Contents
जन्मपूर्व अवस्था के चरण
जन्मपूर्व अवस्था को तीन भागों में विभाजित किया गया है-
- डिम्ब अवस्था या बीमावस्था (गर्भाधान से दो सप्ताह तक)
- भ्रूणावस्था (तीसरे सप्ताह से दूसरे माह के अन्त तक)
- गर्भस्थ शिशु की अवस्था (तीसरे माह के प्रारम्भ से जन्म लेने के समय तक)
(1) डिम्ब अवस्था (The Period of Ovum)-
इस अवस्था को बीजावस्था भी कहते हैं। यह अवस्था गर्भाधान से लेकर दो सप्ताह तक चलती है। इस अवस्था में गर्भस्थ जीव अण्डे के आकार का होता है। जिसे जाइगोट कहते हैं। इसका आकार आलपिन के सिरे के बराबर होता है और इसके अन्दर निरन्तर कोशिका विभाजन की क्रिया चलती रहती है। किन्तु ऊपर से इसके स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं आता है। लगभग एक सप्ताह तक यह अण्डाकार जीव गर्भाशय के तरल पदार्थ में तैरता रहता है और अपना पोषण स्वयं ही करता है किन्तु 10 दिन बाद यह गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है। इस क्रिया को आरोपण कहते हैं। यह क्रिया गर्भाधान के 10 दिन बाद होती है। आरोपण की क्रिया के बाद से ही गर्भस्थ जीव अपने पोषण के लिए माँग के शरीर पर आश्रित हो जाता है। आरोपण क्रिया में थायराइड और पिट्यूटरी ग्रंथि सहायक होती है।
(2) भ्रूणावस्था (The Period of Embryo)-
यह जन्मपूर्व अवस्था का द्वितीय चरण है। यह वह अवस्था है जो तीसरे सप्ताह से लेकर दूसरे माह के अन्त तक चलती है। यह अवस्था विकास की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण अवस्था है। क्योंकि समस्त शरीर रचना, आकार तथा आकृतियों का निर्माण इसी अवस्था में होता है। इस अवस्था के अन्त तक भ्रूण मानव आकृति प्राप्त कर लेता है। इस अवस्था में विकास की गति बहुत तीव्र होती है। इस अवस्था के अन्त तक भ्रूण के अन्दर अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। शरीर के सभी प्रमुख अंगों का निर्माण इसी अवस्था में होता है। दूसरे माह के अन्त तक भ्रूण की लम्बाई सवा इंच से दो इंच तक तथा भार लगभग 200 ग्राम हो जाता है। इस अवस्था में भ्रूण का स्वरूप नवजात शिशु के समान नहीं होता है। सिर का आकार अन्य अंगों की अपेक्षा बहुत बड़ा होता है। कान भी सिर से काफी नीचे प्रतीत होते है। नाक में भी केवल एक छिद्र होता है और माथा काफी चौड़ा दिखाई देता है।
(3) गर्भस्थ शिशु की अवस्था (The Period of Fetus)-
जन्मपूर्व अवस्था का यह तीसरा तथा अन्तिम चरण है। गर्भकालीन विकास की यह अवस्था ‘गर्भस्थ शिशु की अवस्था’ कहलाती है।
Important Link
- अधिकार से आप क्या समझते हैं? अधिकार के सिद्धान्त (स्रोत)
- अधिकार की सीमाएँ | Limitations of Authority in Hindi
- भारार्पण के तत्व अथवा प्रक्रिया | Elements or Process of Delegation in Hindi
- संगठन संरचना से आप क्या समझते है ? संगठन संरचना के तत्व एंव इसके सिद्धान्त
- संगठन प्रक्रिया के आवश्यक कदम | Essential steps of an organization process in Hindi
- रेखा और कर्मचारी तथा क्रियात्मक संगठन में अन्तर | Difference between Line & Staff and Working Organization in Hindi
- संगठन संरचना को प्रभावित करने वाले संयोगिक घटक | contingency factors affecting organization structure in Hindi
- रेखा व कर्मचारी संगठन से आपका क्या आशय है ? इसके गुण-दोष
- क्रियात्मक संगठन से आप क्या समझते हैं ? What do you mean by Functional Organization?
Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com