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त्रि-आयाम सिद्धान्त या एस.आई. मॉडल | Three Dimensional Theory or S.I. Model in Hindi

त्रि-आयाम सिद्धान्त या एस.आई. मॉडल | Three Dimensional Theory or S.I. Model in Hindi
त्रि-आयाम सिद्धान्त या एस.आई. मॉडल | Three Dimensional Theory or S.I. Model in Hindi

त्रि-आयाम सिद्धान्त या एस.आई. मॉडल (Three Dimensional Theory or S.I. Model)

इस सिद्धान्त को सन् 1967 में गिलफोर्ड (Guilford) ने दिया। इस सिद्धान्त को त्रिविमीय सिद्धान्त (Three dimensional theory) या बुद्धि संरचना सिद्धान्तः (Structural intellect theory) भी कहते है।

गिलफोर्ड ने बुद्धि के सभी कारको या तत्वों (Factors) को तीन विमाओं (Three dimensions) में बाँटा जो निम्न हैं-

सामान्य बुद्धि (Intelligence)

1) संक्रिया (Operation) – यह व्यक्ति द्वारा किए गए मानसिक प्रक्रिया के स्वरूप से सम्बन्धित होता है। संक्रिया में दिए गए कार्य में व्यक्ति द्वारा की गयी मानसिक क्रियाओं के स्वरूप की व्याख्या होती है। सक्रिया को पाँच भागों में बाँटा गया है-

  1. संज्ञान (Cognition – C)
  2. स्मृति (Memory – M)
  3. एकविध (Convergent Thinking – N)
  4. बहुविध चिन्तन (Divergent Thinking D) एवं
  5. मूल्यांकन (Evaluation – E)

a) संज्ञान (Cognition) – पहचान तथा खोज सम्बन्धी प्रक्रियाएँ।

b) स्मृति (Memory) – किसी सूचना आयोजन या समय को स्मृति में संजोना (Retention) तथा पुनः स्मरण (Recall) करना।

c) एकविध चिन्तन (Convergent Thinking) – किसी समस्या के हल या चिन्तन मनन के लिए एक मात्र सर्वोत्तम हल या समाधान प्रस्तुत करना।

d) बहुविध चिन्तन (Divergent Thinking) –किसी समस्या या हल के लिए कई तरह से प्रयत्न करना और वैकल्पिक समाधान प्रस्तुत करना।

e) मूल्यांकन (Evaluation)- चिन्तन मनन की जाने वाले विषय वस्तु या प्रदत्त सूचना के बारे में निर्णय लेना जैसे कि वह अच्छी है या बुरी है, कितनी लाभकारी है, कितनी हानिकारक है इत्यादि।

जैसे किसी विद्यार्थी को सह-शिक्षा (co-education) के गुण-दोषों को लिखने को कहा जाए तो उसके मूल्यांकन की संक्रिया होगी ।

2) विषय-वस्तु (Content) – इसमें सूचनाओं (information) के आधार पर सक्रियाएं (operations) की जाती है। इन सूचनाओं को चार भागों में बाँटा गया है-

  1. आकार (Figural – F)
  2. शाब्दिक (Semantic – M)
  3. सांकेतिक (Symbolic – S)
  4. व्यावहारिक (Behavioural – B)

विषय वस्तु या सूचना (Contents) इसे पाँच खण्डों में विभाजित किया गया है-

i) आकृति जन्य दृश्यात्मक (Figural Visual) – आकृति जन्य वे सभी विशेषताएँ जिनको देखकर अनुभव किया जा सकता है जैसे किसी भी देखने वाली वस्तु का रंग, रूप, आकार, आकृति आदि।

ii) आकृति जन्य श्रवणात्मक (Figural Auditory) – वो वस्तुएँ जिन को सुन कर जानकारी प्राप्त की जाती है। जैसे- किसी भी उद्दीपन (Stimulus) की वाणी, ध्वनि और उसके द्वारा कही गयी बात एवं विशेषताएँ ।

iii) संकेतात्मक (Symbolic) – अक्षर, प्रतीक एवं संख्या तथा चित्र उद्दीपकों को इसमें शामिल किया गया है।

iv) भाषागत (Semantic) – शब्दों के अर्थ एवं विचारों के रूप में ग्रहण की जाने वाली जानकारी।

v) व्यवहारगत (Behavioural) – व्यक्तियों द्वारा अपने कार्यों एवं अभिव्यक्ति के द्वारा प्रदत्त सूचना सामग्री ।

3) उत्पादन (Production) – इसका अर्थ किसी विशेष प्रकार की विषय-वस्तु (Content) द्वारा की गयी संक्रिया (Operation) के परिणाम (Result) से होता है। गिलफोर्ड ने इसे छः भागों में बाँटा है-

  1. इकाई (Unit – U)
  2. वर्ग (Classes – C)
  3. सम्बन्ध (Relation – R)
  4. पद्धतियाँ (Systems – S)
  5. रूपान्तरण (Transformation – T)
  6. vi) अनुप्रयोग (Implication – I)

इसे छः खण्डों में विभाजित किया गया है-

i) इकाईयाँ (Units) – छोटी से छोटी परन्तु सार्थक विषयवस्तु सम्बन्धित सूचनाएँ जैसे कोई एक संख्या या शब्द ।

ii) वर्ग या श्रेणी (Classes) – किसी समान विशेषता के आधार पर संप्रत्यय के रूप में विकसित इकाईयों का जैसे- पुरुष + स्त्री = जनसमूह

iii) सम्बन्ध (Relations) – संप्रत्ययों को जोड़ने वाला सम्पर्क सूत्र ।

iv) प्रणाली (System) – सम्बन्धों का संगठित अथवा वर्गीकृत रूप ।

v) रूपान्तरण (Transformation) – विषय सामाग्री के स्वरूप में परिवर्तन लाना या उनकी पुनः संरचना ।

vi) अनुप्रयोग (Implications ) – विभिन्न प्रकार की सूचना सामग्री के आधार पर निष्कर्ष निकालना अथवा उसे प्रयोग में लाना।

गिलफोर्ड ने अपने उपरोक्त त्रिआयामी प्रतिमान (Three Dimensional Model) के माध्यम से यह प्रदर्शित करने का प्रयत्न किया है कि किसी भी मानसिक या बौद्धिक कार्य को करने में प्रत्येक आयाम से सम्बन्धित कम से कम एक तत्व या कारक (और इस तरह से कम से कम तीन करकों) की आवश्यकता पड़ती है।

अतः गिलफोर्ड ने बुद्धि सिद्धान्त की व्याख्या तीन विमाओं के आधार पर की है और इनमें प्रत्येक विमा के अपने कई कारक है। संक्रिया (Operation) विमा के पाँच कारक, विषय-वस्तु (content) विमा के चार कारक व उत्पादन (Product) विमा के छः कारक हैं। इस प्रकार गिलफोर्ड के अनुसार बुद्धि के कुल 5x4x6= 120 कारक या तत्व (factors) होते हैं।

S.I. मॉडल की विशेषताएँ (Characteristics of S.I. Model)

SI मॉडल की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. इस सिद्धान्त में समग्रता का गुण पाया जाता है।
  2. बुद्धि संरचना का स्वरूप त्रि-आयामी (Three Dimensional) होता है।
  3. किसी कार्य को करने में संक्रिया, विषयवस्तु एवं उत्पाद तीनों आयाम सन्निहित रहते है।
  4. इस सिद्धान्त के आधार पर इस बात की व्याख्या सफलतापूर्वक सम्भव होती है कि बुद्धि एवं सृजनात्मकता के मध्य धनात्मक सह-सम्बन्ध क्यों होता है? गिलफोर्ड ने इसकी व्याख्या अपसारी चिन्तन के आधार पर की है।
  5. अन्य सभी सिद्धान्तों में बुद्धि को केवल अभिसारी चिन्तन ही सीमित रखा गया परन्तु गिलफोर्ड ने अपने सिद्धान्त में अपसारी चिन्तन को भी शामिल किया है इसीलिए इस सिद्धान्त ने बुद्धि के क्षेत्र को व्यापक बना दिया।
  6. इस सिद्धान्त के द्वारा बुद्धि के स्वरूप एवं इसकी संरचना का जितना गहन अध्ययन सम्भव है उतना न तो स्पीयरमैन के सिद्धान्त से एवं न थर्सटन के सिद्धानत से ही सम्भव है।
  7. इस सिद्धान्त के आधार पर इस बात की व्याख्या करना सम्भव है कि किसी समस्या का समाधान करते समय कुछ लोगों में स्थिराकृत चिन्तन एवं कुछ लोगों में विविध चिन्तन (Varied Thinking) क्यों देखा जाता है क्योंकि गिलफोर्ड ने अपने सिद्धान्त में अभिसारी चिन्तन एवं अपसारी चिन्तन दोनों ही तरह के चिन्तनों की व्यवस्था की है।
  8. इस मॉडल के अनुरूप बुद्धि में 180 मानसिक योग्यताएँ हो सकती हैं।

S.I. मॉडल की सीमाएँ (Limitations of S.I. Model)

इस सिद्धान्त की सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

1) गिलफोर्ड के द्वारा प्रस्तावित बुद्धि की 180 मानसिक योग्यताओं के सम्बन्ध में मनोवैज्ञानिकों में मतैक्य नहीं है।

2) इस सिद्धान्त के द्वारा बुद्धि को समझना अत्यन्त जटिल कार्य है।

3) इस सिद्धान्त में वर्णित बुद्धि की 180 मानसिक योग्यताओं को समझना तथा उनमें विभेद करना अत्यन्त कठिन कार्य है।

4) गिलफोर्ड के सिद्धान्त में आनुभविक अध्ययनों का उल्लेख पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता है।

5) साइमन के अनुसार बुद्धि का वही सिद्धान्त सन्तोषप्रद होगा जो जटिल कार्यों में निहित निष्पादनों की व्याख्या करने में सक्षम होगा। इस दृष्टिकोण से गिलफोर्ड का सिद्धान्त असन्तोषपूर्ण है।

6) श्लेसिंगर एवं गटमैन ने गिलफोर्ड के सिद्धान्त को सही नहीं माना एवं उसके विरोध में द्विविमात्मक सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उनके अनुसार पहली बिमा में तीन प्रकार की योग्यताएँ- संख्यात्मक आकृतिक एवं वाचिक पाई जाती है। दूसरी विमा में दो प्रकार की योग्यताएँ नियम लागू करने एवं नियम निकालने की योग्यताएँ पाई जाती है।

7) मैने ने गिलफोर्ड के मॉडल की आलोचना करने हुए कहा कि यह मॉडल बुद्धि के स्वरूप एवं संरचना की समुचित व्याख्या करते में पूरी तरह सक्षम नहीं है।

उपर्युक्त सीमाओं के बावजूद गिलफोर्ड का सिद्धान्त बुद्धि के स्वरूप की व्याख्या करने में अपना विशेष स्थान रखता है। गिलफोर्ड के सिद्धान्त से शिक्षाशास्त्री, छात्र के पाठ्यक्रम के निर्माण में बहुत लाभान्वित हुए है। बुद्धि एवं सृजनात्मकता के बीच सम्बन्धों की व्याख्या करने में भी यह सिद्धान्त एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

मॉडल का शैक्षिक निहितार्थ (Educational Implication of S.I. Model)

S.I. मॉडल का शैक्षिक निहितार्थ इस प्रकार है-

  1. कमजोर बालकों के लिए क्षतिपूरक पठन सामग्री की व्यवस्था करना।
  2. पाठ्यक्रम में सुधार लाने की आवश्यकता का ज्ञात हो जाना।
  3. बालकों की असन्तोषजनक प्रगति के कारणों का पता लग जाता है।
  4. शिक्षण विधियों में सुधार करने की आवश्यकता का अनुभव होना ।
  5. बालकों की विशिष्ट योग्यता की जानकारी प्राप्त होना।
  6. शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन में मानसिक क्रियाओं की जानकारी का होना।
  7. प्रतिभाशाली बालकों की सृजनात्मकता एवं चिन्तन शक्ति को बढ़ा देना।
  8. मानसिक योग्यता पर शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में ध्यान देने की आवश्यकता का ज्ञान होना।

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Anjali Yadav

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