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संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार कमीशन | U.N. Commission on Human Rights in Hindi

संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार कमीशन | U.N. Commission on Human Rights in Hindi
संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार कमीशन | U.N. Commission on Human Rights in Hindi

संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार कमीशन | U.N. Commission on Human Rights

संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार कमीशन (U.N. Commission on Human Rights) – फरवरी, 1946 में संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक एवं सामाजिक परिषद द्वारा स्थापित मानवीय अधिकारों के संयुक्त राष्ट्र कमीशन मानवीय अधिकारों के संरक्षण की समस्या के पुनरीक्षण की स्थायी मशीनरी की निकटतम पहुँच या उपागम है। यह आर्थिक एवं सामाजिक परिषद द्वारा स्थापित 6 कार्यकारी कमीशनों में से एक है। इसकी स्थापना के निबन्धनों के अनुसार, कमीशन की निम्नलिखित विषयों पर रिपोर्टें तथा संस्तुतियाँ तैयार करना था :-

(i) मानवीय अधिकारों पर अन्तर्राष्ट्रीय बिल, (ii) सिविल स्वतंत्रताओं, महिलाओं की प्रास्थिति, सूचना की स्वतंत्रता तथा समान अन्य विषयों पर अन्तर्राष्ट्रीय अभिसमयों एवं घोषणाओं को तैयार करना, (iii) अल्पसंख्यकों का संरक्षण, (iv) प्रजाति, लिंग, भाषा या धर्म के आधार पर भेदभाव को रोकना, (v) मानवीय अधिकारों से सम्बन्धित अन्य मामले।

कमीशन के निबन्धन बड़े ही व्यापक हैं। इनके अन्तर्गत कमीशन मानवीय अधिकारों से सम्बन्धित किसी भी विषय पर कार्य कर सकती है। कमीशन या तो स्वयं की पहल पर अध्ययन करती है, संस्तुति देती है या वह ऐसा महासभा की प्रार्थना पर करती है। कमीशन के सदस्यों का निर्वाचन तीन वर्षों के लिए किया जाता है तथा प्रतिवर्ष पाँच से छः सप्ताहों के लिये। सत्र करती है। कमीशन के सभी निर्णय उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से किये जाते हैं। प्रत्येक सत्र के पश्चात् कमीशन अपनी रिपोर्ट आर्थिक एवं सामाजिक परिषद को प्रेषित करती है। मूलतः कमीशन के 18 सदस्य थे। तत्पश्चात् उनकी संख्या 1962 में 21, 1966 में 32 बढ़ा दी गयी। इसके उपरान्त सदस्यों की संख्या 43 तथा अन्ततः 53 कर दी. गई। मई, 1982 में भारत का पुनः निर्वाचन तीन वर्षों के लिये कर लिया गया। यह नयी अवधि जनवरी, 1983 से प्रारम्भ हुई।

कमीशन ने मानव अधिकारों के उल्लंघन से पीड़ित लाखों मनुष्यों की सहायता की है। उदाहरण के लिये, 23 सितम्बर 1999 को अपने जेनेवा सत्र में निर्णय लिया कि वह पूर्व तिमोर (East Timor) में लोगों के ऊपर हुये अत्याचार तथा हजारों लोगों की हत्या पर विचार करेगा।

संयुक्त राष्ट्र मानवीय अधिकारों के कई सत्र में किये गये कार्यों का उपरोक्त वर्णन यह दर्शित करने के लिये किया गया है कि सार्वभौमिक स्तर पर कमीशन कितना लाभदायक तथा विस्तृत क्षेत्रों में कार्य करता है । कमीशन ही एक ऐसा निकाय है जो मानवीय अधिकारों के क्षेत्रों में सार्वभौमिक स्तर पर इतने विस्तृत क्षेत्रों में इतने विस्तृत कार्य सम्पादित करती है। इसके अतिरिक्त यह कमीशन सदस्य राज्यों के नागरिकों की मानवीय अधिकारों के उल्लंघन सम्बन्धी शिकायतें भी सुनती है। इसमें संदेह नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र ने लगभग सार्वभौमिकता प्राप्त कर ली है। वर्तमान समय में इसके 191 देश सदस्य हैं। प्रत्येक सदस्य राज्य के नागरिक मानवीय अधिकारों के उल्लंघनों (उनके अपने देश या अन्य देशों द्वारा) को शिकायतें महासचिव के माध्यम से कमीशन के पास भेज सकते हैं। ऐसी याचिकायें प्राप्त करने के पश्चात् कमीशन उनकी एक प्रतिलिपि सम्बन्धित सरकारों केपास उनकी टीका-टिप्पणी हेतु भेजती है। सम्बन्धित सरकारों से टीका-टिप्पणी प्राप्त होने के पश्चात् कमीशन याचिका या शिकायत पर विचार करता है तथा अपनी संस्तुतियाँ देती हैं। इस प्रकार संयुक्त राष्ट्र के मानवीय अधिकारों के कमीशन के कार्यों की परिधि सिविल एवं राजनीतिक अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा 1966 तथा इसके वैकल्पिक प्रोटोकाल, 1966 द्वारा स्थापित मानवीय अधिकारों की समिति से कहीं अधिक विस्तृत है क्योंकि समिति की सेवायें केवल प्रसंविदा एवं प्रोटोकाल के पक्षकारों को ही उपलब्ध हैं। मानवीय अधिकारों के संयुक्त राष्ट्र कमीशन ने अब तक लाखों लोगों की सहायता की है।

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Anjali Yadav

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