माध्यमिक कक्षाओं हेतु हिन्दी शिक्षण के उद्देश्य एवं आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
माध्यमिक कक्षाओं के लिए हिन्दी शिक्षण का उद्देश्य एवं आवश्यकता
हिन्दी शिक्षण की प्रत्येक कक्षाओं में शिक्षण के उद्देश्य भिन्न-भिन्न होते हैं। किसी स्तर पर वाचन पर जोर दिया जाता है तो किसी स्तर परं व्याकरण का शुद्धता पर ध्यान दिया जाता है। कक्षा के स्तर बढ़ने पर यह वर्गीकरण उचित भी है और आवश्यक भी। इसके उद्देश्यों को हम सीताराम चतुर्वेदी के इस कथन के द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं कि “भाषा की शिक्षा का उद्देश्य यह है कि हम दूसरों की कही और लिखी हुई बातें ठीक-ठीक समझ और पढ़ तथा शुद्ध, प्रभावोत्पादक, मधुर और रमणीय ढंग से बोल और लिख सकें।
माध्यमिक कक्षाओं में हिन्दी शिक्षण के उद्देश्यों को करुणापति त्रिपाठी इस प्रकार व्यक्त करते हैं, “ दूसरों द्वारा कही और लिखी बातों को ठीक-ठीक समझ सकने योग्य छात्रों को बताते हुए प्रभावशाली आकर्षक, शुद्ध तथा रुचिकर शैली के अवसर परिस्थिति के अनुकूल भाषा को ऐसे ढंग से प्रयोग करने की क्षमता उत्पन्न करना जिससे अभीष्ट सिद्धि में सहायता मिले।
माध्यमिक कक्षाओं में हिन्दी शिक्षण के उद्देश्य इस प्रकार हैं-
(1) सौन्दर्य बोध का ज्ञान कराने के लिए- माध्यमिक स्तर पर आकर छात्रों का मानसिक विकास पर्याप्त रूप से हो जाता है। वे हिन्दी साहित्य की विभिन्न सूक्ष्मताओं को समझ सकने में सक्षम हो जाते हैं। अतः साहित्य का सौन्दर्यबोध का ज्ञान कराने के लिए माध्यमिक कक्षाओं में हिन्दी शिक्षण दिया जाता है।
(2) उच्च कोटि के लेखकों की शैली का ज्ञान कराने के लिए- माध्यमिक कक्षाओं में प्रवेश से पूर्व विद्यार्थी की मानसिक अवस्था इतनी परिपक्व नहीं होती है कि उसे उच्चकोटि के लेखकों की शैली का ज्ञान करवाया जा सके। इसलिए माध्यमिक कक्षाओं में हिन्दी के शिक्षण का एक उद्देश्य यह भी होता है कि विद्यार्थियों को उच्च कोटि के लेखकों की शैलियों का ज्ञान हो जाये।
(3) स्वयं की शैली का विकास करने के लिए- चूँकि माध्यमिक कक्षा में विद्यार्थी का हिन्दी व्याकरण स्तर काफी समृद्ध हो चुका है तथा इसी के साथ ही वह उच्चकोटि के लेखकों की शैलियों से भी परिचित हो चुका होता है। उसे अपनी शैली विकसित करने की क्षमता उत्पन्न हो जाती है। अतः कह सकते हैं कि माध्यमिक कक्षाओं में शैली विकास करने के लिए भी हिन्दी शिक्षण आवश्यक होता है।
(4) भाषा की शुद्धता तथा अशुद्धता का ज्ञान कराने के लिए- माध्यमिक कक्षाओं तक पहुँचते-पहुँचते विद्यार्थी की संवेदनशीलता तथा विषय को गम्भीरतापूर्वक समझने की समझ काफी बढ़ चुकी होती है। इस स्तर पर भाषा सम्बन्धी शुद्धता और अशुद्धता को प्रभावशाली ढंग से समझाया जा सकता है। अतः भाषा की शुद्धता के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर हिन्दी शिक्षण करना जरूरी हो जाता है।
(5) आत्माभिव्यक्ति तथा सृजनात्मक शक्ति को विकसित करने के लिए- माध्यमिक कक्षाओं में अध्ययन के दौरान छात्र की मानसिक शक्तियों एवं शब्द-भण्डार में वृद्धि हो जाती है। हिन्दी साहित्य की समस्त विशेषताओं एवं प्रवृत्तियों से वह परिचित हो जाता है। इन विशेषताओं एवं गुणों से सम्पन्न हो जाने के कारण वह आत्माभिव्यक्ति तथा सृजनात्मक शक्ति के विकास में समर्थ हो जाता है। उसके इन्हीं गुणों का विकास करने के लिए माध्यमिक कक्षाओं में हिन्दी शिक्षण आवश्यक होता है।
(6) वाद-विवाद तथा निबन्ध प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहन हेतु- इन कक्षाओं में अध्ययनरत छात्रों की तर्कशक्ति तीव्र होती है। विश्लेषणात्मक अध्ययन करने की उनकी क्षमता बढ़ जाती है। विभिन्न विषयों का व्यापक अध्ययन करने के कारण निबन्ध लेखन में भी ये सक्षम होते हैं। विद्यार्थियों को इन कार्यों में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए, माध्यमिक स्तर पर हिन्दी शिक्षण का उद्देश्य रखा जाता है।
(7) स्वाध्याय हेतु उत्साहवर्धन करने के लिए- माध्यमिक कक्षाओं में, जबकि छात्र की विषय सम्बन्धी समझ और संवेदनशीलता में वृद्धि होने लगती है, उस समय स्वाध्याय में उसे रस आने लगता है, वह स्वाध्याय में प्रवृत्त हो जाता है। ऐसे समय में पाठ्यक्रम से हिन्दी शिक्षण को हटाना उचित नहीं है क्योंकि इसी समय वह स्वाध्याय के लिए प्रेरित होता है। अतः कहा जा सकता है कि स्वाध्याय में प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से माध्यमिक कक्षाओं में हिन्दी शिक्षण किया जाता है।
(8) स्वयं साहित्य रचना की क्षमता उत्पन्न करना- माध्यमिक कक्षाओं तक आते-आते विद्यार्थी का हिन्दी सम्बन्धी ज्ञान, व्याकरण, रुचियाँ, संवेदनशीलता, शब्द-भंडार आदि आयामों तक पहुँच जाते हैं। आत्माभिव्यक्ति की क्षमता होने के कारण उसे स्वयं साहित्य निर्माण की संभावनायें प्रबल हो जाती हैं। इन दशाओं में साहित्य निर्माण की क्षमता पैदा करने के लिए माध्यमिक कक्षाओं में हिन्दी शिक्षण किया जाता है
(9) लेखन शक्ति का विकास करने के लिए- लेखन शक्ति में पैनापन उसी समय आता है जब व्यक्ति के पास नवीन विचार तथा उसे व्यक्त करने के लिए उचित शब्दकोष होता है। माध्यमिक कक्षाओं का विद्यार्थी इन क्षमताओं से सम्पन्न होता है। अतः वह लेखन शक्ति को विकसित कर सकता है। उसकी इन्हीं क्षमताओं को उभारने के लिए माध्यमिक स्तर पर हिन्दी शिक्षण का उद्देश्य सामने रखा जाता है।
(10) अन्य मौखिक और लिखित भाषाओं को समझने की योग्यता उत्पन्न करना- माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थी स्वयं की हिन्दी भाषा को भिन्न-भिन्न कोणों से समझने की योग्यता अर्जित कर चुका होता है। अतः उसे अन्य मौखिक और लिखित भाषाओं को समझने की योग्यता उत्पन्न हो जाती है। इन योग्यताओं में वृद्धि करने के लिए इन कक्षाओं में हिन्दी शिक्षण किया जाता है।
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