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अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक | Factors Influencing Insight in Hindi

अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक | Factors Influencing Insight in Hindi
अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक | Factors Influencing Insight in Hindi

अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Influencing Insight)

सूझ का निर्माण समग्रता के आधार पर होता है। अधिगम की प्रक्रिया के दौरान अन्तर्दृष्टि को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं-

1) बुद्धि (Intelligence) – अन्तर्दृष्टि का सीधा सम्बन्ध बुद्धि से होता है। उच्च बौद्धिक क्षमता वाले प्राणियों में अन्तर्दृष्टि अधिक क्रियाशील रहती है। पशुओं की अपेक्षा मानव की बौद्धिक क्षमता अधिक होती है फलस्वरूप वह समस्याओं का समाधान भी शीघ्र खोज लेता है। बुद्धिमान बालक विषय सामग्री को जल्दी सीखता है।

2) अनुभूति (Perception)- अन्तर्दृष्टि अधिगम की कुंजी होती है। किसी भी समस्या के समाधान से पूर्व उसको पूरी तरह जानना आवश्यक है। अन्तर्दृष्टि प्रत्यक्षीकरण के स्थापित होने के बाद ही धारण होती है। सूझ के निर्माण में परिस्थिति का पूर्ण स्पष्टीकरण व सामान्यीकरण होना चाहिए। अन्तर्दृष्टि को समानता, निरन्तरता एवं समीपता जैसे कारक प्रभावित करते हैं।

3) अनुभव (Experience ) — पूर्व अनुभवों के संगठन से अन्तर्दृष्टि का निर्माण होता है जिसका सीखने में बहुत अधिक योगदान रहता है। इस गुण से अनुभवी व्यक्ति समस्याओं का समाधान शीघ्रता से निकाल लेते हैं। अनुभवों के स्थानान्तरण से एक परिस्थिति के ज्ञान को दूसरी परिस्थिति में इस्तेमाल किया जा सकता है।

4) समस्या की संरचना (Structure of Problem ) – समस्या की संरचना भी अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करती है। सरल समस्या का प्रत्यक्षीकरण आसानी से हो जाता है जिससे उनका समाधान भी शीघ्रता से निकल आता है। अव्यवस्थित एवं जटिल संरचना वाली समस्याएँ अन्तर्दृष्टि के विकास में बाधक होती है। अतः ऐसी समस्याओं को समझना भी कठिन होता है।

5) प्रयास एवं भूल (Trial and Error) – अन्तर्दृष्टि के निर्माण में प्रयास एवं भूल का भी योगदान रहता है। अन्तर्दृष्टि के विकास से पूर्व व्यक्ति समस्या का समाधान खोजने के प्रयास में निराश एवं निष्क्रिय हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति की मानसिक प्रक्रिया मंद हो जाती है और कार्य कुशलता (Motor Skill) के आधार पर केवल शारीरिक अंग ही कार्य करते हैं। सूझ की स्थापना होने पर व्यक्ति को समस्त परिस्थिति का ज्ञान हो जाता है।

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Anjali Yadav

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