जनरल फ्रँको के नेतृत्व में हुआ था, इटली व जर्मनी का फ्रैंको की सहायता करना तथा रूस का में स्पेन की सरकार को सहायता करना आन्तरिक हस्तक्षेप का उदाहरण है।
(2) बाह्य हस्तक्षेप (External Intervention) – बाह्य हस्तक्षेप किसी राष्ट्र के बाहरी मामलों में दखल देना है। दूसरे शब्दों में, जब किसी राज्य द्वारा एक राज्य के विदेशी मामलों में हस्तक्षेप किया जाता है, तब इसे बाह्य हस्तक्षेप की संज्ञा दी जाती है। यदि दो राष्ट्रों के बीच युद्ध हो रहा हो और तीसरा राष्ट्र दोनों में से किसी एक का पक्ष लेकर युद्ध में प्रवेश करे, तो यह बाह्य हस्तक्षेप होगा, जैसे द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी व ब्रिटेन में हो रहे युद्ध मे इटली ने जर्मनी का पक्ष लेकर युद्ध में प्रवेश किया था।
(3) दाण्डिक हस्तक्षेप (Punitive Intervention) – इस प्रकार का हस्तक्षेप किसी राज्य द्वारा बदले की भावना से प्रेरित होकर राज्य को दण्ड की धारणा के फलस्परूप किया जाता है। बदले की यह भावना राज्य द्वारा सन्धि भंग करने या अन्य किसी प्रकार की हानि पहुँचाये जाने के कारण हो सकती है। बदला लेने के लिए राज्य युद्ध की कार्यवाही को अपनाते हुए किसी अन्य प्रकार की दण्डात्मक कार्यवाही को अपनाता है। उदाहरण के लिए, “शान्तिपूर्ण परिवेष्ठन ” (Peacefull Blockade) कर देना। परिवेष्ठन का अर्थ यह है कि किसी देश का अन्य देशों से सम्बन्ध न स्थापित होने के लिए समुद्री रास्तों को बन्द कर देना। अत: समुद्री रास्ते को बन्द कर दूसरे राष्ट्र के साथ उनका सम्बन्ध विच्छेद करके अपनी हानि का प्रतिशोध हस्तक्षेप करने वाला राज्य होता है।
स्टॉर्क ने उक्त तीन प्रकार के हस्तक्षेप को स्वीकार करते हुए एक अन्य प्रकार का हस्तक्षेप और बतलाया है, अर्तात् वह चार प्रकार के हस्तक्षेप को स्वीकार करता है। उसके द्वारा बतलाया गया चौथे प्रकार का हस्तक्षेप कूटनीतिक हस्तक्षेप (Diplomatic Intervention) है। 1985 ई० में फ्रांस, रूस व जर्मनी ने जापान पर अपना कूटनीतिक दबाव डाला और उसे शिमोनोस्की की सन्धि द्वारा प्राप्त लिआहोतुंग का प्रायद्वीप चीन को वापस कर देने के लिए बाध्य किया।”
IMPORTANT LINK
- विचारधारा से आप क्या समझते हैं? What do you understand by ideology?
- परम्परा और आधुनिकता का समन्वय | Tradition and modernity of amalgamation in Hindi
- प्राचीन भारतीय राजनीति चिन्तन की विशेषताएं | Features of Ancient Indian Political Thought in Hindi
- प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिन्तन के स्रोत | Sources of Ancient Indian Political Thought in Hindi
- राजनीतिक सिद्धान्त का अर्थ, प्रकृति, क्षेत्र एंव इसकी उपयोगिता | Meaning, nature, scope and utility of political theory in Hindi
- राजनीतिक विज्ञान की परम्परागत एवं आधुनिक परिभाषा | Traditional and Modern Definitions of Political Science in Hindi
- मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के द्वारा दी गयी मानव अधिकार
- मानवाधिकार की परिभाषा एवं उत्पत्ति | Definition and Origin of Human Rights in Hindi
- नारीवाद का अर्थ एंव विशेषताएँ | Meaning and Features of Feminism in Hindi
- राजनीतिक विचारधारा में साम्यवाद का क्या विचार था?
- मार्क्सवाद विचारों की आलोचना | Criticism of Marxism Ideas in Hindi
- मार्क्सवाद (साम्यवाद) के सिद्धान्त एवं उसके महत्व
- मानवाधिकार का वर्गीकरण | classification of human rights in Hindi
- प्राकृतिक विधि का सिद्धान्त | Natural Law Theory in Hindi
- मानवाधिकार के सिद्धान्त | principles of human rights in Hindi