अध्यापक की व्यवसायिक अथवा वृतिक प्रतिबद्धता लिखिए।
अध्यापक की वृतिक प्रतिबद्धता अध्यापक की अपने व्यवसाय के प्रति निष्ठा व प्रतिबद्धता को निम्नलिखित पांच बातों से चिन्हित किया जा सकता है।
1. एक वृतिमान के रूप में एक अध्यापक अपने वृतिक विकास को सर्वोच्च वरीयता देता है;
2. वह शिक्षण व अधिगम के प्रति उत्साही एवं प्रेरित करता है;
3. वह अपने विद्यार्थियों को भावपूर्ण ढंग से जोड़ लेता है। उसके विद्यार्थी उसे अपने शुभचिन्तक, मित्र और मार्गदर्शक के रुप में स्वीकार करते हैं।
4. वह अपने विद्यार्थियों के प्रति सकारात्मक मनोवृति एवं दृष्टिकोण रखता है;
5. वह अपने विद्यार्थियों की आवश्यकताओं, महत्वकांक्षाओं, लक्ष्यों, कमजोरियों अन्तर्निहित क्षमताओं और परिस्थितियों को समझता है और तदानुरुप उनको स्वः विकास के लिये मार्गदर्शन देता है।
यह स्वाभाविक है कि सभी अध्यापक परोक्त कसौटियों पर समान रूप से खरे नहीं उतरतें उनमें भिन्नता होती है। आज ज्ञान विस्फोट के युग में अध्यापक में वृत्यात्मक का होना आवश्यक है, किन्तु इसका आशय यह नहीं है कि अध्यापक एक भावनाओं रहित ज्ञान का प्रतीक बन जाये। उसके शिक्षण में ज्ञानात्मक, भावात्मक एवं क्रियात्मक गुणों का स्वस्थ समन्वय होना चाहिये।
उपरोक्त बिन्दुओं और प्रश्नों के आधार पर यह तय किया जा सकता है कि एक अध्यापक में वृत्यात्मकता है या नहीं? और है तो कितनी विकसित है। अध्यापकों में वृत्यात्मकता होती है। प्रश्न है कि यदि अध्यापकों में इस गुण की कमी है तो इसका विकास अथवा बुद्धि कैसे हो? दूसरे सरल शब्दों में, अध्यापकों को वृत्यात्मक विकास के लिये कौनसे तरीके अपनाने चाहियें? वृत्यात्मकता का अन्तिम आलोच्य विषय इसी प्रश्न का उत्तर खोजना है।
जवाबदेही या प्रतिबद्धता का आंकलन
विद्यालयी शिक्षा में प्रतिबद्धता या जवाबदेही का आंकलन कई स्तरों पर किया जाता है, उसके प्रमुख स्तर निम्नलिखित हैं-
(1) समुदाय तथा स्थानीय स्तर पर आंकलन होता है। माता-पिता तथा अभिभावक अपने बालकों को ऐसे विद्यालयों में प्रवेश कराने का प्रयास करते हैं, जिस विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था प्रभावशाली होती है, उस विद्यालय का परीक्षाफल भी उत्तम रहता हो।
(2) जिला स्तर पर भी विद्यालयी शिक्षा का आंकलन किया जाता है और विद्यालयों का स्तरीकरण किया जाता है कि विद्यालय प्रथम स्तर का है या द्वितीय स्तर का।
(3) राज्य स्तर पर भी विद्यालयी शिक्षा की प्रतिबद्धता का आंकलन जिला स्तर के उत्तम विद्यालयों में से किया जाता है और राज्य स्तर पर सर्वोत्तम विद्यालयों की शिक्षा का चयन किया जाता है जिससे अन्य विद्यालयों के प्राचार्यों को प्रेरणा मिलती है।
(4) राष्ट्रीय स्तर के विद्यालयों तथा केन्द्रीय विद्यालयों की प्रतिबद्धता का आंकलन किया जाता है और राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोतम विद्यालयों का चयन किया जाता है।
विद्यालयी शिक्षा में जवाबदेही के आंकलन के प्रमुख आधार निम्नलिखित हैं-
(अ) विद्यालयीय शिक्षा में जवाबदेही के आंकलन के प्रमुख उत्तरदायित्वों तथा कर्त्तव्यों का निर्वाह कितनी सजगता तथा तत्परता से करता है।
(ब) विद्यालय का प्रशासन में प्राचार्य द्वारा अपनी भूमिकाओं, कर्त्तव्यों तथा उतरदायित्वों का निर्वाह जवाबदेही के किया जाता है।
(स) विद्यालयों के अध्यापकों की भूमिकाओं तथा उत्तरदायित्वों तथा कर्तव्यों तथा उनके शिक्षण विषयों के परीक्षाफलों से आंकलन किया जाता है।
(द) विद्यालय के अन्य कर्मचारियों के उत्तरदायित्वों तथा कर्तव्य निर्वहन की जवाबदेही होती है, जिससे विद्यालय शिक्षा का मूल्यांकन होता है।
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