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प्रतिरोध को कैसे कम किया जा सकता है ? How can the resistance be reduced ?

प्रतिरोध को कैसे कम किया जा सकता है ? How can the resistance be reduced ?
प्रतिरोध को कैसे कम किया जा सकता है ? How can the resistance be reduced ?

प्रतिरोध को कैसे कम किया जा सकता है ? (How can the resistance be reduced ?)

(1) कर्मचारियों पर परिवर्तन की प्रक्रिया थोपने के स्थान पर उसे नियोजित ढंग से लागू किया जाये और योजना की सम्पूर्ण जानकारी कर्मचारियों को हो तो सम्भव है कि परिवर्तन का प्रतिरोध ही न हो।

(2) परिवर्तन का कार्य मात्र प्रबन्धकीय आदेश पर आधारित के सम्बन्ध में कर्मचारियों की सम्मति, सहमति एवं सहयोग अवश्य प्राप्त करना चाहिए। इससे जहाँ परिवर्तन का प्रतिरोध कम होगा वहाँ परिवर्तन के क्रियान्वयन का मार्ग सुगम होगा।

(3) परिवर्तन के प्रतिरोध को कम करने के लिए यह आवश्यक है कि प्रबन्ध परिवर्तन को क्रियान्वित करने से पूर्व परिवर्तन की आवश्यकता, स्वरूप एवं परिणामों के बारे में कर्मचारियों को व्यापक जानकारी प्रदान करे इसके लिए उपक्रम में संचार व्यवस्था गतिशील और प्रभावी होनी चाहिए। ऐसा करने से परिवर्तन होने वाले प्रतिरोध में काफी कमी की जा सकती है।

(4) परिवर्तन का कार्य ऐसे प्रबन्धकों को सौंपा जाये, जो कर्मचारियों में अपनी विश्वसनीयता की साख रखते हो, तथा जो सम्बन्धित सूचना एवं आँकड़े एकत्रित कर परिवर्तन की आवश्यकता सिद्ध कर सके ।

(5) परिवर्तन प्रक्रिया को लागू करते समय प्रबन्ध अपने परम्परागत दृष्टिकोण को त्यागकर आधुनिक दृष्टिकोण (जैसे- सहानुभूति, सहभागिता, विनम्रता, मानवीयता, संवहन, सत्ता का विकेन्द्रीकरण, भागपर्ण, विचार-विनिमय, समझ बूझ, सहयोग की भावना, जियो और जीने दो की भावना) को अपनाते हैं तो इससे भी प्रतिरोध में पर्याप्त कमी होगी तथा परिवर्तन का रास्ता सुगम होगा।

(6) परिवर्तन करते समय प्रबन्धकों द्वारा कर्मचारियों को यह आश्वासन देना चाहिए कि परिवर्तन लागू करने पर किसी का हित प्रभावित नहीं होगा और न ही किसी कर्मचारी की छँटनी की जायेगी। इससे कर्मचारियों के मन में परिवर्तन के प्रति आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक निश्चितता आयेगी। परिणामस्वरूप परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध में कमी आयेगी।

(7) परिवर्तन के प्रतिरोध को कम करने के लिए कर्मचारियों से वार्ता का रास्ता सदा खुला रखना चाहिए। ऐसा सम्भव है कि वार्ता से गलतफहमी भी दूर हो जाये ।

उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है परिवर्तन जो प्रकृति का नियम है, उसे लागू करने, सुगमतापूर्वक क्रियान्वित करने और अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने के लिए उपक्रम के कर्मचारियों में सुरक्षा की भावना, उनके विकास की सम्भावना, आदि से उन्हें परिचित कराकर उनके सहयोग, परामर्श व सहभागिता से उसे लागू किया जाये तो निश्चित है कि परिवर्तन का लाभ जहाँ उपक्रम के स्वामियों को होगा, वहीं कर्मचारी व समाज भी इससे लाभान्वित होगा ।

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Anjali Yadav

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