लोकजुम्बिश परियोजना की विस्तृत व्याख्या करते हुए इसके महत्त्वपूर्ण उद्देश्यों व उपलब्धियों का वर्णन कीजिए ।
लोकजुम्बिश परियोजना- राजस्थान सरकार ने सन् 1992 ई. में से लोक जुम्बिश परियोजना प्रारम्भ की थी। इस परियोजना का उद्देश्य स्थानीय विद्यालयों के संचालून में मदद करते हुए सभी बच्चों के लिए प्राथमिक शिक्षा की सुविधाओं की व्यवस्था करना हैं। यह कार्यक्रम प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में अराजकता को रोकने व निर्णय प्रक्रिया के विकेन्द्रीकरण को ध्यान में रखते हुए बनाया गया हैं। यह कार्यक्रम लिंग समानता के लिए भी शिक्षा को परम आवश्यक मानता हैं। शिक्षा मनोवैज्ञानिकों तथा स्वंय सेवी संगठनों के सहयोग से इस कार्यक्रम का सफल संचालन किया जाता हैं। इस कार्यक्रम में ग्राम्य स्तर पर जन समुदाय में, संरचनाओं, फोरम व लोगों के बीच में सहभागिता बनाने का प्रयास किया जाता है इस परियोजना के संचालन में 18 करोड़ की लागत आई हैं। जिसे स्वीडन की अन्तर्राष्ट्रीय विकास एजेन्सी, भारत सरकार तथा राजस्थान सरकार ने 3:21 के अनुपात वहन किया हैं यह कार्यक्रम राजस्थान के 13 जिलों में आज भी चल रही हैं।
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लोक जुम्बिश परियोजना के उद्देश्य (Objectives of Lok Jumbish Pariyojna )
लोक जुम्बिश परियोजना का मुख्य उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करना है। यह कार्यक्रम मुख्यतः लड़कियों व समुदाय के वंचित वर्गों की शिक्षा पर जोर देता है व शिक्षा को सशक्तिकरण का हथियार मानता है। इस परियोजना द्वारा औपचारिक विद्यालयों व उनके सामाजिक वातावरण में गुणात्मक सुधार लाने का प्रयास किया जाता है। यह कार्यक्रम स्थानीय सामग्री व तकनीकी के सदुपयोग हारा, विद्यालय की इमारतों के निर्माण व्यय में कमी लाने का भी प्रयास करता है। लोक जुम्बिश परियोजना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- पाँच से चौदह (5-14) आयु वर्ग के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा की सुविधायें प्रदान करना।
- जहाँ तक सम्भव हो बच्चों का नियमित विद्यालयों में आवश्यकतानुसार ‘सहज शिक्षा केन्द्र में नामांकन कराना।
- यह सुनिश्चित करना कि सभी नामांकित बच्चे नियमित रूप से विद्यालय व सहज शिक्षा केन्द्र भर उपस्थित रहे व प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करें।
- सक्रिय अधिगम (Active Learning), बाल केन्द्रित शिक्षा (ण्ण्त गहू लॅग्दह) पर जोर देकर शिक्षा की गुणवक्ता में सुधार लाना व सभी बच्चों को न्यूनतम स्तर अधिगम प्राप्ति कराने हेतु प्रयास करना।
- शिक्षा को महिलाओं की समानता हेतु आवश्यक मानते हुए उन्हें सशक्त बनाने हेतु उपयुक्त संरचनाओं व प्रक्रियाओं का निर्माण करना।
- समाज के सभी सदस्यों हेतु शिक्षा में समानता को सुनिश्चित करना ।
- शिक्षा के नियोजन व प्रबंधन में लोगों की प्रभावी सहभागिता सुनिश्चित करना ।
परियोजना की स्थापना
लोक जुम्बिश परियोजना में विकेन्द्रीकरण नियोजन व प्रशासन की इकाई क्रमशः गाँव व ब्लाक हैं। इसके अन्तर्गत एक जैसी भौगोलिक, सामाजिक व आर्थिक परिस्थितियों वाले 25-25 गाँवों के समूह द्वारा गाँव व ब्लाक में समन्वय स्थापित किया जाता है। हर विकसित ब्लाक को क्रमशः 5 से 7 घने समूहों में विभाजित किया जाता हैं। समूह के अधिकारी को लोक जुम्बिश परियोजना के विचारों में प्रसारित करना होता हैं।
क्रियान्वयन- लोक जुम्बिश परियोजना का उद्देश्य विकेन्द्रीकृत शिक्षा प्रणाली को लागू करना हैं। जिसमें गाँव की शिक्षा समितियों की मुख्य भूमिका होती हैं। ग्राम्यः शिक्षा समिति में लगभग 8 सदस्य होते हैं जिन्हें सामुदायिक सभाओं में नामित किया जाता है। ग्राम्य स्तर पर इन संगठनों के अतिरिक्त लोक जुम्बिया परियोजना के ब्लाक स्तरीय कमेटी की भी स्थाना की जाती हैं जिसमें सरकार स्वयं सेवी संगठन व ग्राम्य शिक्षा समिति को नियुक्त किया जाता है। ये समितियाँ 100-150 गाँवों के प्रति उत्तरदायी होती हैं और इन्हें विद्यालयों को खोलने, उच्चीकृत करने व नये शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार होता हैं।
अनौपचारिक ग्राम्य शिक्षा समितियों के सदस्य अपने गाँवों में शिक्षा व्यवस्था को व्यवस्थित रखते हैं। वे वृहत्तर ग्रामीण समुदाय व लोक जुम्बिश परियोजना अधिकारी के बीच समन्वय हेतु का कार्य करते हैं। कार्यक्रम के क्रियान्वयन में मदद करते हैं व गाँव की आवश्यकताओं का आकलन कर उन्हें पूरा करने का प्रयास भी करते हैं।
इस प्रशासनिक व्यवस्था में अगली डुकाई ब्लाक होती हैं । इस स्तर पर लोक जुम्बिश परियोजना में दो मुख्य पद होते हैं। – ब्लाक स्टीयरिंग समूह व ब्लाक शिक्षा प्रबन्धन समिति। ब्लाक शिक्षा प्रबन्धन समिति, लोक जुम्बिश परियोजना की शक्तिशाली निर्णय प्रक्रिया का एक अंग हैं। ब्लाक स्टीयरिंग समूह में पंचायत समितियों के प्रतिनिधि व राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग के अधिकारी होते हैं।
लोक जुम्बिश् परिषद् पूरी परियोजना के ‘हेडक्वार्टर’ के रूप में कार्य करती हैं। वह परिषद राजस्थान सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1958 के अधीन एक रजिस्टर्ड संस्था होती हैं। यह परियोजना लोक जुम्बुिश परियोजना के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों हेतु मुख्य समन्वयक व निर्देशिक एजेन्सी होती हैं। राज्य स्तर पर इस परियोजना के सभी सभाओं का आयोजन भी लोक जुम्बिश परिषद द्वारा ही किया जाता हैं।
उपलब्धियाँ- लोक जुम्बिश परियोजना 1992 को प्रारम्भ हुई थी और अब तक 75 ब्लाकों में यह यह प्रस्तावित की जा चुकी हैं। राजस्थान का लगभग एक तिहाई ग्रामीण क्षेत्र इस परियोजना के अन्तर्गत आता हैं। इसके प्रशासन के अन्तर्गत लगभग 1000 प्राथमिक व 300 उच्च प्राथमिक विद्यालय आते हैं तथा इसके अतिरिक्त 1000 अनौपचारिक शिक्षा केन्द्र भी शामिल हैं। इस परियोजना में अपने स्वयं के शिक्षक प्रशिक्षण माड्यूल तैयार किये गये हैं जिसमें 2300 से अधिक शिक्षकों को लाभ मिला हैं।
परियोजना के पहले चार वर्षों में लगभग 50 गाँवों में नामांकन की दर में 24% तक वृद्धि हुई हैं। लड़कों की अपेक्षा लड़कियों के नामांकन में अधिक वृद्धि हुई हैं। इन वृद्धियों के बावजूद भी महिला अध्यापिकाओं की कम नियुक्तियों को देखते हुए महिला शिक्षकों का एक फोरम स्थापित किया गया हैं। जहाँ शिक्षक प्रशिक्षण पर भी बहुत जोर दिया जाता हैं। तथा दो-दो साल के प्रेरक कोर्स हर साल कराये जाते हैं और 900 विषय विशेषज्ञ निरन्तर इसमें सेवारत शिक्षकों की मदद करते हैं।
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