पूर्व बाल्यावस्था का अर्थ स्पष्ट करते हुये उसकी विशेषतायें बताइये।
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पूर्व बाल्यावस्था ( Early Childhood ) (2 से 6 वर्ष तक )
पूर्व बाल्यावस्था तीव्र विकास की अवस्था है। शारीरिक विकास की गति तीव्र होने के कारण बालक की क्रियाशीलता में वृद्धि हो जाती है। फलस्वरूप अब वह अपनी विभिन्न क्रियाओं को स्वतन्त्रतापूर्वक स्वयं ही करने का प्रयास करता है जिससे इस अवस्था में बालक अनेक नये-नये व्यवहार प्रतिमानों (Behaviour Pattern) का निर्धारण करता है। इन्हीं व्यवहार प्रतिमानों से उसके आगामी विकास का स्वरूप निर्धारित होता है। इस आयु में बालक जिज्ञासु प्रवृत्ति का हो जाता है। वह अपने आसपास के वातावरण के समझने और जानने का प्रयास करता है जिससे अनेक दुर्घटनाओं का शिकार हो जाता है । जैसे— ऊँचे स्थान पर रखी वस्तु के बारे में जानने के प्रयास मैं स्वयं लुढ़क या वस्तु को अपने ऊपर गिरा लेना आदि। अतः यह अवस्था माता-पिता के लिये समस्या अवस्था (Problem Age) भी होती है किन्तु फिर भी इस अवस्था में बालक अपने क्रियाकलापों से वयस्कों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं और माता-पिता के आकर्षण का बिन्दु बन जाते है।
पूर्व बाल्यावस्था की विशेषतायें (Characteristics of Early Childhood)
पूर्व बाल्यावस्था में बालकों में निम्नलिखित विशेषतायें दृष्टिगत होती है।
1. पूर्व बाल्यावस्था ‘पूर्वशालेय’ अवस्था है (Early Childhood is Pre- School Age ) – पूर्व बाल्यावस्था ‘स्कूल पूर्व की अवस्था’ कहलाती है। शिक्षाशास्त्रियों के अनुसार बालकों की औपचारिक शिक्षा 6 वर्ष की आयु के पश्चात् प्रारम्भ होती है किन्तु इस अवस्था में भी अधिकांश बच्चे नर्सरी और किण्डरगार्टन स्कूलों में जाते हैं जहाँ उन्हें स्वतन्त्र वातावरण में खेल पद्धति द्वारा निश्चित कार्यक्रम के अनुसार कार्य करना सिखाया जाता है और आगे की अवस्था में स्कूल जाने के लिये तैयार किया जाता है। पूर्वशालाओं में कोई निश्चित पाठ्यक्रम नहीं होता है। अतः बच्चों में स्कूल के प्रति आकर्षण उत्पन्न होता है। अतः पूर्व बाल्यावस्था को ‘स्कूल पूर्व की अवस्था’ कहा जाता है।
2. पूर्व बाल्यावस्था ‘समूह पूर्व’ की अवस्था है ( Early Childhood is Pregang Age ) — मनोवैज्ञानिकों के अनुसार पूर्व बाल्यावस्था समूह पूर्व की अवस्था है। इसी अवस्था से बालक के सामाजिक व्यवहारों की शुरूआत होती है। क्योंकि इस अवस्था में बालक घर के वातावरण से निकलकर अपने हमउम्र मित्रों के साथ रहना और खेलना सीखता है और यह शुरुआत पूर्व शालाओं में प्रवेश के पश्चात ही होती है। अतः पूर्वशालाओं से बालक के सामाजिक व्यवहारों की नींव पड़ना प्रारम्भ हो जाती है।
3. पूर्व बाल्यावस्था जिज्ञासावृत्ति की अवस्था है (Early Childhood is Age of Curiosity )— पूर्व बाल्यावस्था में बालकों में जिज्ञासा प्रवृत्ति अपनी चरम सीमा पर पायी जाती है क्योंकि जब बालक बाह्य वातावरण के सम्पर्क में आता है तो समायोजन से पूर्व वह अपने वातावरण के सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहता है कि उसका वातावरण क्या है ? था वह किस प्रकार उस वातावरण का अंग बन सकता है? आदि बातों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने के बाद ही वह उस वातावरण में समायोजन करता है। इस प्रकार नित्यप्रति नवीन वातावरण से समायोजन करते-करते वह अपने बाह्य वातावरण पर नियन्त्रण करना सीख जाता है। बालक के वातावरण में व्यक्ति तथा सभी सजीव और निर्जीव वस्तुयें सम्मिलित रहती है।
4. पूर्व बाल्यावस्था समस्या अवस्था है (Early Childhood is Problem Age) — पूर्व बाल्यावस्था में बालक का शारीरिक विकास तीव्र गति से होने के कारण उसकी क्रियाशीलता में वृद्धि हो जाती है जिससे वह इस अवस्था में स्वतन्त्रतापूर्वक विभिन्न क्रियाकलापों को करना चाहता है और अपनी क्रियाओं में किसी का हस्तक्षेप पसन्द नहीं करता है जिससे वह अनेक दुर्घटनाओं का शिकार हो जाता है और माता-पिता के लिये समस्यायें उत्पन्न करते हैं। इसके अतिरिक्त वे अपनी क्रियाओं में किसी का हस्तक्षेप पसन्द नहीं करते है। हस्तक्षेप करने का आक्रामक हो उठते हैं। हठ, जिद, अवज्ञा तथा नकारात्मक व्यवहारों का प्रदर्शन करते हैं जिससे माता-पिता को बालकों की अनेकों व्यवहार सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
5. पूर्व बाल्यावस्था ‘स्थिरता और शांति की अवस्था’ है (Early Child- hood is the Age of Stability and Peace) — यद्यपि यह अवस्था ‘समस्या अवस्था’ है और इस अवस्था में बालक ‘नकारात्मक व्यवहारों’ का प्रदर्शन करता है। लेकिन यह प्रदर्शन तभी होता है जब उसके क्रियाकलापों में रुकावट उत्पन्न की जाती है। नकारात्मक व्यवहारों के फलस्वरूप भी यह अवस्था ‘स्थिरता तथा शांति की मानी जाती है क्योंकि इस अवस्था में बालक पूर्व शालाओं में समूह के मित्रों के बीच रहता है जहाँ उसे जीवन की अनेकों वास्तविकताओं का सामना करना पड़ता है। समूह के बीच उसके सभी कार्य समूह द्वारा नियन्त्रित व निर्देशित होते है। समूह में वह किशोरों की भाँति क्रांतिकारी भावनाओं का प्रदर्शन नहीं करता है।’
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