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प्रश्नोत्तरी क्या है? इसके प्रकार, आवश्यकता, लाभ एंव सावधानियाँ

प्रश्नोत्तरी क्या है? इसके प्रकार, आवश्यकता, लाभ एंव सावधानियाँ
प्रश्नोत्तरी क्या है? इसके प्रकार, आवश्यकता, लाभ एंव सावधानियाँ
प्रश्नोत्तरी क्या है?

प्रश्नोत्तरी (Quizzes)

क्विज के लिए प्रश्नोत्तरी प्रश्नोत्तर, ज्ञान प्रतियोगिता ज्ञान परीक्षा आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। यह ज्ञान परीक्षा है जो प्रश्नों द्वारा ली जाती है। छात्र इन प्रश्नों का उत्तर देते हैं। यह ज्ञान पाठ के रूप में, इकाई के रूप में, प्रकरण के रूप में तथा विषय के रूप में हो सकता है। अतः प्रश्नोत्तरी ज्ञान प्राप्ति की एक कड़ी बनी रहती है तथा ज्ञानार्जन अबोध गति से चलता रहता है।

प्रश्नोत्तरी ज्ञानवर्द्धन का महत्वपूर्ण साधन है। इसके द्वारा वस्तुनिष्ठ और लघुत्तरात्मक प्रश्नों के द्वारा छोटे से छोटे प्रकरण पर ध्यान देकर प्रश्न बनाना तथा ज्ञान को उच्चतम् बनाना। इन परीक्षाओं के सम्बन्ध में छात्रों को कोई पूर्व सूचना न देना तथा शिक्षक अपने शिक्षण समय में जिस प्रकरण का अध्यापन कर रहा है या कर चुका हैं, परीक्षा दे सकता है। यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें छात्र की परीक्षा प्रश्नोत्तर के माध्यम से पूर्ण की जाती है तथा ये प्रश्न जिनका उत्तर छात्रों से प्राप्त करना होता है। छात्रों को इन परीक्षाओं के सम्बन्ध में शुरू में ही निर्देशन दे दिया जाता है। अध्ययन काल में शिक्षक कभी भी परीक्षा ले सकता है। अतः छात्र को सदैव परीक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए।

विभिन्न विषयों की विषय सामग्री इस प्रकार तैयार की जाती है कि बालक को जीवन से सम्बन्धित समस्त विषय सामग्री प्राप्त हो जाती है। प्रश्नोत्तरी द्वारा ली जाने वाली ज्ञान परीक्षा में उसे सम्पूर्ण विषय को जानने, समझने तथा तैयार करने का अवसर मिलता है।

प्रश्नोत्तरी के प्रकार (Types of Quizzes)

प्रश्नोत्तरी के दो प्रमुख प्रकार है-

1) इकाई परीक्षा – यह किसी पाठ्य-वस्तु के इकाई पाठ पूर्ण होने तक अन्त में कभी भी परीक्षा दे सकते हैं।

2) प्रकरण परीक्षा – पाठ्य-वस्तु के किसी प्रकरण के शिक्षण के समय में उसके किसी भी पक्ष पर परीक्षा दी जाती है।

प्रश्नोत्तरी की आवश्यकता एवं महत्व (Need and Importance of Quizzes)

सामाजिक विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसमें विभिन्न विषयों की समन्वित विषय सामग्री है। इसके द्वारा समन्वित विषय सामग्री का ज्ञान मिलता है। इन विषयों का ज्ञान प्रश्नोत्तरी के द्वारा सुगमता से प्राप्त किया जाता है। इसकी आवश्यकता एवं महत्व को निम्न रूप में स्पष्ट किया जा सकता है-

1) प्रश्नोत्तरी के द्वारा छात्रों में अध्ययन के प्रति रुचि पैदा करना। यह ऐसी परीक्षा है जो छात्रों में अध्ययन के प्रति रुचि पैदा करती है तथा परीक्षा के भय को दूर करती है। यह सामाजिक कुशलता का भी विकास करती है।

2) इसके माध्यम से छात्रों को स्वयं का ज्ञान कराना, छात्र की कमियों को दूर करना है। इसके द्वारा संवेगात्मक विकास अथवा परिपक्वता का निर्माण होता है तथा छात्र में नियमित अध्ययन की आदत बनी रहती है। छात्र अध्ययन के प्रति गम्भीर बना रहता है।

3) प्रश्नोत्तरी के द्वारा छात्रों को विषय का गहन अध्ययन करने का अवसर मिलता है। इनके द्वारा छात्र को इकाई ज्ञान, प्रकरण तथा पाठ का ज्ञान आदि विषय से सम्बन्धित ज्ञान आसानी से मिलता है एवं विषय पर अधिकार स्थापित होता है।

4) छात्रों को मुख्य परीक्षा के लिए तैयार करने में प्रश्नोत्तरी महत्वपूर्ण है। इससे छात्रों के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है तथा वह तत्कालिक और सतत् पृष्ठपोषण प्राप्त करता है। ऐसा करके वह मुख्य परीक्षा के लिए तैयार होता है। यह विषय की विभिन्न कठिनाइयों को दूर करने में सहायक है।

5) प्रश्नोत्तरी के माध्यम से छात्रों में स्वयं सीखने की आदत का विकास होता है। इसके माध्यम से छात्र पुस्तकालय का प्रयोग करना, स्वाध्याय की आदत विकसित करना, तथा संवेगों से बाहर निकलकर अपनी गलतियाँ दूर करता है एवं निरन्तर अभ्यास से अपने कार्य में सुधार करता है।

6 ) छात्रों में सामूहिकता की आदत का विकास करना प्रशनोत्तरी के द्वारा पूर्ण होता है। छात्रों के ज्ञान की परीक्षा प्रश्नोत्तर द्वारा एक साथ ली जाती है। अध्यापक पूर्ण निश्चित इकाई के प्रकरण पर प्रश्न पूछता है तथा छात्र उसका उत्तर देता है। इन समूहों में एक दूसरे की कठिनाई दूर करने की आदत का विकास होता है।

7) प्रश्नोत्तरी से सम्प्रत्यय का स्पष्ट ज्ञान होता है तथा बालक में स्वस्थ एवं सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास होता है। उसे यह शिक्षण भी मिल जाता है कि वह कार्य नियोजन किस प्रकार करे। इससे उसके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। उनके चिन्तन का विकास होता है।

 प्रश्नोत्तरी के लाभ (Advantages of Quizzes )

प्रश्नोत्तरी के मुख्य लाभ है-

  1. छात्र सामाजिक विज्ञान के विषयों के अध्ययन में निरन्तर बना रहताहै।
  2. छात्र परीक्षा के लिए सदैव तैयार रहता है।
  3. इस प्रकार की परीक्षाएँ अन्तिम परीक्षा के लिए तैयार करती हैं।
  4. नियमित अध्ययन से विषय का बोध होता है। परिपक्वता का विकास होता है।
  5. छात्र को अपनी कमियों को दूर करने का अवसर मिलता है।
  6. छात्र को इन परीक्षाओं से लगातार पुनर्बलन मिलता है।
  7. छात्र में अध्ययन के प्रति रुचि का विकास होता है।
  8. विषय पर अधिकार का विकास होता है।

प्रश्नोत्तरी हेतु सावधानियाँ ( Precautions for Organising Quizzes)

इन परीक्षाओं के उपयोग में निम्न सावधानियाँ रखनी पड़ती हैं-

1) प्रश्नों का स्वरूप छोटा होना चाहिए। प्रश्नों में वस्तुनिष्ठ प्रश्न अधिक सार्थक व उपयोगी होते हैं। इनके उत्तर देने में बालक को किसी प्रकार की गलती नहीं होती। शिक्षक भी उत्तर के प्रति आश्वस्त हो जाते हैं।

2) प्रश्नोत्तरी के द्वारा शिक्षण उद्देश्यों की पूर्ति होनी चाहिए। ये कमियाँ उत्तरपुस्तिका दिखाकर बतानी चाहिए। बिना किसी पक्षपात के मूल्याकंन होना चाहिए। साथ ही साथ पृष्ठपोषण भी दिया जाना चाहिए।

3) प्रश्नोत्तरी के बाद छात्रों को उनकी गलतियाँ बतानी चाहिए तथा शिक्षण उद्देश्यों की पूर्ति होती है अथवा नहीं, यह ध्यान रखना चाहिए। उद्देश्यों के अभाव में शिक्षण उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो सकती।

4) प्रश्नोत्तरी के पश्चात् छात्र के प्राप्तांकों का लेखा-जोखा रखा जाना चाहिए। इससे छात्र को समय-समय पर उसकी प्रगति अथवा अवनति का आभास कराना चाहिए।

5) अध्यापक का उचित निर्देशन तथा नियोजन होना चाहिए। अध्यापक स्वयं में निष्पक्ष तथा वस्तुनिष्ठ होना चाहिए। अध्यापक की वस्तुनिष्ठता तथा निर्देशन का प्रभाव बालक पर तीव्रता से पड़ता है। उचित निर्देशन के अभाव में बालक में आत्मविश्वास की कमी होती है ।

6) प्रश्नोत्तरी के प्रश्न निर्धारित इकाई, प्रकरण से सम्बन्धित होनी चाहिए। इस सन्दर्भ में बालक को पूर्व में ही निर्देश देना चाहिए कि इकाई समाप्ति पर कभी भी परीक्षा ली जा सकती है। अध्यापक को इसमें रोचक तथा उपयोगी प्रश्नों का चयन करना चाहिए।

7) प्रश्नोत्तरी के निर्माण में अध्यापक को व्यक्तिगत विभिन्नताओं का भी ध्यान रखना चाहिए। सभी बालक बौद्धिक योग्यता तथा क्षमता में समान नहीं होते हैं।

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Anjali Yadav

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