भाषा विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों पर प्रकाश डालिए।
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भाषा को प्रभावित करने वाले तत्व
भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कुछ प्रमुख तत्वों का वर्णन निम्न है।
1. परिपक्वता – बालकों में भाषा विकास के लिए स्वरयन्त्रों की परिपक्वता का होना नितान्त आवश्यक होता है। यदि बालकों में परिपक्वता की कमी हो तो चाहे जितना प्रयास किया जाय बालक भाषा नहीं सीख सकता है। अतः बालक ज्यों-ज्यों परिपक्व होता है वह स्वाभाविक तौर पर भाषा सीखता जाता है।
2. सीखना और अनुकरण करना- बालक का सीखने तथा अनुकरण करने के लिए उचित वातावरण की आवश्यकता होती है। यह उस प्रकार की भाषा को सीख सकता है। अथवा उसका अनुकरण कर सकता है जो भाषा उसके पास-पड़ोस के चारों तरफ बोली जाती है। सीखने तथा अनुकरण करने की क्रिया वातावरण पर निर्भर करती है।
3. प्रेरणा- भाषा के विकास में प्रेरणा अथवा प्रलोभन के महत्व को भुलाया नहीं जा सकता है। छोटे बालकों को किसी कार्य को सीखने के लिए काफी प्यार अथवा दुलार को आवश्यकता होती है। बालकों के साथ कठोरता का बर्ताव करने पर उनकी मानसिकता पर बुरा प्रभाव पड़ता है तथा वे दब्बू बन जाते हैं। माता-पिता तथा शिक्षको को इस प्रकार का प्यार से भरा हुआ प्रोत्साहन तथा वातावरण उत्पन्न करना चाहिए कि बालक स्वयं किसी बात को सीखने के लिए लालायित हो उठे। जिस काम को कठोर नियन्त्रण से नहीं कराया जा सकता है बालक उसे प्रेरणा तथा प्रलोभन से सीख सकता है।
4. शब्द साहचर्य – बालकों में शब्द तथा उनके अर्थ को समझाकर प्रयोग करने की प्रवृत्ति का विकास देर से धीरे-धीरे होता है। कभी-कभी वह शब्द जानता है पर अर्थ नहीं समझ पाता। इसीलिए ऐसी दशा में वह किसी शब्द के प्रयोग से घबड़ाहट का अनुभव करता है। वह बार-बार किसी वस्तु को देखकर समझ जाता है कि वह अमुक वस्तु है और फिर बिना शिक्षक के उसका प्रयोग शुरू कर देता है।
5. बुद्धि- भाषा विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों में बुद्धि का प्रमुख स्थान है। बुद्धि एक आन्तरिक तत्व है। यह जन्मजात होती है। इसे वातावरण के द्वारा पैदा नहीं किया जा सकता है। बालक जितनी बुद्धि लेकर आता है, वह उतनी ही रहती है। बुद्धिमान बालक का भाषा विकास तीव्रगति से होता है। कारण यह है कि उसमें शब्दों तथा उसके अर्थों के ग्रहण की क्षमता अन्य बालकों की अपेक्षा अधिक पायी जाती है। बुद्धि का मानव जाति के विकास में महान् योगदान है।
6. लिंग-भेद- मनोवैज्ञानिक अनुसंधान से ऐसा पता चलता है कि भाषा विकास पर लिंग का भी प्रभाव पड़ता है। प्रायः देखा जाता है कि लड़कों की अपेक्षा लड़कियाँ भाषा को अच्छी तरह सीख लेती हैं। अनुकरण करने की उनकी क्रिया बालकों से तेज होती है। बालिकाओं का उच्चारण बालकों की अपेक्षा अधिक साफ तथा स्पष्ट होता है। इस सम्बन्ध में मैकार्थी ने अपने अनुसंधान के आधार पर यह बताया है कि लड़कियाँ किसी कार्य को लड़कों की अपेक्षा जल्दी सीख लेती हैं।
7. कई भाषाओं का प्रयोग- जिन परिवारों में दो प्रकार की भाषा का व्यवहार होता है वहाँ बालकों की भाषा का सही तथा समुचित विकास नहीं हो पाता है। कारण यह है कि बालकों की कोमल भावनाएँ तथा अपरिपक्व मस्तिष्क दो भाषाओं के बोझ को उठा नहीं सकता।
8. सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति- बालक की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति भी भाषात्मक विकास पर काफी असर डालती है। जिन बालकों के परिवारों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति ठीक होती है, निःसन्देह वहाँ बालकों की भाषा का विकास शीघ्रता से होता है। ऐसे सम्पन्न परिवार में पैदा होनेवाले बालकों का शब्दकोश भी काफी उन्नत होता है।
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