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गिजु भाई का शैक्षिक चिन्तन | Educational Thoughts of Giju Bhai in Hindi

गिजु भाई का शैक्षिक चिन्तन | Educational Thoughts of Giju Bhai in Hindi
गिजु भाई का शैक्षिक चिन्तन | Educational Thoughts of Giju Bhai in Hindi

गिजु भाई का शैक्षिक चिन्तन (Educational Thoughts of Giju Bhai)

शिक्षा जगत में प्रसिद्ध डॉ. मारिया मॉण्टेसरी की खेल विधि तथा फ्रोबेल की किण्डरगार्टन प्रणाली से गिजु भाई प्रभावित थे। गिजु भाई की शिक्षा सम्बन्धी 15 मौलिक रचनाएँ हैं। इसके अतिरिक्त अपने अन्य साथियों के सहयोग से उन्होनें लगभग 223 पुस्तकें लिखी थीं। उनका साहित्य गुजराती में है। जिसका अन्य भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है। उनका साहित्य बाल-मनोविज्ञान, शिक्षा-शास्त्र एवं किशोर-साहित्य से सम्बद्ध है। आपकी दो प्रमुख रचनाएँ- एक “दिवा स्वप्न’ और दूसरी “प्राथमिक शाला में भाषा शिक्षा” हैं जिसमें शिशु शिक्षा सम्बन्धी विचार देखने को मिलते हैं। ‘दिवा स्वप्न इनकी बाल-शिक्षा जगत की एक अनुपम कृति है जो कि कहानी शैली में रची गई है। गिजु भाई स्वयं शिक्षक थे इसलिए शिक्षक के दायित्व को अच्छी प्रकार से समझते थे। इस गुजराती पुस्तक का पहला प्रकाशन सन् 1931 ई. में हुआ। सन् 1934 तथा सन् 1962 में इसके हिन्दी अनुवाद छपे। यहाँ शिशु शिक्षा सम्बन्धी विचारों को क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत किया गया है।

शिक्षा का अर्थ (Meaning of Education)

गिजु भाई के अनुसार, “वास्तविक शिक्षा वह है जो व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करे।” यहाँ पर गिजु भाई व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास पर सर्वाधिक बल देते हैं। बालक का शिक्षा के द्वारा एक पक्ष का विकास न होकर चहुँमुखी विकास होना है। शिक्षा बाल केन्द्रित हो तथा शिशु शिक्षा बालक की रुचि, रुझान, आवश्यकता पर आधारित हो।

शिक्षा के उद्देश्य (Objectives of Education)

गिजु भाई के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य इस प्रकार हैं-

  1. बालकों में नैतिकता का विकास करना।
  2. शारीरिक तथा मानसिक विकास करना।
  3. सृजनशीलता का विकास करना।
  4. राष्ट्रीय भावना का विकास करना।
  5. श्रेष्ठ नागरिकों के गुणों का विकास करना।

पाठ्यचर्या (Curriculum)

गिजु भाई इस स्तर पर अनुभवजन्य पाठ्यचर्या पर बल देते हैं। वे बालकों को संगीत तथा नृत्य और अपने परिवेश की वस्तुओं के चित्र बनाने तथा गणित सीखने का समर्थन करते हैं। शारीरिक विकास के लिए इन्द्रिय प्रशिक्षण, मातृभाषा, इतिहास, भूगोल, धार्मिक एवं नैतिक शिक्षा आदि विषय पाठ्यचर्या में सम्मिलित हैं। ये इस स्तर पर परीक्षा केन्द्रित पाठ्यचर्या का विरोध करते हैं।

शिक्षण विधि (Teaching Method)

गिजु भाई ने परम्परागत शिक्षण विधियों, कथन प्रणाली, पुस्तक प्रणाली एवं व्याख्यान प्रणाली का विरोध किया जो कि पुस्तक प्रधान शिक्षण विधियों पर आधारित थी। इन्होंने मॉण्टेसरी एवं फ्रोबेल (किण्डरगार्टन विधि) के शिक्षण सिद्धान्तों (स्वयं करके सीखने, खेल विधि, इन्द्रिय अभ्यास) पर बल दिया है। गणित पढ़ाने के लिए गिजु भाई मॉण्टेसरी पद्धति को ही ठीक समझते हैं। भूगोल पढ़ाने में ग्लोब और मानचित्रों की सहायता लेकर तथ्यों को प्रस्तुत करना चाहिए। छोटे बालकों की धार्मिक शिक्षा पाठ्य-पुस्तकों में धार्मिक पुरुषों तथा उनके जीवन के प्रसंगों पर आधारित कथाएँ होनी चाहिए।

शिक्षक (Teacher)

गिजु भाई शैक्षिक प्रक्रिया में शिक्षक को एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान देते हैं। उनकी दृष्टि में इमारत की मजबूती उसकी नींव पर आधारित होती है तो हमें सबसे पहले शिशु काल की शिक्षा अर्थात् शिशु शिक्षा या बाल शिक्षा पर ध्यान देना होगा। शिशु शिक्षक-शिक्षिकाएँ तभी यह कार्य कुशलतापूर्वक कर सकते हैं जब उन्हें बाल-मनोविज्ञान, शिशुओं के प्रति अपार स्नेह, शिक्षण पद्धतियाँ आदि सभी का पूर्ण रूप से ज्ञान हो।

छात्र (Student)

गिजु भाई शिशुओं को स्वतन्त्र रूप से, बिना भय के, प्यार एवं स्नेहयुक्त वातावरण में रहने पर जोर देते हैंभयमुक्त वातावरण में उनका स्वाभाविक विकास होता है। दण्डात्मक वातावरण में बालक का विकास अवरुद्ध हो जाता है फिर इस प्रकार से स्थापित अनुशासन अस्थायी होता है। गिजु भाई शिक्षकों से ऐसी अपेक्षा करते हैं कि बालकों को डाँटे-डपटे नहीं और न ही उन्हें मारे, उन्हें किसी भी स्थिति में दण्ड न दिया जाए। उन्हें क्रोध से नहीं प्यार से समझाया जाए। बालकों को स्वानुशासन का प्रशिक्षण दिया जाए।

मूल्यांकन (Evaluation)

गिजू भाई एक उच्च कोटि के समर्पित शिक्षक थे। उन्होनें बाल शिक्षा जगत में क्रान्ति ला दी थी। एक शैक्षिक चिन्तन के रूप में बाल शिक्षा साहित्य का गहन अध्ययन किया तत्पश्चात् इन्होंने वकालत के पेशे को त्यागकर एक सम्मानपूर्ण शिक्षक का पद संभालागिजु भाई के इस आन्दोलन का प्रभाव सरकारी प्राथमिक पाठशालाओं पर नहीं पड़ा बल्कि निजी संस्थाओं (शिशु शिक्षा संस्थाओं) पर भी देखने को मिला। संस्था के संचालकों में अपने विद्यालयों के वातावरण को भयमुक्त रखने, बालकों के साथ स्नेह, प्यार, सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार, बालकों को अधिक से अधिक सिखाने की होड़ शुरू हो गई। गिजु भाई ने मॉण्टेसरी एवं किण्डरगार्टन पद्धति को भारतीय परिवेश में प्रयोग करके देखा और उन्हें भारतीय जामा पहनाया साथ ही इन्होंने इस क्षेत्र में इसे स्वतन्त्र रूप से प्रयोग किया और शिशु शिक्षा सम्बन्धी अनेक तथ्यों की खोज करके अपने शैक्षिक विचारों को पुस्तकों के माध्यम से शिक्षा जगत में जन-जन तक पहुँचाया। देखते ही देखते गिजु भाई की प्रसिद्धि बढ़ गई। बजिस प्रकार से महात्मा गाँधी ने देश को अंग्रेजों से आजाद कराया था। ठीक उसी प्रकार गिजु भाई ने बालकों को विद्यालय के भयपूर्ण वातावरण से मुक्त कराया। इनके इसी महान कार्य के लिए शिक्षा जगत में बालकों के गाँधी के नाम से जाना जाता है। ये पाश्चात्य शिक्षाविदों द्वारा विकसित शिशु शिक्षण विधियों को भारतीय परिवेश में कुछ अपने ढंग से प्रयोग किए जाने के लिए सदैव स्मरण किए जाएंगे । 

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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