मध्यांक या मध्यिका (Median) को परिभाषित करते हुये अवर्गीकृत एवं वर्गीकृत आंकड़ों से मध्यांक ज्ञात करने की विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
मध्यांक (Median) केन्द्रीय प्रवृत्ति का माप है। माध्यांक किसी आवृत्ति वितरण में प्राप्ताको के मध्य के अंक का मान होता है, जहाँ से समूह के आधे प्राप्तांक ऊपर तथा आधे प्राप्तांक नीचे होते हैं। इसे मध्यांक भी कहते हैं। विभिन्न विद्वानों ने मध्यांक को परिभाषित करते हुये लिखा है-
फरगूसन के अनुसार- “मध्यांक एक पैमाने पर वह बिन्दु है, जिसके आधे अवलोकन ( प्राप्तांक) इसके ऊपर और आधे इसके नीचे पड़ते हैं।”
गैरिट के अनुसार- “जब अव्यवस्थित प्राप्तांक या अन्य मापन आकार के अनुसार व्यवस्थित किये जाते हैं तब उस श्रृंखला का मध्य बिन्दु ही मध्यांक होता है। “
गिलफोर्ड के अनुसार- “मध्यांक की परिभाषा मापन के पैमाने के उस बिन्दु से की जाती है, जिसके ऊपर ठीक आधे प्राप्तांक तथा जिसके नीचे आधे प्राप्तांक स्थित होते हैं। “
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि जब प्राप्तांक आवृत्ति विवरण में व्यवस्थित किये जाते हैं तब मध्यांक वितरण में 50 प्रतिशत वां बिन्दु होता है अर्थात् वह बिन्दु होता है, जिसके दोनों ओर 50 प्रतिशत प्राप्तांक होते हैं।
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अवर्गीकृत आँकड़ों से मध्यांक ज्ञात करना
अवर्गीकृत आँकड़े दो रूप में हो सकते हैं-
- जब प्राप्तांकों की संख्या (N) सम (Even) हो
- जब प्राप्तांकों की संख्या (N) विषम (Odd) हो
मध्यांक ज्ञात करने की विधि दोनों दशाओं में एक ही है। कहीं-कहीं सम संख्या (Even) में N/2 का मान निकालते हैं परन्तु यह सूत्र मुख्यतः कम प्रयुक्त होता है-
सूत्र – Mdn = (N +1)/ 2th term
यहां- Mdn= Median (मध्यांक)
N= समूह के प्राप्तांकों की कुल संख्या
प्राप्तांकों की विषम संख्याओं को आरोही क्रम अथवा अवरोही क्रम में रखने पर मध्य का प्राप्तांक मध्यांक होता है। यथा-
7, 6, 5, 4, 3, 2, 1 में मध्य का पद 4 है मध्याक (Median) 4 है।
उदाहरण- निम्न प्राप्तांकों से मध्यांक गणना करो-
10, 7, 9, 12, 7, 8, 11,
हल- प्राप्तांकों को आरोही क्रम में रखने पर- 7, 7, 8, 9, 10, 11, 12
N=7
Mdn= (N +1)/2th term= 7+1/2th term= 8/2th term=4th term
अर्थात प्राप्तांकों के समूह की चौथी संख्या चूंकि प्रदत्त प्राप्तांकों के समूह में चौथी संख्या 9 है अत: मध्यांक 9 होगा।
अगर वितरण के अन्त में प्राप्तांक उच्च हों तो मध्यांक प्रभावित नहीं होता है। यथा-
50, 40, 30, 4, 3, 2, 1
4 = Median
जब प्राप्तांकों की संख्या सम होती है। अर्थात ऐसी संख्या जो 2 से पूरी-पूरी विभाजित हो ‘जाती है, तो (N+1) में दो का भाग देने से पूर्णांक नहीं आएगा। किसी भी संख्या के आगे 5 अवश्य आएगा। इस दशा में संख्या का मूल्य निश्चित करने के लिए उसके दोनों ओर की पूर्ण संख्याओं के मूल्यों को जोड़कर 2 से भाग देते हैं। जैसे- यदि प्राप्तांकों की किसी संख्या के (N+1) में 2 का भाग देने से 5.5 आता है तो 5 वें तथा 6 वें पदों के मूल्यों को जोड़कर 2 का भाग देने से जो संख्या आवेगी, वही अभीष्ट मध्यांक होगा। प्राप्तांकों की संख्या सम होने पर मध्य के दो प्राप्तांकों का मध्यबिन्दु मध्यांक होगा। यथा-
6, 5, 4, 3, 2, 1
mdn= (N+1 /2)th term=6+1/2= 7/2 = 3.5th term
Median= 3.5
वर्गीकृत आँकड़ों से मध्यांक ज्ञात करना
वर्गीकृत आँकड़ों से प्राप्तांकों का मध्यांक ज्ञात करने के लिए सर्वप्रथम संचयी आवृत्तियाँ ज्ञात कर हैं। तदुपरान्त N/2 वाँ पद द्वारा केन्द्रीय मूल्य ज्ञात कर लेते हैं। केन्द्रीय मूल्य जिस संचयी आवृत्ति में आता है। उसी से सम्बन्धित वर्गान्तर में मध्यांक होता है, जिसे निम्नलिखित सूत्र द्वारा ज्ञात कर लिया जाता है-
सूत्र- Mdn= L1+{n/2-f/fm} i
यहाँ
Mdn = मध्यांक (Median)
L1 = मध्यांक वाले वर्गान्तर की वास्तविक निम्न सीमा
N= प्राप्तांकों की कुल संख्या
F = मध्यांक वाले वर्गान्तर के नीचे की सब आवृत्तियों का योग ।
fm = मध्यांक वाले वर्गान्तर की आवृत्तियाँ
i = वर्ग-विस्तार
उदाहरण- दिये गये आवृत्ति वितरण से मध्यांक की गणना करो-
Scores | Frequencies |
100-109 | 5 |
90-99 | 9 |
80-89 | 14 |
70-79 | 19 |
60-69 | 21 |
50-59 | 30 |
40-49 | 25 |
30-39 | 15 |
20-29 | 10 |
10-19 | 8 |
0-9 | 6 |
N=162 |
हल- प्रदत्त आवृत्ति वितरण के प्राप्तांकों को तालिका में निम्नलिखित प्रकार से व्यवस्थित करके मध्यांक ज्ञात करना-
Scores | Frequencies | Cumulative Frequencies |
100-109 | 5 | 162 |
90-99 | 9 | 157 |
80-89 | 14 | 148 |
70-79 | 19 | 134 |
60-69 | 21 | 115 |
50-59 | 30 | 94 |
40-49 | 25 | 64 |
30-39 | 15 | 39 |
20-29 | 10 | 24 |
10-19 | 8 | 14 |
0-9 | 6 | 06 |
N=162; L = 49.5: F = 64; fm = 30; i = 10
Mdn = L1 + {n/2-f/fm} i= 49.5+ {162/2-64/30}x10
= 49.5+ 17/30 x 10= 49.5 +0.5666 x 10
= 49.5+ 5.666 = 55.166 = 55.17
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