शिक्षा में नवाचार का महत्व की विवेचना कीजिए।
नवाचार का महत्त्व
आज भारत की ही नहीं वरन् सम्पूर्ण विश्व की जनसंख्या द्रुत गति से बढ़ रही है। परिणामतः सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं के उत्पन्न होने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की शैक्षिक समस्याएँ भी उत्पन्न हो जाती हैं। उदाहरणार्थ पाठशालाओं की आवश्यकता होने. के परिणामस्वरूप पाठशालाओं में अधिक उपकरणों की आवश्यकता होगी, साथ ही अधिक किताबों की आवश्यकता होगी, उसी स्थिति में संवैधानिक उत्तरदायित्व का निर्वाह सम्भव हो पायेगा। हमारा संवैधानिक उत्तरदायित्व लोकतन्त्रात्मक और समाजवादी राष्ट्र होने के नाते शिक्षा को जन-जन के लिए सुलभ बनाना है। इसके लिए विद्यालय की पाठ्य-चर्चाओं में तथा प्रशासनात्मक ढांचे में इस प्रकार परिवर्तन किया जाना अनिवार्य है जिससे कि अपने उद्देश्य को पूरा किया जा सके। उदाहरणार्थ जनसंख्या की वृद्धि के साथ-साथ पाठशालाओं में विद्यार्थियों की संख्या में भी वृद्धि होगी, कक्षा-गृहों में छात्र-छात्राएँ सीमित संख्या में ही बैठ सकते हैं। इतने अधिक शिक्षार्थियों को एक कक्षागृह में नहीं बिठाया जा सकता। ऐसी स्थिति में अधिक-से अधिक विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने के लिये कुछ नयी विधियों की खोज करनी होगी ताकि शिक्षा की बढ़ती हुई माँग को अविलम्ब व सार्थक रूप से पूरा किया जा सके।
औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप एक नवीन समस्या उत्पन्न हो गयी है। लोग अपने परम्परागत स्थानों को छोड़कर ऐसे स्थानों को भाग रहे हैं, जहाँ बड़े उद्योग हों। परिणामस्वरूप ग्राम के ग्राम उजड़ते जा रहे हैं और नगरों पर निरन्तर भारी दबाव बढ़ रहा में पर भी दबाव बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में इस बढ़ते जन-समूह को शिक्षित बनाने में शिक्षा के कार्यक्रमों में पाठ्यक्रम में गहन परिवर्तन की आवश्यकता है। यहीं नवाचार का कार्य प्रारम्भ होता है।
देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। करोड़ों किशोरों और युवक रोजगार की तलाश में नगरों की ओर दौड़े आ रहे हैं, अतः ऐसी शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी जो व्यवसायोन्मुख हों। विश्व में विज्ञान द्रुत गति से अग्रसर हो रहा है। उपग्रह छोड़े जा रहे हैं। नये-नये अस्त्र-शस्त्र विकसित किये जा रहे हैं। विद्युत-आणविकी (Electronics) ने तो उद्योग जगत् में हलचल उत्पन्न कर दी है। संगणक (Computer) धीरे-धीरे आगे बढ़ता हुआ अपने प्रभुत्व का प्रसार कर रही है।
शिक्षा को आधुनिक गतिविधियों के साथ चलने हेतु इन परिवर्तनों की श्रृंखला को आत्मसात करके नयी दिशा में आगे बढ़ना होगा। यह कार्य शैक्षिक नवाचार (Educational Innovations) के द्वारा ही सम्भव हो सकता है।
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