संगठन प्रक्रिया के महत्व का उल्लेख कीजिए।
संस्थान की सारी सफलता कुशल संगठन पर ही निर्भर होती है। प्रवन्ध में इसका महत्व स्वयंसिद्ध है। कुशल संगठन के निम्नलिखित लाभ होते है।
1. मानवीय साधनों का सर्वोत्तम उपयोग- कुशल संगठन कार्यों का उचित अनुमान लगाकर उनका विभागों और व्यक्तियों में उचित विभाजन करता है। कार्य के विवेकपूर्ण विभाजन से हर विभाग और कर्मचारी अपनी योग्यताओं का सर्वोत्तम योगदान करने में समर्थ होता है। इसके कार्ये एवं दायित्वों में सुनिश्चितता आती है तथा कार्यों की पुनरावृत्ति नहीं होने पाती। इसके अतिरिक्त उसकी कार्य कुशलता एवं कार्यगति में वृद्धि होती है। इनका लाभ संस्था को अधिक कुशलता एवं मानवीय साधनों के प्रभावी उपयोग के रूप में मिलता है।
2. भौतिक साधनों का सर्वोत्तम उपयोग- कुशल संगठन स्थानों, भवनों, यंत्रों औजारों सामग्रियों, वित्त आदि सभी भौतिक साधनों के उपयोग को अधिकतम बनाने में योगदान करता है। इससे उनका अपव्यय, टूटफूट, चोरी और बर्बादी भी रुकती है।
3. सुनिश्चित वातावरण का निर्माण- एक अच्छा संगठन कर्त्तव्यों एवं दायित्वों का निश्चित बंटवारा अधिकारी एवं अधीनस्थ के सम्बन्धों का स्पष्ट निर्धारण अधिकारों एवं कार्यों का उचित प्रतिनिधायन तथा कर्मचारियों का सही चयन और प्रशिक्षण करता है। इससे संस्था में सुनिश्चितता एवं सहयोग का वातावरण उत्पन्न होता है। सामूहिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संगठन के सभी अंग मिलकर कार्य करते हैं। ऐसे संगठनों में हर विभाग एवं कर्मचारी अपने सुनिश्चित कर्त्तव्य, अधिकार, दायित्व, स्थिति, साधन और लक्ष्य को भलीभांति जानता है। अत किसी प्रकार की भ्रांतियों, झगड़ों, कार्यों के दोहरेकरण या छूटने की सम्भावना बहुत कम रह जाती है।
4. निर्देश की एकता एवं नियंत्रण और समन्वय की सुविधा – विवेकपूर्ण प्रतिनिधायन, प्रभावी संदेशवाहन और सुसंगत ढंग से निर्धारित अधिकार सम्बन्ध आदेशों एवं निर्देशों की एकता स्थापित करते हैं, दायित्वों एवं कर्तव्यों की निश्चितता उत्पन्न करते हैं एवं नियंत्रण और समन्वय को सुविधाजनक बनाते हैं। अकुशल संगठन अनुशासहीनता अवज्ञा, उत्तरदायित्वहीनता तथा अव्यवस्था को जन्म देता है, जबकि प्रभावी संगठन अनुशासन, आज्ञाकारिता, उत्तरदायित्व की भावना, आत्म-विश्वास, रुचि, पहल, व्यवस्था एवं सहयोग को प्रदान करता है।
5. प्रबन्धघाती घटकों पर रोक- कुशल संगठन कार्य विलम्ब, षडयंत्रों, कुचक्रों मतभेदों, भ्रष्टाचारों भ्रांतियों एवं परस्पर विवादों को रोकता है। इसके विपरीत अकुशल संगठन, आलस्य, बेईमानी, विश्वासघात, अविश्वास, एवं अस्त-व्यस्तता का जन्मस्थल बन जाता है।
6. कर्मचारी विकास में सहयोग- कुशल संगठन संस्था के साथ कर्मचारियों के हितों की भी सुरक्षा करता है। एक अच्छा संगठन, उचित प्रशिक्षण एवं विभिन्न कार्यों तथा पदों पर अभ्यास का अवसर प्रदान करके, कर्मचारियों को विकास और पदोन्नति के योग्य बनाता है। इससे उनका मनोबल बढ़ता है और उन्हें कार्य संतोष मिलता है।
7. सौहार्दपूर्ण मानवीय सम्बन्ध- कुशल संगठन प्रतिष्ठान के भौतिक सामाजिक और मनोवैज्ञानिक वातावरण को सुन्दर बनाता है। संस्था में मानवीय मूल्यों एवं सम्बन्धों को प्रधानता देता है। अपने सदस्यों की आवश्यकताओं भावनाओं आकांक्षाओं, हितो एवं रुचियों का समुचित सम्मान कर एवं उन्हें संगठन के उद्देश्यों, नीतियों एवं कार्यविधियों में समायोजित कर एक श्रेष्ठ संगठन मानवीय सम्बन्धों को मधुर और सौहार्दपूर्ण बनाता है। सदस्यों के मनोबल संतोष विश्वास एवं सहयोग में वृद्धि करता है तथा व्यक्तिगत एवं संगठन के हितों में सामान्जस्य स्थापित करता है।
इस प्रकार जहां एक कुशल संगठन सर्वतोन्मुखी क्षमता और सफलता का आधार होता है, वहां एक अकुशल संगठन भ्रष्टाचार अविश्वास कलह, कुचकों भ्रान्तियों, आलस्य, अवज्ञा एवं अनुशासनहीनता को जन्म देकर कार्य निष्पादन में रुकावट लाता है एवं प्रतिष्ठान को विनाश के गर्त में धकेल देता है।
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