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पुस्तपालन और लेखाकर्म में अन्तर | Differences between Book-keeping and Accountancy in Hindi

पुस्तपालन और लेखाकर्म में अन्तर | Differences between Book-keeping and Accountancy in Hindi
पुस्तपालन और लेखाकर्म में अन्तर | Differences between Book-keeping and Accountancy in Hindi

लेखांकन एवं पुस्तपालन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

पुस्तपालन और लेखाकर्म में अन्तर (Differences between Book-keeping and Accountancy)

पहले पुस्तपालन और लेखाकर्म में कोई अन्तर नहीं माना जाता था क्योंकि व्यापार का क्षेत्र सीमित था इस उन्नतशील समय में पुस्तपालन और लेखाकर्म में अन्तर किया जाने लगा है।

अन्तर का आधार पुस्तपालन लेखाकर्म
1. सौदे प्रारम्भिक पुस्तकों में सौदे लिखना। इन लिखे हुए सौदों को जांचना कि वे ठीक हैं या नहीं।
2. पोस्टिंग जर्नल या इसकी सहायक पुस्तकों से खाताबही में पोस्टिंग करना। इन पोस्टिंग्स की जांच करना कि वह ठीक हैं या नहीं।
3. योग व बाकियों जर्नल की राशियों को जोड़ना तथा खाताबही के खातों के योग व बाकियों निकालना। इन योगों व बाकियों को तलपट (Trial Balance) बनाकर जांचना कि वे ठीक है या नहीं।
4. समायोजन व भूल सुधार के लेखे इसमें समायोजन और भूल सुधार के लेखे शामिल नहीं किये जाते हैं। इसमें समायोजन और भूल सुधार के लेखे शामिल किये जाते हैं।
5. विशेष ज्ञान व योग्यता इसमें लेखाकर्म के विशेष ज्ञान व योग्यता की आवश्यकता नहीं पड़ती है, यहाँ तक कि उन्नतशील देशों में यह काम मशीनों द्वारा भी किया जाता है। इसमें विशेष ज्ञान व पर्याप्त योग्यता की आवश्यकता है। आजकल लेखापालक होने के लिए चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट की परीक्षा पास करने पर जोर दिया जाता है।
6. उत्तरदायित्व एक पुस्तपालक लेखाकर्म के लिए उत्तरदायी नहीं होता। एक लेखापालक पुस्तपालन के लिए उत्तरदायी होता है क्योंकि उसी की देखभाल में पुस्तपालन किया जाता है।

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Anjali Yadav

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