बुद्धि लब्धि क्या है? बुद्धि लब्धि वितरण एवं स्थिरता का वर्णन कीजिए।
मानसिक आयु की अवधारणा के विकास से मानसिक परिपक्वता को जानने में बहुत अधिक सफलता प्राप्त हुई है। इसके आधार पर स्टर्न (Sterm) के सुझाव के अनुसार (Terman) ने 1916 ई. में बुद्धि स्तर की गणना हेतु एक सुविधाजनक सूचकांक (Index) विकसित किया जिसे बुद्धि लब्धि (I.Q.) कहा गया। इसे मानसिक आयु एवं शारीरिक आयु के अनुपात के रूप में ज्ञात किया जाता है। मानसिक आयु से तात्पर्य उस आयु से होता है जिसके लिए निर्धारित प्रश्नों का सही उत्तर बालक दे देता है, किन्तु उससे अधिक आयु के लिए निर्धारित प्रश्नों के उत्तर वह नहीं दे पाता है। इस प्रकार मानसिक आयु का निर्धारण हो जाने पर वास्तविक आयु से उसका अनुपात निकालकर बुद्धि लब्धि ज्ञात की जा सकती है। बुद्धि लब्धि ज्ञात करने के लिए टरमन द्वारा दिया गया सूत्र इस प्रकार है-
बुद्धि-लब्धि (1.Q.) = मानसिक आयु/शारीरिक आय × 100
अर्थात् LQ. = M.A /C.A. × 100
उपर्युक्त सूत्र में 100 करने का मुख्य कारण दशमलव बिन्दुओं के प्रयोग से को 100 के बराबर माना जाना भी इसका एक कारण है। इस सूत्र द्वारा बुद्धि लब्धि की गणना का एक उदाहरण निम्नांकित हैं
बचना तथा प्राप्तांकों में प्रसरण लाना है। इसके अतिरिक्त एक सामान्य व्यक्ति की बुद्धि लब्धि उदाहरण किसी बुद्धि परीक्षण पर एक 8 वर्ष का बालक 10 वर्ष की आयु के लिए निर्धारित सभी प्रश्नों को सही हल कर लेता है, किन्तु 11 वर्ष के लिए निर्धारित किसी भी प्रश्न को नहीं हल कर पाता है तो इसकी बुद्धि लब्धि की गणना इस प्रकार की जायेगी
बालक की वास्तविक आयु (C.A)= 8 वर्ष
बालक की मानसिक आयु (M.A) = 10 वर्ष
अतः बुद्धि लब्धि
1.Q. = M.A./C.A. ×100=
10/8 × 1.25 × 100 = 125
इस प्रकार गणना करने से बालक की बुद्धि-लब्धि 125 प्राप्त हुई।
बुद्धि लब्धि वितरण एवं इस पर आधारित वर्गीकरण
मनोवैज्ञानिकों द्वारा बुद्धि लब्धि के आधार पर व्यक्तियों का वर्गीकरण भी किया गया है। टरमन, हिलगार्ड, एटकिंसन एवं अन्य मनोवैज्ञानिकों द्वारा स्टैनफोर्ड बिने परीक्षण के आधार पर बुद्धि लब्धि एवं उसके अनुसार किये गये व्यक्तियों के वर्गीकरण को निम्नांकित तालिका में प्रस्तुत किया गया है-
बुद्धि लब्धि सीमाएं |
वर्ग या श्रेणी | व्यक्तियों का प्रतिशत |
140 या इससे ऊपर | प्रतिभाशाली (Genius) | 1% |
120-139 | प्रखर या श्रेष्ठ बुद्धि (Superior ) | 1% |
110-119 | औसत से अधिक या तीव्र बुद्धि (Above Average) | 16% |
90-109 | सामान्य या औसत बुद्धि (Average or Normal) | 50% |
80-89 | मन्द बुद्धि या सामान्य से कम (Below Line Feeble minded or Dull) | 16% |
70-79 |
सीमान्त मन्दबुद्धि या अल्प बुद्धि (Border Line Feeble Minded or Dull) |
7% |
60-69 | मूर्ख (Moron) | |
20-59 | मूढ़ (Imbecile) | 3% |
20 या इससे कम | जड़ (Idiot) |
सामान्यतया किसी बड़े समूह के लिए बुद्धि लब्धि का वितरण सामान्य सम्भाव्यता वक्र (Normal Probability Curve or N.P.C) का अनुगमन करता है। वेश्लर (Weschler) ने सामान्य सम्भाव्यता वक्र के आधार पर स्पष्ट किया है कि लगभग 50 प्रतिशत व्यक्तियों की बुद्धि लब्धि 90 110 के बीच अर्थात् औसत या सामान्य श्रेणी की होती हैं। 130 या इससे अधिक बुद्धि लब्धि वाले तथा 70 से कम बुद्धि लब्धि वाले व्यक्तियों की संख्या बहुत ही कम (लगभग 3%) होती है। सामान्य सम्भाव्यता वक्र के रूप में बुद्धि लब्धि वितरण को चित्र में दर्शाया गया है।
बुद्धि लब्धि के उपर्युक्त वितरण से स्पष्ट है कि 130 या इससे अधिक बुद्धि लब्धि वाले व्यक्तियों की संख्या बहुत कम (लगभग 3 प्रतिशत) पायी जाती है। मनोवैज्ञानिक इन्हें प्रतिभाशाली बालक (Gifted Children or Person) कहते हैं। इसी प्रकार 70 या इससे कम बुद्धि लब्धि वाले बालकों या व्यक्तियों को पिछड़े बालक (Mentally Refarded on Deficient Children) कहा जाता है। “प्रतिभाशाली एवं पिछड़े बालक के सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा इसी पुस्तक के एक अन्य अध्याय में की गयी है।
बुद्धि लब्धि की स्थिरता – यद्यपि व्यक्ति की बुद्धि लब्धि में कुछ आकस्मिक परिवर्तनों के अतिरिक्त भी कुछ परिवर्तन देखे जाते हैं, किन्तु मनोवैज्ञानिकों की धारणा यही है। कि बालक की बुद्धि लब्धि सदैव स्थिर रहती है। चूँकि, बुद्धि लब्धि मानसिक एवं शारीरिक आयु के अनुपात को दर्शाती है, अतः इसकी स्थिरता की दृष्टि से शारीरिक आयु के बढ़ने के साथ-साथ मानसिक आयु भी बढ़ती हैं उदाहरणार्थ यदि एक 8 वर्ष के बालक की मानसिक आयु 10 वर्ष है तो जब वह 12 वर्ष का होगा तब उसकी मानसिक आयु 15 वर्ष हो जायेगी। बुद्धि लब्धि की इस स्थिरता के सम्प्रत्यय के आधार पर विकासशील बालक के मानसिक विकास के बारे में पूर्व आकलन भी किया जा सकता है। अतः यह कहा जा सकता है कि एक प्रखर बुद्धि का बालक प्रौढ़ होने पर भी प्रखर बुद्धि वाला ही रहेगा तथा एक मन्द बुद्धि बालक जीवन पर्यन्त मन्द बुद्धि ही रहेगा। यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है कि अधिकांशतः बुद्धि लब्धि की गुणना हेतु 16 वर्ष की आयु को अधिकतम वास्तविक आयु के रूप में स्वीकार किया जाता है। इसका कारण यह है कि इस आयु तक मानसिक विकास पूर्ण हो जाता है। अतः प्रौढ़ व्यक्ति के लिए भी बुद्धि लब्धि की गणना करने हेतु सूत्र में उसकी वास्तविक आयु 16 वर्ष रखी जाती है। कुछ मनोवैज्ञानिकों के अनुसार मानसिक परिपक्वता के लिए अधिकतम वास्तविक आयु 18 वर्ष होती है।
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